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दस्तावेजों में कमी बता इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया था क्लेम, अब ब्याज समेत देना होगा Jalandhar news

गुरु नानकपुरा ईस्ट निवासी रक्षावती ने फोरम को शिकायत दी कि उनके पति हरीकृष्ण पंजाब सरकार में सरकारी कर्मचारी थे। जहां पंजाब सरकार ने उनका कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस कराया था।

By Edited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 08:19 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 10:02 AM (IST)
दस्तावेजों में कमी बता इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया था क्लेम, अब ब्याज समेत देना होगा Jalandhar news
दस्तावेजों में कमी बता इंश्योरेंस कंपनी ने नहीं दिया था क्लेम, अब ब्याज समेत देना होगा Jalandhar news

जालंधर, जेएनएन। दस्तावेजों में कमी का बहाना बना इंश्योरेंस कंपनी ने सरकारी कर्मचारी की पत्नी को इलाज का खर्च नहीं दिया। मामला जिला कंज्यूमर फोरम पहुंचा तो फोरम ने अब शिकायतकर्ता की अदायगी के दिन से 12 फीसद ब्याज समेत यह राशि देने को कहा। इसके साथ ही 15 हजार का हर्जाना व केस खर्च भी देने को कहा है। गुरु नानकपुरा ईस्ट निवासी रक्षावती ने फोरम को शिकायत दी कि उनके पति हरीकृष्ण पंजाब सरकार में सरकारी कर्मचारी थे। जहां पंजाब सरकार ने उनका कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस कराया था। इस लिहाज से वो भी इस इंश्योरेंस के दायरे में आती थीं।

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इसके बाद वो बीमार हो गई और आठ सितंबर 2016 को वो बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती हुई और 23 नवंबर 2016 को उन्हें डिस्चार्ज किया गया। उन्होंने इसका 34,081 रुपये का बिल अदा कर दिया। इसके बाद सभी असली बिल, पेमेंट की रसीद, रिपोर्ट समेत सभी दस्तावेज उन्होंने क्लेम के लिए जमा कर दिए लेकिन उन्हें क्लेम नहीं दिया गया।

फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी को नोटिस निकाला तो उन्होंने जवाब दिया कि क्लेम के दौरान उन्होंने एमआरआइ, सीटी स्कैन जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं दिए। यहां तक कि अस्पताल ने भी इलाज के बारे में रिकॉर्ड नहीं दिया। इस बारे में उन्हें फोन पर सूचना भी दी गई लेकिन दस्तावेज ना मिलने से केस को आगे क्लेम के लिए नहीं बढ़ाया जा सका। फोरम ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि एक तरफ कंपनी कह रही है कि दस्तावेज नहीं मिले और दूसरी तरफ 25 मार्च 2017 को इसे नो क्लेम कहकर बंद कर दिया गया।

फोरम ने सवाल उठाया कि अगर शिकायतकर्ता पर्याप्त दस्तावेज नहीं दे पा रहीं थी तो क्लेम खारिज करने में इतना समय क्यों लिया गया?। इसे तुरंत खारिज किया जाना चाहिए था। वहीं, कंपनी कह रही है कि उन्होंने टेलीफोन पर बकाया दस्तावेजों के लिए सूचना दी लेकिन इसके बारे में कोई सुबूत नहीं दिया गया। अगर उन्हें दस्तावेज चाहिए थे तो इस बारे में लिखित में मांगा जाना चाहिए था। इसके बाद फोरम ने कंपनी को आदेश दिए कि वो शिकायतकर्ता को ब्याज समेत इलाज खर्च लौटाए। साथ ही दस हजार का मानसिक खर्च और पांच हजार केस खर्च भी दे।

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