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गुरमीत बावा के निधन से लोक गायकी के एक युग का हुआ अंत, पूरे पंजाब में छाई शोक की लहर

जार्जिया में एक कायर्क्रम के दौरान गुरमीत ने 48 सेकेंड की लंबी हेक लगाने का रिकाडर् बनाया था। उन्हें देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंहऔर प्रकाश सिंह बादल समेत कई सामाजिक व राजनीतिक शख्सियतों से सम्मान मिल चुका है।

By Vinay KumarEdited By: Published: Mon, 22 Nov 2021 12:25 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 12:25 PM (IST)
गुरमीत बावा ने पंजाबी लोक गायकी से देश विदेश में पंजाबी सभ्याचार को प्रफुल्लित किया था। जागरण

हरदीप रंधावा, अमृतसर। लोक गायिका गुरमीत बावा के निधन से पूरे पंजाब में शोक की लहर दौड़ गई है। कहा जाए तो आज लोक गायकी का एक युग का अंत हो गया है। फतेहगढ़ चूडिय़ां रोड में फेयरलैंड कालोनी में गुरमीत बावा के घर पर उनके पति किरपाल बावा और बेटी ग्लोरी बावा को रिश्तेदार और लोग ढांढस बंधा रहे हैं। गुरमीत बावा ने पंजाबी लोक गायकी से देश ही नहीं बल्कि विदेश तक अपनी आवाज का जादू बिखेरते हुए पंजाबी सभ्याचार को प्रफुल्लित किया है। उन्होंने 48 सेकेंड की लंबी हेक लगाने का रिकार्ड अपने नाम किया है। जार्जिया में एक कार्यक्रम के दौरान गुरमीत बावा ने जब लंबी हेक (सुर) लगाई तो उनकी इस हेक की अवधि को घड़ी के साथ मैच किया और वह हैरान हो गई। इसके बाद उस महिला ने अपनी घड़ी उतारकर उन्हें गिफ्ट कर दी थी। गुरमीत बावा की तीन बेटियां थीं जिनमें से एक की मौत हो चुकी है। बेटी पोपी बावा और ग्लोरी बावा दोनों शादीशुदा हैैं और तीसरी बेटी लाची बावा की 12 फरवरी 2020 को कैंसर की बीमारी की वजह से मौत हो गई थी।

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राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से मिल चुका सम्मान

वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के बाद सेना में मनोरंजन के लिए कोई कलाकार नहीं था। इसके बाद भारत सरकार ने देश भर से विभिन्न कलाकारों का चयन किया था। उनमें गुरमीत बावा का नाम भी प्रमुख था। उन्हें देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंहऔर प्रकाश सिंह बादल समेत कई सामाजिक व राजनीतिक शख्सियतों से सम्मान मिल चुका है। गुरमीत बावा को उनकी गायिकी के लिए पंजाब भाषा विभाग द्वारा शिरोमणि गायिका पुरस्कार, राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनको 1991 में पंजाब सरकार ने केंद्रीय अवार्ड से नवाजा था। पंजाब नाटक अकादमी ने भी उन्हें संगीत पुरस्कार दिया था।

1968 में हुई थी शादी

डेरा बाबा नानक निवासी किरपाल बावा की साल-1968 में गुरमीत बावा से शादी हुई थी जो जिला गुरदासपुर के बटाला स्थित गांव कोठे से थीं। 18 फरवरी 1944 में जन्मी गुरमीत बावा लगभग 55 साल पहले किरपाल बावा से शादी करने के बाद अमृतसर आ गए थे। बावा परिवार सरकारी स्कूल में अध्यापन करते थे। गुरमीत बावा की सुरीली आवाज सुनकर किरपाल बावा ने उन्हें गायकी की तरफ लगा दिया था।

सीएम चन्नी ने जताया शोक

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने ट्विटर पर गायिका गुरमीत बावा के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि गुरमीत बावा के निधन के समाचार से उन्हें गहरा दुख व आघात पहुंचा है। पंजाबी लोक संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनकी संवेदनाएं गुरमीत वाबा के परिवार के साथ हैं।

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