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पंजाब में दलित नेतृत्व को लेकर हंस की राह खुली

भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से चुनाव जीतने वाले सूफी गायक हंसराज हंस के लिए अब दलित नेतृत्व को लेकर पंजाब की राह भी खुल गई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 05:02 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 06:25 AM (IST)
पंजाब में दलित नेतृत्व को लेकर हंस की राह खुली
पंजाब में दलित नेतृत्व को लेकर हंस की राह खुली

शाम सहगल, जालंधर

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भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से चुनाव जीतने वाले सूफी गायक हंसराज हंस के लिए अब दलित नेतृत्व को लेकर पंजाब की राह भी खुल गई है। खास बात ये है कि 10 दिसंबर 2016 को भाजपा में शामिल होने के बाद हंसराज हंस सियासत में खासे सक्रिय तो हुए ही हैं, साथ ही उन्हें स्वच्छ छवि वाले दलित चेहरे के रूप में भी देखा जा रहा है। दोआबा की दलित राजनीति में खासी पैठ रखने वाले हंस पहले दो प्रसिद्ध राजनीतिक पार्टियों में रहने के अलावा जालंधर लोकसभा हलके से चुनाव लड़कर 3.71 लाख वोट हासिल कर चुके हैं। वहीं, इस बार लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल कर भाजपा की झोली में सीट डालने वाले हंस को लेकर पार्टी पंजाब में भी कार्ड खेल सकती है।

दरअसल, दलित वोट बैंक को साधते हुए भाजपा ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से दलित नेता उदित राज का टिकट काटकर हंस को दी थी। बताया जा रहा है कि चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वंय हंस को टिकट की पेशकश की थी। इससे पूर्व करीब दो वर्ष लगातार हंसराज ने इस हलके में ही नहीं बल्कि दिल्ली में कई रैलियां व जनसभाएं करवाकर पार्टी में अपनी बेहतर स्थिति बना ली थी। जिसके चलते पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए चुनाव मैदान में उतारा था। उधर, मूल रूप से दोआबे का केंद्र माने जाते जालंधर के गांव सफीपुर निवासी हंस के रूप में भाजपा द्वारा साफ छवि वाले दलित नेता की तलाश भी पूरी मानी जा रही है। हंस को पंजाब की दलित राजनीति से भली भांति वाकिफ होने के चलते उन्हें पंजाब की सियासत में सक्रिय किया जा सकता है। यही कारण है कि हाल ही में जालंधर से ही एक दलित नेता को बैकफुट पर भेजने के बाद हंस को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। सूफी गायक से लेकर तय किया राजनीति का सफर

हंस ने गायकी से राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। इस बीच एक बार तो राजनीति से तौबा करने वाले हंस को अब दलित नेतृत्व के रूप में देखा जा रहा है। 2001 में पंजाब की गठबंधन सरकार ने जब हंस को 'राज गायक'की उपाधि से नवाजा, तो इसके अगले वर्ष ही पंजाब में विधानसभा चुनाव के दौरान गठबंधन के पक्ष में प्रचार किया। जबकि, वर्ष 2009 में सक्रिय राजनीति की शुरुआत करने वाले हंस ने शिरोमणि अकाली दल से जालंधर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा। अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मोहिंदर सिंह केपी को कड़ी टक्कर देते हुए उन्होंने 3,71,658 वोट हासिल किए थे। जबकि, केपी 4,08,103 वोट हासिल कर जीते थे। इसके बाद शिअद में खुद को उपेक्षित महसूस करते हुए हंस ने 2014 में कांग्रेस का दामन थाम लिया। यहां भी उनकी पारी दो वर्ष की रही। पार्टी से खफा होकर 10 दिसंबर 2016 को हंस भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद से अपने खास अंदाज में भाजपा का प्रचार करते हुए हंस ने पार्टी के लिए दिल्ली में कई रैलियां व जनसभाएं की थी।


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