गेस्ट फैकल्टी का शिक्षा मंत्री परगट सिंह पर तीखा वार, बोले-मांगें नहीं मानी तो सरकार काे भुगतना हाेगा अंजाम
शिक्षा मंत्री की तरफ से उन्हें 28 दिसंबर को चंडीगढ़ में पैनल मीटिंग कर उनकी मांगों को पूर्ति का समय दिया गया। साथ ही सदस्यों ने यह भी चैतावनी दे डाली कि अगर मांगें मान ली गई तब तो ठीक है अन्यथा वे इसका जवाब विधानसभा चुनाव में ही देंगे।
जागरण संवाददाता, जालंधर। सरकारी कालेजों के गेस्ट फैकेल्टी सहायक प्रोफेसरों ने शिक्षा मंत्री परगट सिंह पर अब तीखे वार करने शुरू कर दिए हैं। क्योंकि वे शिक्षा मंत्री की कोठी के बाहर पहले तो खुले आसमान के नीचे बैठे हुए थे और उन्हें टैंट लगाने की इजाजत नहीं दी जा रही थी। सर्दी का कहर बड़ा तो धुंध के साथ ओस की बूंदे भी गिरने लगी, जिस वजह से सभी ने तरपाल लगाने का प्रयास किया, मगर पुलिस प्रशासन ने रोकने के लिए अड़ींगे डालने शुरू कर दिए। रोजाना के नए-नए ड्रामों की वजह से अब गेस्ट फैकेल्टी परेशान हो चुके हैं और अब बड़े एक्शन प्लान की तैयारियां भी कर रहे हैं।
फिलहाल उन्होंने 25 दिसंबर को ही संघर्ष करना था, मगर शिक्षा मंत्री की तरफ से उन्हें 28 दिसंबर को चंडीगढ़ में पैनल मीटिंग कर उनकी मांगों को पूर्ति का समय दिया गया। साथ ही सदस्यों ने यह भी चैतावनी दे डाली कि अगर मांगें मान ली गई तब तो ठीक है, अन्यथा वे इसका जवाब विधानसभा चुनाव में ही देंगे। मांगों की पूर्ति न हुई तो सभी विरोध करते हुए चुनाव में कांग्रेस की सरकार भी बनने नहीं देंगे। क्योंकि निरंतर मीटिंगों में अगली मीटिंग या नए आश्वासन के साथ उन्हें शांत करवा दिया जाता है।
इसके बावजूद उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जाता है। क्योंकि सरकार और उसके मंत्री केवल आचार संहिता के लागू होने तक का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उन्हें कुछ करना ही न पड़े। मगर उन्हें यह नहीं पता कि उनकी इस तरह की टालमटोल की नीति की वजह से सरकार के विरुद्ध ही गुस्सा बड़ रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप शिक्षक वर्ग की नाराजगी विधानसभा चुनाव में भुगतनी पड़ सकती है, क्योंकि सबसे बड़ा वर्ग शिक्षक वर्ग का ही है। उनका नाराजगी पार्टी को भारी पड़ सकती है।
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