सड़कों की खामियों ने दो साल में ली 84 लोगों की जान
शहर में सड़कों की खामियों की वजह से हर साल कई लोगों को ऐसा दर्द सहना पड़ता है जो उनको जिंदगी भर नहीं भूलता।
सुक्रांत, जालंधर
शहर में सड़कों की खामियों की वजह से हर साल कई लोगों को ऐसा दर्द सहना पड़ता है जो उनको जिदगी भर नहीं भूलता। कई लोगों की जान चली जाती है तो कई लोग जिदगी भर के लिए मिले जख्मों को भरने का प्रयास करते रहते हैं। पिछले दो साल में शहर में सड़कों की खामियों के कारण 386 से हादसे हुए, जिसमें 480 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं और 84 लोगों की जान चली गई।
चंद रुपयों की खातिर नियमों को ताक कर रख कर सड़कें बनाई जाती हैं, जो घटिया सामग्री और बिना योजना के बनने की वजह से जल्दी टूट जाती हैं। इसके अलावा गड्ढों को कई-कई महीनों न भरना और एक लेवल की सड़कें न बनाना भी लोगों को भारी पड़ता है। हद तो तब होती है जब आम लोग भी सरकारी लापरवाही में अपना हिस्सा डालते हैं। नई बनी सड़कों को अपने निजी कार्यक्रमों के लिए बेदर्दी से तोड़ देते हैं या गड्डे बना देते हैं। दुखदायी पहलू तो यह है कि नई बनी सड़कों पर गड्ढे बनाने वाले या उनको तोड़ने वाले लोग इसे रिपेयर भी नहीं करवाते, जिससे थोड़े समय में ही सड़क टूट जाती है और दुर्घटनाएं होती हैं। इसी लापरवाही के चलते सैकड़ों जिदगियां मौत के आगोश में समा चुकी हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही हर साल दर्जनों लोग टूटी, ऊबड़-खाबड़ सड़कों की वजह से या तो अपनी जान गंवा चुके हैं या अपाहिज होकर दूसरों पर आश्रित हो चुके हैं। शहर के हर हिस्से में दिखती है प्रशासन की लापरवाही
शहर के हर हिस्से में टूटी या बिना योजना के बनी सड़कें मिल जाएंगी। गलती सीधे तौर पर नगर निगम की होती है, क्योंकि सड़कें बनाने के ठेके तो निगम दे देता है और बाद में सुध नहीं लेता कि ठेका लेने वाले ने सड़क सही बनाई है या नहीं। नियमों का पूरा पालन किया है या नहीं। यही हालत शहर के मुख्य मार्गो की भी है। टूटी व बिना लेवल की सड़कों पर तेज रफ्तार वाहन अनियंत्रित हो जाते हैं और हादसों का शिकार हो जाते हैं। वहीं लोग भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं। ट्रैफिक पुलिस की तरफ से लगाए गए यातायात नियमों के सूचना पट्ट की अनदेखी कर लोग न सिर्फ अपनी बल्कि दूसरों की जिदगी भी खतरे में डालते हैं। जरा सा समय बचाने के लिए गलत दिशा से निकलना, डिवाइडर को वाहन सहित पार करना और जहां मना किया जा रहा हो वहीं से मुड़ जाना आदि इस लापरवाही में शामिल हैं। इसमें ट्रैफिक पुलिस की भी लापरवाही शामिल है। ट्रैफिक नियम न मानने वाले लोगों पर सख्ती न करना और थोड़े से पैसे लेकर पकड़े लोगों को छोड़ने से भी लोगों में नियमों के प्रति संजीदगी नहीं आ रही।
ये हैं सड़कों की प्रमुख खामियां
- शहर के कई इलाकों की सड़कें या टूटी हुई हैं या नियमों के विपरीत बनी हुई हैं।
- थोड़े से पैसे बचाने के लिए ठेकेदार घटिया सामग्री का प्रयोग करते हैं।
- नियमित रूप से सड़कों की मरम्मत न होना।
- सड़कों में ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं होना। अधर में योजनाएं
- खामियों को दूर करने के लिए बरसाती पानी की निकासी वास्ते स्ट्राम सीवर लाइन के विस्तार की योजना बनाई गई थी, लेकिन आज तक इसका पूरा काम ही शुरू नहीं हो पाया। शहर के वे प्वाइंट्स, जहां हादसे अधिक होते हैं
रामामंडी चौक : 55 हादसे, 69 घायल, 11 मौतें
पीएपी चौक : 48 हादसे, 56 से अधिक घायल, 9 मौतें
नकोदर रोड : 108 हादसे, 180 से अधिक घायल, 37 मौतें
चौगिट्टी चौक : 90 हादसे, 75 घायल, 11 मौतें
फोकल प्वाइंट : 50 हादसे, 55 घायल, 9 मौतें
जालंधर-अमृतसर हाईवे : 35 हादसे, 45 घायल, 7 मौतें
नोट : आंकड़े 2 साल के ये हैं हादसों के कारण
- रामामंडी चौक, पीएपी चौक और चौगिट्टी चौक पर चौक के एक हिस्से से दूसरी तरफ जाने के लिए मुख्य मार्ग ही रास्ता है। यहां से पूरी रफ्तार से वाहन निकलते हैं और मुड़ने वाले वाहनों को देख नहीं पाते।
- फोकल प्वाइंट पर योजना के अभाव में बनी सड़कें मुख्य समस्या हैं। सिक्स लेन बनाने के लिए काम शुरू किया गया, लेकिन एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए लंबा रास्ता तय करने के बजाय लोग डिवाइडर पार करते हैं, जो दुर्घटना का कारण बनते हैं।
- सबसे बड़ी समस्या लोगों को यातायात नियमों की जानकारी न होना है। शहर की मुख्य टूटी सड़कें
- किशनपुरा रोड
- धोगड़ी रोड
- हाईवे की अधिकतर सड़कों पर गड्ढे हैं
- मकसूदां रोड
- शास्त्री मार्केट चौक से कमल पैलेस
-शास्त्री मार्केट चौक से अलास्का चौक
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ये भी हैं दुर्घटनाओं के कारण
- जेल चौक, रेलवे रोड चौक पर ट्रैफिक सिग्नल न होने से भी दुर्घटनाएं होती हैं
- शहर के हाईवे पर खड़े खराब, कंडम वाहन यहां जरूरी हैं ट्रैफिक सिग्नल
- सतलुज सिनेमा चौक
- सुविधा सेंटर टी-प्वाइंट
- कचहरी चौक
- श्री गुरु रविदास चौक
- नंगलशामा चौक
- मिट्ठापुर चौक