बटाला में गल घोंटू का मरीज सामने आने से टीकाकरण पर लगा सवालिया निशान
जिला गुरदासपुर के बटाला में गल घोटू (डिपथेरिया) का मरीज रिपोर्ट होने के बाद सेहत विभाग में हडकंप मच गया है।
जालंधर, जेएनएन। जिला गुरदासपुर के बटाला में गल घोटू (डिप्थेरिया) का मरीज रिपोर्ट होने के बाद सेहत विभाग में हडकंप मच गया है। सेहत विभाग और विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। फिलहाल, मरीज सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर में उचाराधीन है। हालांकि सेहत विभाग के अधिकारी मामले को लेकर कन्नी कतरा रहे हैं। बता दें कि इससे पहले इस साल जिला होशियारपुर के दसूहा में डिपथेरिया का मरीज सामने आया था।
जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले करीब 11 साल की लड़की को गले में गंभीर इंफेक्शन होने के साथ गले में दर्द व बुखार था। परिजनों ने उसे निजी डॉक्टर से जांच करवाने के बाद सरकारी अस्पताल में संपर्क किया। डॉक्टरों ने मामला गंभीर देखते हुए उसे सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर में दाखिल करवाया। सिविल सर्जन गुरदासपुर डॉ. किशन चंद का कहना है कि लड़की में डिप्थेरिया के लक्षण पाए गए हैं। मरीज का परिवार राजस्थान से संबंधित है। लड़की को टीकाकरण होने का भी कोई रिकॉर्ड नहीं है। उसके सैंपल लेकर जांच की जा रही है। एहतियातन मरीज के घर के आसपास सेहत विभाग की टीमें सर्वे के लिए भेज दी गई हैं।
स्टेट टीकाकरण अधिकारी डॉ. जीबी सिंह ने भी कहा है कि डिप्थेरिया का मरीज मिलने की सूचना मिली है। उन्होंने कहा कि पंजाब में टीकाकरण की दर 95 फीसद है। पंजाब में बच्चों को डिप्थेरिया होने के चांस नहीं है। बच्चा राजस्थान का है और उसका टीकाकरण भी नहीं हुआ है। उसकी सरकारी मेडिकल कॉलेज में जांच-पड़ताल चल रही है।
उधर, फिल्लौर से मिले डिपथेरिया के संदिग्ध लड़की का फोर्टिस मोहाली में इलाज चल रहा है। उसकी दिल की बीमारी का ईलाज चल रहा है और उसकी हालत स्थिर होने के बाद डिपथेरिया की जांच करवाने के लिए सैंपल लिए जाएंगे।
इस कारण होती है डिप्थेरिया की बीमारी
जिन बच्चों को सही समय पर टीकाकरण न करवाया, कुपोषित, ज्यादा भीड़ वाले इलाके व गंदगी भरे माहौल में रहने वाले बच्चों को डिप्थेरिया रोग होने का खतरा अधिक होता है ।
टीकाकरण विवरण
- डिपथेरिया, टेटनस और परट्यूसिस से बचाव के लिए (डीपीटी)
- बच्चे की 6 सप्ताह की आयु में पहली खुराक
- 10 सप्ताह की आयु में दूसरी खुराक
- 14 सप्ताह की आयु में तीसरी खुराक
- 15 से 18 माह आयु में पहली बुस्टर खुराक
- 5 साल की आयु में दूसरी बुस्टर खुराक
- 10 साल की आयु में तीसरी बुस्टर खुराक
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