Move to Jagran APP

गिक्की मर्डर केसः दोषियों को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, पिता बोले- शुक्रिया जालंधर

गिक्की के पिता राजवीर सेखों ने कहा कि मुश्किल घड़ी में भले सब एक-एक कर छोड़ते गए। समझौते की बात कहते रहे लेकिन मैं एडवोकेट बलतेज सिंह ढिल्लों का खास तौर पर जिक्र करना चाहूंगा।

By Edited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 02:04 AM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 12:43 PM (IST)
गिक्की मर्डर केसः दोषियों को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, पिता बोले- शुक्रिया जालंधर
गिक्की मर्डर केसः दोषियों को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत, पिता बोले- शुक्रिया जालंधर

जालंधर [मनीष शर्मा]। इन नौ सालों में मैंने अपनी रातों की नींद ही नहीं कई करीबी रिश्तेदार व सच्चे दोस्त खो दिए, थोड़ा थका लेकिन हारा नहीं। पहले अकेले सौ किलोमीटर गुरदासपुर जाकर पैरवी की और फिर चंडीगढ़ में लगभग सौ तारीखें भुगतीं और आज राहत महसूस कर रहा हूं। इसके लिए में जनता को धन्यवाद कहना चाहूंगा। जालंधर को शुक्रिया कहूंगा कि उन्होंने मेरे बेटे गुरकीरत सिंह सेखों उर्फ गिक्की के लिए इंसाफ की जो नींव रखी थी, आज उससे मिली हिम्मत की बदौलत पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में फिर हमारी जीत हुई।

loksabha election banner

यह बातें सेखों ग्रैंड होटल के मालिक राजवीर सेखों ने हाईकोर्ट की ओर से गुरदासपुर सेशन कोर्ट के तीन अगस्त 2015 के उस फैसले को बरकरार रखने के बाद कही, जिसमें उनके बेटे की मौत के जिम्मेदार पूर्व अकाली पार्षद समेत चार लोगों को उम्रकैद की सजा बरकरार रखी गई है।

करीबी डराते थे, पब्लिक सपोर्ट देती थी

राजवीर सेखों ने कहा कि जिन्होंने मेरे बेटे को मारा, सरकार उनकी थी। जेल में सब सुविधाएं मिलती थीं। वो चार थे और मैं अकेला। करीबी रिश्तेदार व सच्चे दोस्त भी मुझे यही कहते थे कि अकेले क्या करोगे? लेकिन जब शहर सड़कों पर उतरा। कैंडल मार्च हुआ तो मेरे अंदर से भी आवाज आई कि चुप नहीं बैठना है, इंसाफ जरूर मिलेगा और मैंने लड़ाई शुरू कर दी। पब्लिक से जो समर्थन मिला, उसने मुझे ऐसा मोरल सपोर्ट दिया कि सेशन कोर्ट के बाद हाईकोर्ट में भी हमारी जीत हुई। यह बात अलग है कि वो तमाम रिश्तेदार व दोस्त जरूरत के वक्त मेरा साथ छोड़ गए। नाम किसी का नहीं लूंगा, वैसे भी किस-किस का लूं?। सबको सिर्फ दो ही बातें कहूंगा कि आप सच्चे हो तो फिर इंसाफ जरूर मिलता है और दूसरा यह कि अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है। कोई नहीं साथ देता, खासकर जब आपकी लड़ाई किसी रसूखदार से हो।

धुंध भरी सुबह में अकेले जाता था, कभी डरा नहीं

इन नौ सालों में किसी भी डर से बड़ा मेरे लिए बेटे को इंसाफ दिलाना था। इसलिए जब इन लोगों ने पब्लिक का बढ़ता दबाव देख केस गुरदासपुर ट्रांसफर करा दिया तो भी मैं वहां जाता था। मुझे याद है कि रास्ते में सुनसान सड़क आती थी, सुबह वहां धुंध बिछी होती लेकिन कभी डर नहीं लगा। हर वक्त दिल-दिमाग में बेटा गिक्की ही होता था और साथ होती थी, उसको इंसाफ दिलाने की जिद। फिर यह लोग उम्रकैद के खिलाफ कम सजा की मांग के लिए हाईकोर्ट चले गए तो मैंने भी इन्हें गैर इरादतन नहीं बल्कि कत्ल के लिए याचिका लगा दी। फिर लगभग सौ तारीखें पड़ी होंगी। मैं एक दिन पहले जाता था और रात भर तैयारी के बाद अगले दिन सुबह से लेकर शाम तक बैठने के बाद तारीख मिल जाती थी लेकिन अब फैसला आने के बाद लगता है कि इस मेहनत का भी पूरा फल हम सबको मिला।

