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पावरकॉम ने भेजा 1.61 लाख का बिल, फोरम ने रोक लगाकर ठोका जुर्माना Jalandhar News

कंज्यूमर फोरम ने पावरकॉम को 1.61 लाख के अतिरिक्त बिजली बिल वसूली पर रोक लगा दी। वहीं शिकायतकर्ता को हुई परेशानी के बदले बीस हजार हर्जाना भी देने को कहा।

By Edited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 08:00 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 01:25 PM (IST)
पावरकॉम ने भेजा 1.61 लाख का बिल, फोरम ने रोक लगाकर ठोका जुर्माना  Jalandhar News
पावरकॉम ने भेजा 1.61 लाख का बिल, फोरम ने रोक लगाकर ठोका जुर्माना Jalandhar News

जागरण संवाददाता, जालंधर। बंद पड़े मीटर से बिल व खपत का अंतर वसूलने, विरोध जताने पर मीटर उखाड़कर ले जाने व तीन मीटर की सप्लाई काटने के मामले में जिला कंज्यूमर फोरम ने पावरकॉम को 1.61 लाख के अतिरिक्त बिजली बिल वसूली पर रोक लगा दी। पावरकॉम को तुरंत चारों मीटर लगा उनकी सप्लाई बहाल करने के आदेश दिए। वहीं, शिकायतकर्ता को हुई परेशानी के बदले बीस हजार हर्जाना भी देने को कहा।

शाहकोट तहसील के गांव मुध निवासी भाइयों रणजीत सिंह व जगदीश सिंह ने कंज्यूमर फोरम को दी शिकायत में बताया कि उनकी गांव में संयुक्त प्रॉपर्टी है। इसमें बिजली के दो मीटर लगे हैं। एक मीटर शिंगारा सिंह के नाम पर है। कुछ साल पहले उन्होंने रतन सिंह से लाल लकीर में आता घर खरीदा और वहां लगे बिजली मीटर का वो लगातार बिल भरते रहे। इसके बाद उन्होंने 2013 से 2014 के बीच वहां नया घर बना लिया। इस दौरान एक बिजली मीटर निर्माण कार्य के चलते बंद रहा।

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फिर साल 2015 में पावरकॉम ने प्राइवेट ठेकेदार के जरिए बिजली मीटरों को घर से बाहर निकालने का काम शुरू कर दिया। यहां मीटर इंस्टाल करते वक्त ठेकेदार ने गलती कर दी और रतन सिंह के नाम वाला मीटर शिंगारा सिंह और शिंगारा सिंह के नाम वाला मीटर रतन सिंह वाले में जोड़ दिया। जिसके बाद शिंगारा सिंह के नाम वाले मीटर का बिल बहुत ज्यादा आने लगा जबकि यह मीटर शैड पर लगा था। उन्होंने पावरकॉम से शिकायत की लेकिन अफसरों ने कोई बात नहीं सुनी।

दस दिसंबर 2015 को रतन सिंह के नाम वाले मीटर का बिल 1.82 लाख आ गया, जिसमें 1.61 लाख पिछले बकाये के चार्जेस भी जोड़ दिए गए। जब इस बारे में पावरकॉम से पूछा तो उनसे 44 हजार रुपये मांगे तो उन्होंने जमा करा दिए। इसके बावजूद बिजली कनेक्शन काटकर जबरन रतन सिंह के नाम वाले मीटर को उखाड़कर ले गए। इसके बाद उन्होंने उनके यहां लगे दो और मीटरों की भी सप्लाई काट दी। फोरम के नोटिस पर पावरकॉम ने जवाब दिया कि घर खरीदने के बावजूद इन्होंने मीटर का नाम नहीं बदलवाया। वहीं, उन्होंने बिजली के गलत इस्तेमाल की भी बात कही। मीटर के लॉस को ऑडिट पार्टी ने पकड़ा है। जिससे पता चला कि मीटर कम खपत बता रहा था। जिसके बाद पुराने को हटा नया मीटर लगाया गया और वो सही रीडिंग दे रहा है। इसलिए शिकायतकर्ता से वसूला पिछला औसत बिल का बकाया सही है।

जिला कंज्यूमर फोरम के प्रधान करनैल सिंह और मेंबर ज्योत्सना ने कहा कि भले ही बिजली मीटर किसी दूसरे के नाम पर था लेकिन शिकायतकर्ता उसका बिल जमा कर रहे थे, इसलिए उन्हें उपभोक्ता माना जाएगा। फोरम ने पावरकॉम के अगस्त 2013 से अक्टूबर 14 तक की बिजली खपत के तर्क पर कहा कि वो खुद ही पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के नियमों को नहीं मान रहे, जिसके मुताबिक ऐसे हालातों में सिर्फ छह महीने के भीतर ही बिल रिकवर किया जा सकता है। पावरकॉम ने दिसंबर 2015 में बिल भेजा, जो सप्लाई कोड के नियम के मुताबिक नहीं है। ऐसे में यह चार्जेस अवैध हैं। उन्होंने बिना नोटिस बकाया चार्जेस लागू करने को भी सप्लाई कोड का उल्लंघन बताया।


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