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यहां की हर दीवार पर है ज्ञान का भंडार, बच्चे खुद करते हैं देखभाल

डीएवी स्कूल जालंधर की लाइब्रेरी की खास बात यह है कि यहां की 22 हजार पुस्तकों में ही ज्ञान ही नहीं समेटे है, बल्कि यहां की हर दीवार भी ज्ञान का भंडार है।

By Sat PaulEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 12:16 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:07 AM (IST)
यहां की हर दीवार पर है ज्ञान का भंडार, बच्चे खुद करते हैं देखभाल
यहां की हर दीवार पर है ज्ञान का भंडार, बच्चे खुद करते हैं देखभाल

[सत्येन ओझा, जालंधर] बच्चे सिर्फ चंचल प्रवृत्ति के ही नहीं होते, उनको सही दिशा मिले तो वे वो काम भी कर दिखाते हैं, जो बड़े नहीं कर पाते हैं। पुलिस डीएवी पब्लिक स्कूल की लाइब्रेरी बच्चों की इसी सोच का प्रतीक बन गई है। खास बात ये है कि ये लाइब्रेरी अपनी 22 हजार पुस्तकों में ही ज्ञान, विज्ञान व संस्कार का खजाना नहीं समेटे है, बल्कि यहां की हर दीवार भी ज्ञान का भंडार है। दीवारों पर बनी आकृतियां खुद व खुद बोलती नजर आती हैं। दीवार पर एक नजर भर डालें, शहर में आने वाले हर अखबार आइने की तरह आपके सामने होंगे, ब्रह्मांड की सरंचना, आर्य समाज के प्रवर्तक से लेकर धर्म पताका फहराने वाले गुरुजन, बच्चों के आदर्श पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आजाद जैसी बच्चों की तमाम प्रेरक हस्तियां आपके सामने होंगी। इन्हें वॉटर कलर के माध्यम से बेहद खूबसूरती से दीवारों पर उकेरा गया है।

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रामायण, महाभारत, गीता भी पढ़ते हैं बच्चे

90 साल पुरानी गीता प्रेस गोरखपुर को लेकर तमाम बातें इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, लेकिन गीता प्रेस के बदलते स्वरूप की असल तस्वीर डीएवी पब्लिक स्कूल की लाइब्रेरी में मौजूद है। गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित रामायण, महाभारत, गीता की छोटी-छोटी पुस्तकें यहां मौजूद हैं। इन पुस्तकों में कहानियों के रूप में मौजूद रामायण, महाभारत व गीता की कहानियां बच्चे हर रोज यहां बड़े चाव से पढ़ते हैं।

ताले में बंद नहीं हैं पुस्तकें

आम तौर पर स्कूलों की लाइब्रेरी में पुस्तकें अलमारियों में बंद रहती हैं। पुलिस डीएवी स्कूल की लाइब्रेरी की खास बात ये है कि यहां 22 हजार पुस्तकें हैं, अमर चित्रकथा, चंपक जैसी बच्चों की सबसे लोकप्रिय कॉमिक सीरीज से लेकर सामान्य ज्ञान, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, इनफॉमेर्शन टेक्नोलॉजी, एनसाइक्लोपीडिया से संबंधित बहुमूल्य पुस्तकें मौजूद हैं। बावजूद इसके किसी लाइब्रेरी में ताला नहीं लगा है। बच्चे अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी पुस्तक पढऩे के लिए ले सकते हैं। उन पर किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं है।

पुस्तकें पढऩे का बढ़ रहा रुझान

स्कूल प्रिंसिपल डॉ. रश्मि विज ने कहा कि चार साल पहले बच्चों द्वारा स्थापित लाइब्रेरी को खुद बच्चों ने खूबसूरती से संभालकर रखा है। पुस्तकें पढऩे से बच्चों की भाषा, ज्ञान, सामान्य ज्ञान बढ़ रहा है। खास बात है कि पूरा क्रिएशन बच्चों का है। उसे उन्होंने बड़े सलीके से संभालकर रखा है। इससे बच्चों में पुस्तकें पढऩे का रुझान बढ़ा है।


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