CT Institutions के प्रोफेसर ने बनाया स्ट्रीट सोलर लाइट सिस्टम, जानिए क्या है खासियत
यह सिस्टम बिजली उत्पन्न करने के लिए सूर्य से प्रकाश ऊर्जा को परिवर्तित करता है। इससे मॉडयूल में पैदा होने वाले करंट से बैटरी को चार्ज करने में किया जाता है।
जालंधर, जेएनएन। सीटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस (मकसूदां) की रिसर्च टीम के असिस्टेंट प्रो. नवदीप सिंह ने स्ट्रीट सोलर लाइट सिस्टम तैयार किया है। लाइट सिस्टम में एक सौर पैनल मॉडयूल शामिल किया गया है, जो प्रत्यक्ष करंट (डीसी) के रूप में बिजली उत्पन्न करने के लिए सूर्य से प्रकाश ऊर्जा (फोटॉन्स) को परिवर्तित करता है। मॉडयूल को ऐसे तैयार किया गया है जिसमें अधिक से अधिक धूप मिल सके। इससे मॉडयूल में वोल्टेज और करंट पैदा होता है, जिसका उपयोग बैटरी को चार्ज करने में किया जाता है। बैटरी में मौजूद ऊर्जा का उपयोग रात के समय में एलईडी को प्रकाश लाने के लिए किया जाता है।
नवदीप ने बताया कि सिस्टम में चार्ज कंट्रोलर भी होता है, जिसका प्रयोग बैटरियों की चार्जिंग को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। सौर पैनलों से आउटपुट परिवर्तनशील होते हैं और समायोजन की आवश्यकता होती है। सौर पैनलों से बैटरी की ओवरचार्जिंग को रोकना, बैटरी को ओवरलोड करने से रोकना और लोड की कार्यक्षमता को नियंत्रित करना है। चार्ज कंट्रोलर बैटरी को ओवरचार्ज और गहरे डिस्चार्ज से बचाता है। सीटी ग्रुप के एमडी मनबीर सिंह और मकसूदां कैंपस की डायरेक्टर डॉ. जसदीप कौर धामी ने युवाओं को शोध आधारित गतिविधियां करने के लिए प्रोत्साहित किया।
पहले भी टीम ने तैयार किया था रिचार्जेबल सैनिटाइजर बेटन
इससे पहले भी सीटी ग्रुप मकसूदां कैंपस की रिसर्च टीम के असिस्टेंट प्रो. नवदीप सिंह, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रो. विकास कुमार ने रिचार्जेबल एंड पोर्टेबल यूवीसी सैनिटाइजर बेटन (छड़ी) बनाने में कामयाबी हासिल की थी। कोरोना काल में इससे मोबाइल व इस जैसे अन्य उपकरण रोगाणु मुक्त करने में मदद मिलेगी। प्रो. नवदीप और प्रो. विकास ने कहा कि यह प्रोजेक्ट अल्ट्रावॉयलेट सीएलईडी स्ट्रिप पर अधारित है, जो बैक्टीरिया, वायरस आदि रोगजनकों के डीएनए को निष्क्रिय कर कर देता है। यह बेटन (छड़ी) प्रोजेक्ट छह हजार एमएचएच की बैटरी से लैस है, जो सामान्य माइक्रो-यूएसबी चार्जर के साथ सिंगल फुल चार्ज होने पर लगभग पांच से छह घंटे की बैटरी का बैकअप देता है।