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शिक्षक इंद्रजीत की लगन और मेहनत ने बदली यहां के गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल की सूरत Jalandhar News

स्कूल इंचार्ज इंद्रजीत सिंह ने अपने दम पर स्कूल को प्राइवेट स्कूल के बराबर लाकर खड़ा कर दिया। केवल इमारत से ही बराबरी नहीं की बल्कि क्वालिटी एजुकेशन पर भी फोकस रखा।

By Edited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 08:08 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 01:46 PM (IST)
शिक्षक इंद्रजीत की लगन और मेहनत ने बदली यहां के गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल की सूरत Jalandhar News
शिक्षक इंद्रजीत की लगन और मेहनत ने बदली यहां के गवर्नमेंट गर्ल्स स्कूल की सूरत Jalandhar News

जालंधर [अंकित शर्मा]। लड़कियां अगर पढ़ लिख जाएं तो वह पूरे परिवार को संवार सकती हैं। इसलिए बच्चियों को शिक्षा का धन देने से बढ़कर कुछ नहीं है। इसी सोच के साथ सरकारी कन्या हाई स्कूल, तलवण के इंचार्ज इंद्रजीत सिंह ने अपने दम पर स्कूल को प्राइवेट स्कूल के बराबर लाकर खड़ा कर दिया। केवल इमारत से ही बराबरी नहीं की बल्कि क्वालिटी एजुकेशन पर भी फोकस रखा। इसी का नतीजा है कि आज स्कूल की कई बच्चियां मेरिट में हैं।

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सरकारी हाई स्कूल तलवण के इंचार्ज इंद्रजीत सिंह, जिनकी लगन और मेहनत से स्कूल में हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं।

सरकारी हाई स्कूल तलवण में नई कक्षाओं का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है।

इंद्रजीत कहते हैं एक जनवरी 1998 को उनकी ज्वाइनिंग सरकारी कन्या हाई स्कूल तलवण में हुई थी। यह स्कूल सतलुज दरिया के किनारे पड़ता है। पिछड़ा एरिया होने के कारण स्कूल की इमारत 1967 में कच्ची ईटों से बनी थी। स्कूल में पानी की व्यवस्था तक नहीं थी। हालात ऐसे हो चले थे कि गांववाले भी अपने बच्चों के सरकारी स्कूल में पढ़ाने से पीछे हटने लगे थे। मन में ठान लिया कि गांव के स्कूल की सूरत और लोगों की सरकारी स्कूलों के प्रति सोच बदलनी है। इसलिए गांव के पंचायत सदस्यों, एनआरआइ से संपर्क किया। रोटी, कपड़े के लिए दान नहीं बल्कि शिक्षा के लिए दान की अपील की।

स्कूल के मैदान में विद्यार्थियों के लिए झूले और स्लाइड की भी व्यवस्था की गई है।

दानी सज्जनों और एनआरआइज का साथ मिला और राह भी बनती गई। 1998 में यहां पानी की व्यवस्था करने के लिए समर्सिबल पंप और वाटर कूलर लगाया गया। स्कूल की बिल्डिंग तैयार हुई, स्कूल का सारा परिसर पक्का कराया और बीच में पौधे लगाकर उसे बेहतर बनाया। गार्डन व प्ले ग्राउंड बनवाया। स्कूल में बच्चों के लिए झूले भी लगाए गए। सभी के मन से यह धारणा बदलनी थी कि सरकारी स्कूल की हालत ठीक नहीं होती है इसलिए दानी सज्जनों के सहयोग से 70 से 80 लाख रुपये खर्च करके इमारत तैयार करवाई। लोग बाहर से ही सरकारी स्कूल के प्रति आकर्षित हों और स्कूल किसी भी सूरत में प्राइवेट स्कूलों से कम न लगे इसलिए तीन लाख रुपये की लागत से मुख्य गेट तैयार करवाया।

एनआरआइज वर्दी और स्टेशनरी का देते हैं खर्च

हर साल बच्चों की वर्दियों के लिए यूके के महेंद्र सिंह 50 हजार रुपये देते हैं, जिससे सेकेंडरी कक्षाओं की बेटियों के लिए वर्दियां बनवाई जाती हैं। अजय बेदी की तरफ से बच्चियों के लिए स्टेशनरी का इंतजाम किया जाता है। जो छह सात किलोमीटर दूर से स्कूल आती हैं, उन्हें 10 साइकिलें दिलाई गईं। अब दूर दराज से आने वाली बच्चियों के लिए वाहन लगाने की व्यवस्था पर काम चल रहा है। बच्चों और शिक्षकों के जन्मदिवस पर एक-एक पौधा लगाया जाता है।

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