अप्रैल से प्रदूषण जांच का मैनुअल सर्टिफिकेट होगा अवैध, कटेगा चालान
एक अप्रैल के बाद उनका मैनुअल तरीके से करवाया गया प्रदूषण जांच का सर्टिफिकेट अवैध हो जाएगा।
मनीष शर्मा, जालंधर
राज्य के 1.13 करोड़ वाहन मालिकों के लिए बड़ी खबर है कि एक अप्रैल के बाद उनका मैनुअल तरीके से करवाया गया प्रदूषण जांच का सर्टिफिकेट अवैध हो जाएगा। जिसका पुलिस चालान भी काट सकती है। यह फैसला पंजाब में चल रहे प्रदूषण जांच केंद्रों को वाहन सॉफ्टवेयर के साथ जोड़ने के मद्देनजर लिया गया है। केंद्रों के लिए ट्रांसपोर्ट विभाग ने 31 मार्च की डेडलाइन तय कर दी है। इसके बाद मैनुअल सर्टिफिकेट अमान्य हो जाएंगे और सिर्फ ऑनलाइन वाले ही वैध माने जाएंगे।
पंजाब में पिछले एक साल से प्रदूषण जांच केंद्रों को वाहन से जोड़ने की कवायद की जा रही है लेकिन अभी तक आधे भी केंद्र नहीं जुड़ सके। जिसके बाद यह सख्त कदम उठाया जा रहा है। प्रदूषण जांच केंद्रों की यह देरी गाड़ी के मालिकों पर भारी पड़ेगी क्योंकि अब प्रदूषण का वैध सर्टिफिकेट ना होने पर चालान का जुर्माना भी अब पांच हजार रुपये देना पड़ेगा। मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन के बाद इसे एक हजार से बढ़ाकर पांच गुणा कर दिया गया है। ऑनलाइन सर्टिफिकेट पर आएगा बार कोड
अभी गाड़ियों के प्रदूषण की मैनुअल जांच होती है। उसके सॉफ्टवेयर में प्रदूषण जांच केंद्र के मालिक अपनी मर्जी से प्रदूषण का स्तर घटा लेते हैं। इसका रिकॉर्ड भी उनके ही पास रहता है। नए सिस्टम में प्रदूषण केंद्र का सॉफ्टवेयर सीधे वाहन सॉफ्टवेयर से जुड़ जाएगा। जैसे ही गाड़ी के प्रदूषण की जांच होगी तो उसकी रिपोर्ट प्रदूषण केंद्र के साथ वाहन सॉफ्टवेयर पर भी चली जाएगी। जिसमें छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। ऑनलाइन जांच से जो सर्टिफिकेट निकलेगा, उसमें बार कोड भी आएगा। जिसे स्कैन कर पूरी जानकारी देखी जा सकती है। इसके अलावा गाड़ी का इंजन व चेसिस नंबर भी आएगा। मैनुअल में सिर्फ गाड़ी का ही नंबर आता है। डिजिटल सर्टिफिकेट भी होगा मान्य
अभी मैनुअल तरीके से जो प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट मिलता है, वो कागज के तौर पर साथ रखना पड़ता है। वाहन से जुड़ने के बाद जैसे ही प्रदूषण केंद्र से सर्टिफिकेट बनेगा तो उसे लोग अपने एम-परिवहन मोबाइल एप या डीजी-लॉकर में रख सकते हैं। कहीं पुलिस या परिवहन विभाग जांच करे तो उसे दिखा सकते हैं। उनका चालान नहीं कटेगा। सूबे में 800 से ज्यादा हैं प्रदूषण केंद्र
राज्य में इस वक्त 800 प्रदूषण केंद्र हैं। जो डीजल व पेट्रोल गाड़ियों की जांच करते हैं। हालांकि वाहन सॉफ्टवेयर से जोड़े जाने के बाद डीजल व पेट्रोल गाड़ियों के प्रदूषण जांच के केंद्र दो गिने जाएंगे। वहीं, अभी तक ऑनलाइन जुड़ने की बात करें तो महानगरों की हालत ही बदतर है। जालंधर में लगभग 114 सेंटर हैं लेकिन अभी तक सिर्फ 55 सेंटर ही जुड़े हैं। पटियाला में दस, अमृतसर में तीन, बठिडा में चार व लुधियाना में सिर्फ एक ही सेंटर ऑनलाइन जुड़ा है। बाकी सब मैनुअल ही सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। पंजाब में गाड़ियों की स्थिति
- दोपहिया वाहन - 89,91,004
- कार,जीप,वैन, टैक्सी - 18,50,122
- थ्री-व्हीलर - 97,804
- बस - 21,539
- माल ढोने वाले वाहन - 3,06,086
- अन्य - 69,152
- कुल - 1,13,36,533