Made In India: FIBA ने दी नीविया के बास्केटबाल को अप्रूवल, पहली बार देश में बनी बाल को मिली मंजूरी
Made in Jalandhar Basketball भारत में 1980 में पहली बार नीविया कंपनी ने ही बास्केटबाल का निर्माण किया था। उस समय चमड़े से इसका निर्माण किया जाता था। अब तीस वर्षों की मेहनत के बाद कंपनी की बनाई बास्केटबाल को FIBA ने अप्रूवल दे दी है।
जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। फेडरेशन आफ इंटरनेशनल बास्केटबाल एसोसिएशन (फीबा) ने पहली बार भारत में नीविया द्वारा निर्मित बास्केटबाल को अप्रूवल दी है। इससे पहले फीबा ने किसी भी भारतीय बास्केटबाल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अप्रूवल नहीं दी थी। इसके चलते बास्केटबाल के बाजार में चीन व मलेशिया का कब्जा था। दुनिया के सभी देशों में चीन व मलेशियन कंपनियों द्वारा निर्मित किए जाने वाले बास्केटबालों की ही सप्लाई होती थी।
बास्केटबाल की इजाद 1981 में फिजिकल एजूकेशन के इंस्ट्रक्टर जेम्स नेस्मिथ ने किया था। उसके बाद से तमाम देशों में इसे खेला जाने लगा। पहले चमड़े की सिलाई वाली बास्केटबाल का निर्माण किया जाता था। भारत में 1980 में पहली बार नीविया कंपनी ने ही बास्केटबाल का निर्माण किया था। उस समय चमड़े से इसका निर्माण किया जाता था। 1934 में नीविया कंपनी बनाई गई थी और 1960 में इसका ब्रांड नेम भी नीविया रखा गया। 1991 में नीविया ने देश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर का बास्केटबाल का निर्माण करने के लिए प्लांट लगाया था। उसके बाद हैंड मोल्डेड बास्केटबाल के दिन खत्म हुए और मशीन से इसका निर्माण किया जाने लगा। करीब 30 सालों की मेहनत व रिसर्च के बाद जालंधर ने यह मुकाम हासिल कर ही लिया कि चीन व मलेशिया को चुनौती दे सके।
बाजार में चीन और मलेशिया की कंपनियों से टक्कर
दुनिया की सभी कंपनियां चीन या मलेशिया से ही बास्केटबाल का निर्माण करवाती हैं। जालंधर में यह सिलसिला 15 साल पहले शुरू हो गया था, लेकिन देशी ब्रांड को ही प्रमोट करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी दिलाने की दिशा में यह पहला कदम है जब नीविया को फीबा ने अप्रूवल दी है। जेनेवा से संचालित होने वाली फीबा दुनिया भर के 213 अंतरराष्ट्रीय एसोसिएशनों का संगठन है। बास्केटबाल के सारे नियम व कानून फीबा द्वारा ही बनाए जाते हैं।
विभिन्न साइजों में आने वालेबास्केटबाल का स्टैंडर्ड साइज 7 नंबर होता है। डिस्ट्रिट, स्टेट, नेशनल तथा इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में इसी नंबर के बाल को मंजूरी है। 75 सेंटीमेटर के बास्केटबाल का भार 623.7 ग्राम से 726 ग्राम तक होता है। अभी बनाए जाने वाले बास्केटबाल नायलान से निर्मित किए जा रहे हैं। इससे बाल में जंप ज्यादा हो जाती है। नायलान से बाल बनाने की तकनीकि पहले देश में नहीं थी। नीविया ने पहली बार इस तकनीकी से बाल का निर्माण करने का प्लांट भी लगाया है। नीविया फुटबाल व विभिन्न प्रकार की खेलों की बाल्स के अलावा जूते तथा बास्केटबाल व फुटबाल की सभी प्रकार की एजेसरीज का निर्माण भी करती है।
हमें खुशी है कि हमने कर दिखाया
नीविया के संचालक राजेश खरबंदा (फाइल फोटो)।
नीविया के संचालक राजेश खरबंदा कहते हैं हमें खुशी है कि देश से किए गए वायदे को हमने पूरा कर दिखाया है। तकनीकी व गुणवत्ता के दम पर हम एेसा बास्केटबाल बना पाए जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर चुनोतियों का मुुकाबला करके खरा उतर सके। इसके लिए हमारे तकनीकी सहायक व श्रमिकों का खास धन्यवाद जिन्होंने अथक मेहनत से यह संभव कर दिखाया कि हम मेड इन इंडिया, मेक इन इंडिया के सपने को साकार कर सके।