Pay Scale को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ 11 को प्रदर्शन करेगी गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन
प्रदर्शन के दौरान सूबे के सभी जिलों में अर्थियां और सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेशों की पत्रियां जलाई जाएंगी। प्रदर्शन को लेकर यूनियन के सदस्यों ने रविवार को देश भगत यादगार हाल में बैठक की।
जालंधर, जेएनएन। नए भर्ती हुए मुलाजिमों पर केंद्रीय पे स्केल लागू करने के विरोध में गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन (जीटीयू) की तरफ से राज्य सरकार के खिलाफ अर्थी फूंक प्रदर्शन सूबे भर में 11 नवंबर को किया जाएगा। इस प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए यूनियन के सदस्यों ने रविवार को देश भगत यादगार हाल में बैठक की। जिला प्रधान करनैल फिल्लौर ने कहा कि इस प्रदर्शन के दौरान सभी जिलों में अर्थियां और सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेशों की पत्रियां जलाई जाएंगी।
महासचिव गणेश भगत ने कहा कि राज्य सरकार एक तरफ केंद्र के काले कानून को रद करवाने के लिए किसानों के हक में नए कानून बनाने की ड्रामा कर रही है। दूसरी तरफ अध्यापकों और कर्मचारियों पर जबरदस्ती केंद्रीय पे स्कूल लागू किया जा रहा है। केंद्र के मुलाजिमों की तरह मिलती डीए की रहती किश्तें और पिछला बकाया रकम देने से भी राज्य सरकार भी भाग रही है। यही कारण है कि पंजाब के प्रधानगी मंडल की तरफ से की गई घोषणा के तहत डीसी दफ्तर के सामने पुड्डा ग्राउंड में दोपहर दो बजे रोष रैली निकालते हुए राज्य सरकार की अर्थी फूंकी जाएगी।
इसी दौरान केंद्रीय पे स्केल को लागू करने के जारी किए पत्रों को भी जलाया जाएगा। इस संघर्ष के एक्शन को कामयाब बनाने के लिए सभी ब्लाकों के प्रधानों की डयूटियां लगा दी गई है, जो अधिक से अधिक कर्मचारियों के साथ इस प्रदर्शन में शामिल होंगे। इस मौके पर तीर्थ सिंह बासी, बलजीत सिंह कुलार, रामपाल महे, कुलदीप वालिया, हरमनजोत सिंह, निर्मोलक सिंह हीरा, बलवीर भगत, मंगत राम, बूटा राम, सुखविंदर राम, सुखविंदर सिंह मक्कड़, मुल्खराज, जतिंदर सिंह थे।
यह है यूनियन की मांगें
केंद्रीय पे स्कूल लागू करने का पत्र तुरंत रद किया जाए, शिक्षा विभाग की विभिन्न स्कीमों में काम कर रहे कर्मचारियों और अध्यापकों को रेगुलर किया जाए, एक जनवरी 2016 से छठे पे कमिशन की रिपोर्ट तुरंत लागू की जाए, 2004 से नियुक्त हुए अध्यापकों पर पुरानी पैंशन स्कीम बहाल की जाए, डीए की बाकी रहती किश्तें और पिछला बकाया तुरंत जारी किया जाए, रेगुलर करते समय तक का मानभत्ता वालंटियर, अध्यापकों को कम से कम श्रम कानून के अधीन लाकर 18 हजार रुपये महीने के हिसाब से वेतन दिया जाए, स्कूलों में खाली पड़े पद भरे जाएं, विकास टेक्स के नाम पर 2400 रुपये सालाना जब्री कटौती बंद की जाए।