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जालंधर स्मार्ट सिटी बन भी गया तो भी हर साल बरसात में डूबेगा, जानें क्यों

स्मार्ट सिटी के तहत मात्र ६४ किमी सीवर लाइन ही डाली जाएगी। बाकी 1616 किमी सीवर लाइन के प्रबंधन के जिम्मा नगर निगम के पास ही रहेगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 04:41 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 10:32 AM (IST)
जालंधर स्मार्ट सिटी बन भी गया तो भी हर साल बरसात में डूबेगा, जानें क्यों
जालंधर स्मार्ट सिटी बन भी गया तो भी हर साल बरसात में डूबेगा, जानें क्यों

सत्येन ओझा, जालंधर। एक साल से फाइलों में ही धूल फांक रहा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट जमीन पर उतर भी गया तो स्मार्ट सिटी बरसात के दिनों में पानी में डूबा नजर आएगा। शहर का सीवरेज सिस्टम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है। इसकी कमान निगम के हाथों में ही रहेगी। निगम का हाल ये है कि सीवरेज सिस्टम का कोई रोडमैप तक उपलब्ध नहीं है। 5 जुलाई 1977 को नगर कौंसिल से नगर निगम में तब्दील होने के बाद सीवरेज का मैप कहां गया नहीं पता।

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निगम में इंजीनियर्स की फौज सीवरेज का नया रोडमैप के नाम पर शहर में फैले सीवरेज की कुल लंबाई ही नाप सके हैं। सीवरेज बीच-बीच में कहां अतिक्रमण के कारण बंद हो चुका है, शहर की किस सीवर लाइन का एंड प्वाइंट कहां हैं, किसी को नहीं पता। यही वजह है कि थोड़ी सी बारिश में शहर टापू बन जाता है।

यह है सच

नगर निगम के बिल्डिंग एंड रोड्स विभाग के सुपरिंटेडेंट इंजीनियर किशोर चंद बंसल के अनुसार शहर में 1616 किलोमीटर छोटी बड़ी सीवरेज लाइन का जाल बिछा है। 50 किलोमीटर वर्षा जल ड्रेनेज लाइन शहर में बिछी है। बंसल मानते हैं कि 60-70 प्रतिशत सीवरेज लाइन ठीक चल रही है, जबकि 9 लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर का बड़ा सच ये है कि 40 फीसद से ज्यादा सीवर लाइन अतिक्रमण में गुम हो गई है। किस सीवरेज लाइन का एंड प्वाइंट कहां पर हैं, सीवरेज का पानी कहा गिर रहा है, इसका कोई रिकार्ड नगर निगम में मौजूद नहीं है।

निगम के पास संसाधन भी 40 फीसद सीवर लाइन की सफाई के भी नहीं है। साल में मुश्किल से 400 किलोमीटर सीवर लाइन की ही सफाई हो पाती है। यही वजह है कि बारिश शुरू होते ही शहर टापू बन जाता है, 120 फुटी रोड, लाडोवाली रोड सहित शहर के कई हिस्से कई-कई दिन तक तालाब नजर आते हैं।

स्मार्ट सिटी में क्या
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शहर के सिर्फ 1010 एकड़ एबीडी (एरिया बेस्ट डवलपमेंट) क्षेत्र में ही सीवरेज व ड्रेनेज को प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, जो शहर के कुल क्षेत्रफल का मात्र 4 प्रतिशत है। शेष क्षेत्र में सीवरेज व ड्रेनेज की जिम्मेदारी नगर निगम की होगी। इसकी पुष्टि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के सीईओ व नगर निगम के एडीशनल कमिश्नर विशेष सारंगल ने की है। सारंगल का कहना कि सिर्फ एबीडी क्षेत्र में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सीवरेज लाइन डाली जाएगी। जो 1616 किमी सीवरेज लाइन का सिर्फ 64 किलोमीटर ही है।


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