सिविल अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत को लेकर जांच शुरू
ोगपुर के गांव घोड़ा बाही की गर्भवती महिला की मौत को लेकर सिविल अस्पताल का जच्चा-बच्चा विभाग कटघरे में खड़ा हो गया है।
जालंधर, जेएनएन। भोगपुर के गांव घोड़ा बाही की गर्भवती महिला की मौत को लेकर सिविल अस्पताल का जच्चा-बच्चा विभाग कटघरे में खड़ा हो गया है। जालंधर वेलफेयर सोसायटी के प्रधान सुरिंदर सैनी ने मामले की जांच के लिए डिप्टी कमिश्नर जालंधर को शिकायत की थी। इसके बाद बुधवार को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की सीईओ डॉ. एस अग्रवाल ने जांच शुरू की।
सुरिंदर सैनी ने बताया कि अस्पताल में तमाम सुविधाएं होने के बाद भी मरीज के परिजन उसे लेकर भटकते रहे परंतु जच्चा-बच्चा विभाग की टीम ने जांच पड़ताल की खानापूर्ति की और उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर भेज दिया था। वहां से आने के बाद मरीज तीन निजी अस्पतालों के बाद दोबारा उसे सिविल अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा और गर्भ में पल रहे बच्चे व मां की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि यही सुविधा गर्भवती महिला को पहले मिल जाती तो शायद दो जिंदगियां बच जातीं।
बुधवार को जच्चा-बच्चा विभाग की एसएमओ डॉ. कुलविंदर कौर और सीएचसी आदमपुर के एसएमओ डॉ. बीपीएस रंधावा के भी बयान कलमबद्ध किए गए। सीएचसी काला बकरा से भी गर्भवती महिला का रिकार्ड मंगवाया गया। इसके अलावा सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर में मरीज को ईलाज की सुविधाओं को लेकर रिपोर्ट तलब करने की हिदायतें दी गई हैं। यह पहला मामला नहीं है जब सिविल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हों। इससे पहले भी सिविल अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ पर लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि हर बार जांच के बाद उन्हें क्लीनचिट दे दी जाती रही है। अब इस मामले में क्या कार्रवाई होती है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा।