जालंधर में कांग्रेस नेता मोहिंदर केपी की घर वापसी की कवायद, कमजोर कड़ियों पर सियासी फील्डिंग लगा रहे करीबी
कांग्रेस के दिग्गज नेता मोहिंदर सिंह केपी ने घर वापसी की कवायद शुरू कर दी है। केपी के करीबी लोगों ने एक बार फिर से जहां-जहां पर केपी की पकड़ कमजोर पड़ चुकी थी वहां-वहां पर सियासी फील्डिंग लगानी शुरू कर दी है।
जालंधर, मनोज त्रिपाठी। कांग्रेस के दिग्गज नेता मोहिंदर सिंह केपी ने घर वापसी की कवायद शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक केपी इस बाबत कोई भी जानकारी नहीं दे रहे हैं, लेकिन उनके करीबी लोगों ने एक बार फिर से जहां-जहां पर केपी की पकड़ कमजोर पड़ चुकी थी, वहां-वहां पर सियासी फील्डिंग लगानी शुरू कर दी है, ताकि स्थिति को बेहतर किया जा सके।
केपी पहले जालंधर वेस्ट हलके से विधानसभा चुनाव लड़ा करते थे। इनको 2014 के लोकसभा चुनाव में जालंधर से कांग्रेस ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उसके बाद केपी होशियारपुर और आदमपुर से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। अब वह फिर से शहर में एक्टिव हो गए हैं। उनकी कोशिश है कि विधानसभा चुनाव से पहले वह अपनी मजबूत पकड़ बना लें। उनकी पकड़ ही उनकी पुश्तैनी व घरेलू सीट पर दावा ठोकने में मददगार साबित होगी।
सड़क की परतें 'खोदेंगे' नेता जी
मकसूदां से सूरानुस्सी होते हुए विधिपुर तक जाने वाली सड़क कभी शहर की मुख्य सड़क होती थी। पीएपी चौक से होते हुए संविधान चौक (बीएमसी), गुरु नानक मिशन चौक, चिकचिक चौक, कपूरथला चौक, वर्कशाप चौक और डीएवी कालेज होते हुए मकसूदां से विधिपुर तक निकलने वाली सड़क दो दशक तक खस्ता हालत में थी। खास तौर पर मकसूदां से विधिपुर तक। सरकार ने कुछ समय पहले इस सड़क का पुनर्निर्माण करवा दिया है।
लोग खुश हैं, लेकिन प्लानिंग के हिसाब से सड़क बनाने के मामले को लेकर एक नेता जी की नजरें सड़क पर गड़ चुकी हैं। अब सड़क का रिकार्ड खंगाला जा रहा है। जालंधर से लेकर चंडीगढ़ तक सड़क के चर्चे हैं कि आखिर काली सड़क में ऐसा क्या सफेद हो गया है कि नेता जी शहर की तमाम सड़कों को छोड़कर केवल इसके पीछे पड़े हैं। जल्द ही नेता जी इस सड़क की परतें खोदने वाले हैं।
पद्मश्री परगट सिंह का पेनल्टी स्ट्रोक
हाकी के मैदान को छोड़कर सियासी मैदान में अपनी पारी खेलने वाले पद्मश्री परगट सिंह अब सियासत की बारीकी सीख गए हैं। हाकी के मैदान में परगट की 'सियासत' से आम लोग परिचित नहीं हैं, लेकिन उनके साथ हाकी खेल चुके तमाम खिलाड़ी भलीभांति जानते हैं कि परगट की सियासत को पकड़ पाना मुश्किल काम है। यही वजह है कि हाकी का मैदान छोड़ने के बाद सियासतदानों के मैदान में परगट तमाम विरोधों के बाद भी अपना सिक्का जमाए हुए हैं।
अभी हाशिए पर चल रहे नवजोत सिंह सिद्धू के साथ परगट सिंह की नजदीकियां सभी को मालूम है। बीते दिनों जब नवजोत सिद्धू की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मुलाकात होनी थी तो लोगों की नजरों में परगट नदारत थे, लेकिन सिद्धू के हर एक्शन पर परगट की पल-पल नजरें गड़ी हुई थीं। चंडीगढ़ में मौजूद रहकर परगट ने बैकफुट पर खेलते हुए सिद्धू को पूरा समर्थन दिया।
विधायक घर के अंदर, पब्लिक बाहर
जालंधर वेस्ट हलके में समस्याओं की भरमार है। विधायक बनने के बाद सुशील रिंकू ने तमाम समस्याओं का समाधान करवाया है, लेकिन अभी भी तमाम काम होने बाकी हैं। रिंकू कोरोना पाजिटिव आने के बाद दो सप्ताह से ज्यादा समय से घर में क्वारंटाइन हैं। उनके घर में होने के चलते हलके की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। नतीजतन लोगों को घर के बाहर निकल कर समस्याओं के समाधान के लिए नगर निगम दफ्तर में धरने देने पड़ रहे हैं।
हलके की तमाम कालोनियों में सीवरेज व पीने के पानी की समस्या से सभी वाकिफ हैं। दो सप्ताह से लोगों की मांग के बाद भी नगर निगम दोनों ही समस्याओं का समाधान नहीं करवा पा रहा है। अब लोगों को भी समझ में आ रहा है कि विधायक कितने सक्रिय थे या फिर उनकी अदूरदर्शिता थी कि समय रहते इलाके की समस्याओं का समाधान नहीं करवा पाए।