एमएसपी से 34 फीसद तक ज्यादा भाव पर बिक रहा नरमा, गुलाबी सुंडी के हमले से फसल को बड़ा नुकसान
ऐसा पहली बार हुआ है कि नरमा का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से 34 फीसद तक ज्यादा मिल रहा है। केंद्र सरकार ने इस बार नरमे का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 5726 रुपये निर्धारित किया है। मंडियों में नरमा प्रति क्विंटल 7000 से 7700 रुपये तक बिक रहा है।
गुरप्रेम लहरी बठिंडा। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में मांग बढ़ने से इस बार नरमे (कपास) की कीमत में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है। ऐसा पहली बार हुआ है कि नरमा का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 34 फीसद तक ज्यादा मिल रहा है। केंद्र सरकार ने इस बार नरमे का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 5726 रुपये निर्धारित किया है। इसके विपरीत मंडियों में नरमा प्रति क्विंटल 7000 से 7700 रुपये तक बिक रहा है। वैसे भी नरमा 7700 रुपये पर कभी नहीं गया। दस साल पहले 2011 में नरमे की फसल सात हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिकी थी, जबकि 2014 में इसकी कीमत अधिकतम कीमत 6725 रुपये प्रति क्विंटल रही थी।
पंजाब राज्य में वर्ष 2020 में 2.51 लाख हेक्टेयर में नरमे की खेती हुई थी, जबकि इस साल 3.03 लाख हेक्टेयर में नरमे की बिजाई की गई था। काटन कार्पोरेशन आफ इंडिया के सहायक मैनेजर नीरज कुमार का कहना है कि पिछले साल करीब 50 लाख क्विंटल नरमे की पैदावार हुई थी। इस बार रकबा बढ़ने से 60 से 65 लाख क्विंटल पैदावार होने की उम्मीद थी, लेकिन गुलाबी सुंडी के हमले के कारण नरमे की पैदावार इस बार भी 50 लाख क्विंटल तक रह जाएगी। अभी तक नरमे की चुगाई दो बार ही हुई है। इसमें कम पैदावार का असर दिखाई देने लगा है। कृषि विशेषज्ञों ने भी सुंडी के हमले के कारण पैदावार में कमी की आशंका है, जबकि किसानों का कहना है कि गुलाबी सुंडी से फसल का 50 से 80 फीसद तक नुकसान हुआ है।
गुलाबी सुंडी के हमले से बठिंडा व मानसा जिले में नरमे की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित हुई। अब श्री मुक्तसर साहिब व बरनाला जिले में इसका असर दिख रहा है। जिन दूसरे जिलों में नरमा अधीन रकबा बहुत कम है, इसलिए वहां इसका असर भी काफी कम है।
किसान बोले-गुलाबी सुंडी से नरमे की फसल को 80 फीसद नुकसान
बठिंडा की अनाज मंडी में अपनी नरमे की फसल लेकर आए गांव कोटभारा के किसान जसवंत सिंह ने बताया कि उनकी फसल का 80 फीसद नुकसान हुआ है। दस एकड़ में महज दस क्विंटल ही पैदावार हुई है। आढ़तिया एसोसिएशन के चेयरमैन दीवान चंद अग्रवाल का कहना है कि गुलाबी सुंडी के कारण अब तक जो नरमे की फसल आई है, उसकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं है।
फसल खराब होने से आठ नरमा किसान दे चुके जान
बठिंडा व मानसा दो जिले ऐसे हैं, जहां पर नरमे पर गुलाबी सुंडी का हमला सबसे ज्यादा है। यह ही वजह है कि अब तक इन जिलों के आठ किसान खुदकुशी कर चुके हैं। 27 सितंबर को मानसा के गांव ख्याला कलां के किसान राजिंदर सिंह, 28 सितंबर को बठिंडा के गांव कोटली के किसान बबली सिंह, इसी दिन गांव जगा राम तीर्थ के किसान महिंदर सिंह, 29 सितंबर को बठिंडा के गांव चट्ठेवाला के किसान जसपाल सिंह, 30 सितंबर को मानसा जिले के गांव बनांवाली के किसान सुखमंदर सिंह, 2 अक्टूबर को बठिंडा के गांव महमा सरजा के किसान रूप सिंह, 4 अक्टूबर को बठिंडा के मंडी कला के किसान कुलवंत सिंह तथा 7 अक्टूबर को मानसा के जिले के घुद्दूवाला के किसान दर्शन सिंह ने खुदकुशी कर ली। इन नरमा को किसानों की फसल को गुलाबी सुंडी से काफी नुकसान हुआ था।