जब तक रहेगा मां वैष्णो देवी का दरबार, तब तक जीवित रहेंगे 'चलो बुलावा आया है' गाने वाले नरेंद्र चंचल
Narendra Chanchal Death Anniversary भजन गायक नरेंद्र चंचल पिछले साल 22 जनवरी को मां भगवती के चरणों में विलीन हो गए थे। उनके भजन भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। आज उनके शिष्य वरुण मदान उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर। प्रसिद्ध भजन गायक नरेंद्र चंचल को 22 जनवरी को मां के चरणों में विराजे एक साल होने जा रहा है लेकिन सुरों के माध्यम से वह अब भी भक्तों के दिल में बसते हैं। धार्मिक आयोजनों में नरेंद्र चंचल की भेंटे भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। भजन गायक के निधन के बाद उनके सुरों को उनके शिष्य वरुण मदान जीवंत कर रहे हैं। कोई धार्मिक आयोजन हो या फिर धार्मिक सभा, वरुण मदान दिवंगत नरेंद्र चंचल को श्रद्धांजलि देना नहीं भूलते। भगवती जागरण, माता की चौकी, भजन संध्या और मां के संकीर्तनों में वे स्व. नरेंद्र चंचल के गाए भजन ही गाते हैं। भावुक होकर वरुण कहते हैं कि भौतिक संसार में नरेंद्र चंचल नहीं रहे, लेकिन मां के करोड़ों भक्तों के दिलों में आज भी वह सुरों के रूप में मौजूद हैं।
वरुण बताते हैं कि इस संसार में जब तक मां वैष्णो देवी के दरबार का अस्तित्व रहेगा, तब तक नरेंद्र चंचल 'चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है' भजन के साथ इस संसार में जीवित रहेंगे। इसके अलावा 'मैं तेरे बिना रह नहीं सकदा मां, मैनू तेरी आदत पे गई ए' भेंट भी इस संसार में हमेशा गाई जाती रहेगी।
बचपन से ही लगन, 10 साल पहले बने शिष्य
वरुण बताते हैं कि उनकी लगन मां भजनों में बचपन से ही थी। नरेंद्र चंचल के गाए हर भजन को वह दिन में कई-कई बार सुनते थे। उन्हें भजन गाने का शौक 2001 से ही था, लेकिन 2003 में नरेंद्र चंचल के गाए भजनों की ऐसी लगन लगी कि जब भी वह किसी धार्मिक मंच पर परफार्म करने लगते तो वह नरेंद्र चंचल को अपने संग महसूस करने लगे। वरुण बताते हैं कि गुरु के बिना गति संभव नहीं। इस कारण उन्होंने सिद्ध शक्तिपीठ श्री देवी तालाब मंदिर आए नरेंद्र चंचल से शिष्यता हासिल की। 2011 में गुरु के रूप में नरेंद्र चंचल मिल गए। तब से लेकर अपने गुरु नरेंद्र चंचल को सदैव नतमस्तक होते हैं।
समाज सेवक भी थे नरेंद्र चंचल
वरुण बताते हैं कि वह अपने गुरु को केवल धार्मिक गायकी के लिए ही नहीं बल्कि अपने आप में संस्था होने के नाते भी प्यार करते थे। नरेंद्र चंचल थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों के गॉडफादर थे। फरीदाबाद से संचालित होती फाउंडेशन अगेंस्ट थैलेसीमिया संस्था से जुड़कर उन्होंने थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की मदद के लिए हर संभव प्रयास किया। इसके लिए वह बकायदा माता की चौकी करके बच्चों की मदद के लिए आर्थिक सहायता भी करते रहे।
धार्मिक लेखक बलबीर निर्दोष के साथ थे नजदीकी संबंध
वरुण मदान बताते हैं कि रेलवे रोड पर रहने वाले प्रसिद्ध धार्मिक लेखक दिवंगत बलबीर निर्दोष के साथ नरेंद्र चंचल के नजदीकी संबंध थे। नरेंद्र चंचल ने अपने जीवन में 80 प्रतिशत भजन बलवीर निर्दोष द्वारा लिखे हुए गए थे। यही कारण था कि नरेंद्र चंचल किसी भी आयोजन में बलबीर निर्दोष का नाम लिए बगैर नहीं रहते थे। बलबीर निर्दोष द्वारा लिखित यह भेंटे सदैव गाई जाती रहेंगी।
- मां दिए मूर्तिए हंस के मेरे नाल बोल
- तेरी मूर्ति नहीं बोलदी बुलाया लख वार
- मां ने आप बुलाया ए, हुण मौजा ही मौजा
- शेर ते सवार हो के किधल चली ए, पहले दुख गरीबां दे टाल दे
- झोली ए गरीबां दी भरी ना भरी, माए साडे क्रयार उते शक ना करीं