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असंतुलित जीवनशैली से पथरी और आंत की बीमारी के मरीजों का बढ़ने लगा ग्राफ

आजकल सिविल अस्पताल का सर्जरी वार्ड हाउसफुल चल रहा है। मेल और फीमेल दोनों वार्डों में 46 बेड हैं। इनमें 13 मरीजों के पेट के जटिल ऑपरेशन किए गए हैं।

By Edited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 01:37 AM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 09:45 AM (IST)
असंतुलित जीवनशैली से पथरी और आंत की बीमारी के मरीजों का बढ़ने लगा ग्राफ
असंतुलित जीवनशैली से पथरी और आंत की बीमारी के मरीजों का बढ़ने लगा ग्राफ

जालंधर, जेएनएन। असंतुलित जीवनशैली और इलाज में कोताही लोगों को भारी पड़ रही है। इससे पेट की बीमारियों में बढ़ोतरी हो रही है। सिविल अस्पताल में जालंधर व आसपास के जिलों के लोगों में पित्त की पथरी और आंत की बीमारियां का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। इसी कारण आजकल सिविल अस्पताल का सर्जरी वार्ड हाउसफुल चल रहा है। मेल और फीमेल, दोनों वार्डों में 46 बेड हैं। इनमें 13 मरीजों के पेट के जटिल ऑपरेशन किए गए हैं।

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पहली बार एक साथ पहुंचे इतने मरीज

सिविल अस्पताल के सर्जन डॉ. राजीव शर्मा ने बताया कि पिछले दो साल में पहली बार दो-तीन दिन में जिले भर से 13 मरीज पेट का ऑपरेशन करवाने के पहुंचे हैं। इनमें पित्त की पथरी, आंत, एपेंडिक्स जैसी बीमारियां शामिल हैं। दो मरीजों को निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने गंभीर ऑपरेशन होने की वजह से टाल दिया था। उन्हें डॉक्टरों की टीम ने सफल बनाया।

पेट में दर्द व उल्टी की थी समस्या

नूरमहल के शहनवाज ने बताया कि उन्हें पेट में दर्द और उल्टी की समस्या थी। नकोदर के निजी अस्पताल में जांच करवाने के लिए गए थे। उन्होंने आंत की समस्या बताई और ऑपरेशन के लिए कहा। इसके लिए बड़े अस्पताल में लेकर जाने की सलाह दी। महंगा इलाज होने से सिविल अस्पताल में भर्ती कर ऑपरेशन कर दिया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर उनकी खराब आंत को काट कर बाहर निकाल दिया है।

इलाज में लापरवाही हो रही है घातक

सिविल अस्पताल के कार्यकारी एमएस डॉ. चन्नजीव सिंह ने बताया कि बहुत कम चांस होते हैं कि दो तीन दिन में पेट की बीमारियों के ऑपरेशन के लिए एक साथ 13 मरीज पहुंचें। पित्त में पथरी के ऑपरेशन में देरी की वजह से उसका असर लीवर तथा पैनक्रियाज पर पड़ने लगता है। वहीं, टायफाइड होने के बाद कई मरीजों की आंत में घाव हो जाते है। इलाज में लापरवाही की वजह से अंदर ही गल कर फटने की वजह से गंभीर समस्या आती है। इनमें ज्यादातर मरीज इमरजेंसी में गंभीर हालत में पहुंचते है। अस्पताल में सर्जिकल वार्ड के सारे बेड फुल हैं।


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