Punjab Roadways strike: जालंधर में कांट्रेक्ट मुलाजिमों ने घेरा विधायक परगट सिंह का घर, मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन
जालंधर में पंजाब रोडवेज पनबस व पीआरटीसी कांट्रेक्ट कर्मचारियों ने लंबित मांगों को लेकर विधायक परगट सिंह का घर रविवार को घेर लिया। यूनियन के प्रधान चानन सिंह ने कहा है कि हड़ताल को 6 दिन हो चुके हैं। सरकार कोई हल नहीं कर रही है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर में पंजाब रोडवेज, पनबस, पेप्सू रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (पीआरटीसी) के कांट्रेक्ट मुलाजिमों ने लंबित मांगों को लेकर रविवार को विधायक परगट सिंह का घर घेरा। कर्मचारियों ने रोष प्रदर्शन बस स्टैंड से शुरु कर विधायक के घर पर खत्म किया। बारिश में कर्मचारियों का हौंसला पस्त नहीं हुआ। कर्मचारी पंजाब सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाते रहे। कर्मचारियों की मांगों को सुनने के लिए विधायक परगट सिंह घर से बाहर निकल आए। विधायक ने कर्मचारियों की मांगों को सुना और जल्द हल करवाने का आश्वास दिया।
उन्होंने कहा कि मांगों को पहल के आधार पर हल करवाने की कोशिश करेंगे।। 14 सितंबर को मुख्यमंत्री के साथ कर्मचारियों की बैठक है। मीटिंग में मुझे बुलाया गया तो मांगों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखेंगे और हल करवाने की बात कहेंगे। यूनियन के प्रधान गुरप्रीत सिंह व महासचिव चानन सिंह ने कहा कि लंबित मांगों को लेकर विधायक परगट का घर घेरा गया था। विधायक ने मांगों को पहल के आधार पर हल करवाने का आश्वासन किया है। उम्मीद है कि 14 सितंबर को मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक में कोई हल निकल आए। मीटिंग में मांगों का हल नहीं निकलता तो यूनियन अगली रणनीति तैयार करेगी। संघर्ष तेज किया जाएगा। हाईवे जाम किया जा सकता है। अगर कोई नुकसान होता है तो जिम्मेवारी सरकार की होगी।
सात दिनों में 2100 बसों का चक्का जाम
सात दिनों में 2100 बसों का चक्का जाम रहा। छह हजार से अधिक ठेका कर्मचारी सरकारी की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे है। हड़ताल के कारण विभाग को होने वाला ट्रांजैक्शन लॉस 14 करोड़ तक पहुंच गया है। सरकार मांगों को गंभीरता से नहीं लेती है तो लॉस इससे अधिक हो सकता है।
बसों में सवारियां रही कम
सातवें दिन हड़ताल व बारिश होने की वजह से सवारियां भी कम दिखी। बरसाती पानी जगह-जगह पर एकत्रित होने की वजह से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। रविवार को भी 80 फीसद यात्री कम रहें।
महानगर के शहीद ए आजम भगत सिंह इंटर स्टेट बस टर्मिनल पर यात्री कम दिखे। निजी के अलावा सरकारी बसें भी नाममात्र सवारी के साथ ही गंतव्य के लिए रवाना हुई।
ये है कर्मचारियों की मांगें
- सरकारी बसों की गिनती दस हजार की जाए।
- ठेके पर रखे गए कर्मचारियों को स्थायी किया जाए।
- प्राइवेट बसों के सरकारी रूटों को बंद किया जाए।