मुश्किल वक्त में सब छोड़ गए लेकिन बलतेज नहीं

राजवीर सेखों ने कहा कि मुश्किल घड़ी में भले सब एक-एक कर छोड़ते गए। समझौते की बात कहते रहे लेकिन मैं एडवोकेट बलतेज सिंह ढिल्लों का खास तौर पर जिक्र करना चाहूंगा। सेवामुक्त डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी एडवोकेट ढिल्लों अपनी गाड़ी में मुझे केस की पैरवी के लिए लेकर जाते थे। गुरदासपुर आने-जाने में भी उनका पूरा साथ रहा, उनका जरूर दिल से धन्यवाद करना चाहूंगा। मैं न्याय व्यवस्था से यह मांग जरूर करूंगा, फैसला चाहे कोई भी हो, लेकिन जल्द से जल्द हो जाना चाहिए।

पत्नी व बच्चे अब अमेरिका में

गिक्की के कत्ल के बाद उनकी पत्नी अपने साढ़े तीन साल के बेटे व सात महीने की बेटी के साथ अमेरिका चली गई। वो अमेरिकन सिटीजन थी। आज बेटा 12 साल का व बेटी नौ साल की हो गई है। वो वहां अपने मां-बाप के साथ रहती है।

मोबाइल लोकेशन बनी पुख्ता सुबूत

राजवीर सेखों ने कहा कि अदालत में बहस के दौरान गिक्की को मारने वाले चारों आरोपितों की मोबाइल लोकेशन अहम हथियार बनी। हमारे वकील ने कहा कि यह लोग साढ़े दस से एक बजे तक यानि ढ़ाई घंटे वहां बैठे रहे और इसकी पुष्टि मोबाइल लोकेशन से हो गई। फिर बाबा रसोई के मालिक ने भी कहा कि वो 11 बजे ढाबा बंद कर देते हैं लेकिन उस दिन ये बैठे रहे, इसलिए ढ़ाबा बंद नहीं किया। विरोधी पक्ष पहले इसे नकारता रहा लेकिन बाद में गलती मान ली। ऐसे में क्या गलती से वहां इंतजार करते रहे? और गलती से गिक्की को गोली मारी?, इस पर हाईकोर्ट ने उनकी उसी सजा को बरकरार रखा। उन्होंने कहा कि घटना का मुख्य दोषी प्रिंस मक्कड़ जेल में है जबकि बाकी तीनों जमानत पर हैं। उन्हें भी अब सरेंडर करना होगा, बाकी जो भी होगा, कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक होगा।

शहर का बेटा बन गया था गिक्की, हक में उतरे थे लोग

जालंधर। नौ साल पहले होटल सेखों ग्रैंड के मालिक गुरकीरत सेखों उर्फ गिक्की की मॉडल टाउन स्थित बाबा रसोई में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में शहर में जन लहर बन गई थी। सैकड़ों लोगों ने गिक्की को इंसाफ दिलाने के लिए शहर में कैंडल मार्च निकाला। गिक्की के पिता राजवीर सेखों याद करते हैं कि जब अदालत में हत्याकांड के दोषियों की पेशी होती थी तो वहां लोगों की भीड़ जुट जाती थी। हालात ये हो जाते थे कि इन दोषियों को अंदर तक घुसने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती थी।

यहां तक कि इस हत्याकांड के मुख्य दोषी प्रिंस मक्कड़ के चाचा तत्कालीन अकाली विधायक सर्बजीत मक्कड़ के सामाजिक बहिष्कार का भी एलान कर दिया गया। हालात यहां तक हो गए थे कि इन दोषियों को हवालात में भी चादर से ढककर रखा जाता था ताकि किसी को इसकी भनक न लगे। देशभगत यादगार हाल में गिक्की की श्रद्धाजंलि के लिए रखे समारोह में तो माहौल इतना भावुक हो गया था कि वहां आए लोग व खासकर महिलाएं तक फूट-फूटकर रोने लगीं।

वहीं, इंसाफ के लिए सोशल मीडिया पर भी बड़ी मुहिम चली। फेसबुक पर ‘लेट्स युनाइट टू ब्रिंग गिक्की जस्टिस-आरआइपी गुरकीरत सेखों’ के नाम से पेज बनाया गया। जिसके पर्चे पूरे शहर में चिपकाए गए। शहर में बाजारों व दुकानों पर भी यह पोस्टर लगा लोगों को जुड़ने की अपील की गई। इस ग्रुप में शहर के 16 हजार से ज्यादा लोग जुड़ गए और रोजाना इसके जरिए इंसाफ की मांग की गई। संदीप सिंह संघेड़ा ने माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप में गिक्की सेखों को इंसाफ देने और दोषियों को मौत की सजा देने का बैनर लहराया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.