जालंधर में वैक्सीनेशन को लेकर प्रतिस्पर्धा, निजी अस्पतालों में 1500 तो जिला प्रशासन के सेंटरों में लिए जा रहे 542 रुपये
जालंधर में कोरोना वैक्सीन को लेकर निजी अस्पतालों में प्रतिस्पर्धा की जंग छिड़ गई है। शहर के निजी अस्पताल कोवैक्सीन की एक डोज 1500 रुपये में लगा रहे हैं। निजी अस्पतालों में महंगी वैक्सीन होने के कारण लोग सरकारी अस्पतालों में सप्लाई आने का इंतजार कर रहे है।
जालंधर, जेएनएन। जालंधर में कोरोना वैक्सीन को लेकर निजी अस्पतालों में प्रतिस्पर्धा की जंग छिड़ गई है। निजी अस्पतालों ने वैक्सीन लगाने के लिए लोगों को मैसेज भेजने शुरू कर दिए। इन संदेशों में लोगों को पहली व दूसरी डोज का अंतराल पूरा होने से पहले ही दूसरी डोज लगा देने के दावे किए जा रहे हैं। साथ ही अस्पतालों के रेट में भी भारी अंतर है। शहर के निजी अस्पताल कोवैक्सीन की एक डोज 1500 रुपये में लगा रहे हैं जबकि वहीं डोज पिम्स 1200 में लगा रहा है। जिला प्रशासन की तरफ से बनाए गए तीन सेंटरों में 542 रुपये लिए जा रहे हैं और सरकारी में वैक्सीन मुफ्त है। निजी अस्पतालों में महंगी वैक्सीन होने के कारण लोग सरकारी अस्पतालों में सप्लाई आने का इंतजार कर रहे है। 18+ से अधिक उम्र के लोगों को एक सप्ताह से मुफ्त डोज नहीं लगी।
उधर, जिले के दस निजी अस्पतालों को 18-44 साल आयु वर्ग के लिए 1200 डोज कोवैक्सीन मिली है लेकिन लोग अस्पतालों में नहीं आ रहे। एक महिला ने बताया कि निजी अस्पताल से उन्हें कोविशील्ड की दूसरी डोज लगवाने के लिए फोन आया। जब उन्होंने कहा कि 84 दिन पूरे नहीं हुए तो अस्पताल की तरफ से कहा गया कि वे पहले आकर भी टीका लगवा सकते हैं। पड़ताल की तो पता चला कि अस्पताल को कोविशील्ड के बजाय कोवैक्सीन की सप्लाई हुई है। अगर वह पड़ताल न करती तो उसे दूसरी डोज कोवैक्सीन की ही लगा दी जाती। रेट के अंतर को लेकर जिला टीकाकरण अधिकारी डा. राकेश चोपड़ा ने बताया कि सरकार ने विभिन्न संस्थानों को वैक्सीन देने के रेट निर्धारित किए है। लोगों को वैक्सीन किस रेट पर लगनी है, वह अस्पताल ही तय कर रहे हैं।
पहले प्रशासन टीका लगा लें, हम बाद में लगाएंगे
आईएमए वरिष्ठ उपप्रधान डा. नवजोत सिंह दहिया ने बताया कि दस अस्पतालों को 1200 टीके मिले लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से कम रेट पर वैक्सीन लगाए जाने के कारण अभी टीकाकरण शुरू नहीं किया।
1060 में टीका मिला, इसलिए 1500 रुपये ले रहें, लोग नहीं आ रहे
आइएमए के प्रेस सचिव डा. एसपीएस ग्रोवर ने बताया कि निजी अस्पतालों को कोवैक्सीन की एक डोज 1060 रुपये में मिली है। उसी कारण 1500 रुपये में टीका लगाने का फैसला किया गया। वैक्सीन महंगी होने के कारण लोगों का उत्साह ठंडा हो गया है। निजी अस्पतालों में काफी कम लोग आ रहे है।
विदेश जाने वालों की जेनेसिस अस्पताल में लगी होड़, पहले दिन पहुंचे 350
इधर जेनेसिस अस्पताल के एमडी डा. लखविंदर सिंह ने बताया कि पहले दिन 350 लोग कोविशील्ड लगवाने पहुंचे। विदेश जाने वाले लोग बड़ी संख्या में आए। उन्होंने बताया कि कोवैक्सीन विदेेश में अभी मान्य नहीं की गई। उसे डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिली, इसलिए लोग कोविशील्ड लगवा रहे हैं।
18-44 उम्र वर्ग के लोग सबसे ज्यादा परेशान, एक सप्ताह से नहीं आई फ्री डोज की सप्लाई
वैक्सीन के लिए 18-44 उम्र वर्ग के लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं। सरकारी में मुफ्त वैक्सीन एक सप्ताह से नहीं आई और निजी अस्पतालों के रेट काफी ज्यादा है। प्रशासन के तीनों सेंटर में भी सभी स्लाट पहले ही दिन बुक हो गए थे। बुधवार को भी इस आयु वर्ग के लोगों को मुफ्त लगने वाली वैक्सीन का स्टाक नहीं आया। सरकारी सेंटरों में 45 साल से अधिक आयु वर्ग के लोगों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड की डोज पर्याप्त लग भी रही है और टीके पहुंच भी रहे हैं। जिला टीकाकरण अधिकारी डा. राकेश चोपड़ा ने बताया कि बुधवार को 54 सेंटरों में 2860 लोगों को टीका लगा।