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रेगुलराइजेशन पॉलिसी फेल, कालोनाइजर मंत्री से करेंगे फीस और शर्ते कम करने की मांग

कालोनाइजर्स की मांग है कि पंजाब में दिल्ली जैसी पॉलिसी लाई जाए। बिना फीस लिए कालोनियां रेगुलर हो और प्लॉटों के लिए एनओसी लेने की फीस भी कम की जाए।

By Edited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 08:04 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 09:15 AM (IST)
रेगुलराइजेशन पॉलिसी फेल, कालोनाइजर मंत्री से करेंगे फीस और शर्ते कम करने की मांग
रेगुलराइजेशन पॉलिसी फेल, कालोनाइजर मंत्री से करेंगे फीस और शर्ते कम करने की मांग

जालंधर, जेएनएन। अवैध कालोनियों की रेगुलराइजेशन और अवैध बिल्डिंगों की वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी में बदलाव की मांग को लेकर प्रॉपर्टी कारोबारी जल्द ही लोकल बॉडी मंत्री से मिलेंगे। प्रॉपर्टी कारोबार में मंदे के कारण कालोनियों के लिए आई रेगुलराइजेशन पॉलिसी और अवैध बिल्डिंगों को रेगुलर करने के लिए आई वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी सफल नहीं हो पाई है। वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी को तो विरोध के बाद रिव्यू के लिए वापस ले लिया था। रिव्यू हुए तीन महीने हो चुके हैं लेकिन अभी तक पॉलिसी दोबारा जारी नहीं की गई है। प्रॉपर्टी कारोबारी एक बार फिर एकजुट हो रहे हैं और दोनों ही पॉलिसी को लेकर सरकार के समाने अपनी मांगे रखेंगे।

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इसे लेकर राज्य के बड़े कारोबारियों ने आपस में चर्चा की है और लोकल बॉडी मंत्री से मिलने का फैसला लिया है। इससे पहले प्रॉपर्टी कारोबारी मीडिया में प्रॉपर्टी कारोबार के मंदी चपेट में आने से हो रहे नुकसान को मीडिया के जरिए उठाएंगे। कालोनाइजर मेजर सिंह का कहना है कि पंजाब सरकार ने अकाली-भाजपा सरकार के समय की नीतियों को सरल किया है फीस भी कम की है लेकिन अभी भी कारोबार के लिए यह शर्तें सख्त हैं। सरकार से अपील करेंगे कि वह दिल्ली में पुरानी अवैध कॉलोनियों के आधार पर उनकी कालोनियां रेगुलर करे। दिल्ली जैसी ही पॉलिसी पंजाब में लाई जाए। बिना फीस लिए कालोनियां रेगुलर हो और प्लॉटों के लिए एनओसी लेने की फीस भी कम की जाए। नई कालोनियों के लिए भी फीस कम की जाए क्योंकि प्रॉपर्टी कारोबार बड़ी मुश्किल से चल रहा है। अगर फीस ज्यादा होगी तो महंगे प्लॉट बिक नहीं पाएंगे।

सुझाव लेने के तीन माह बाद भी नहीं आई वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी

जालंधर, जेएनएन। वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के लिए फीस और शर्त सख्त होने के कारण सरकार ने सुझाव मांगे थे। सुझाव लेने का समय भी जुलाई में खत्म हो गया था। ऐसे में तीन माह बाद भी पॉलिसी में बदलाव नहीं किया गया। इसके तहत सुझाव आया था कि कामर्शियल बिल्डिंग रेगुलर करने के लिए अधिकतम फीस 1000 की बजाय 300 रुपये वर्ग फुट फीस ली जाए। पार्किंग की शर्त पूरी करना भी संभव नहीं है। बिल्डिंग जहां है, जैसे है के आधार पर रेगुलर करनी चाहिए। किसी भी बिल्डिंग को तोड़ा नहीं जाएगा। पुराने बाजारों, इलाकों में भी मंजूरी मिलनी चाहिए।

मंत्रियों, विधायकों मेयरों, पार्षदों, कोराबारियों और आम पब्लिक ने यह सुझाव अर्बन रिन्यूवल एंड रिफॉ‌र्म्स कंसलटेटिव ग्रुप को भेजे थे। पांच मार्च 2019 को जारी हुई पॉलिसी को कड़ी शर्ताें और ज्यादा फीस के कारण रिस्पांस नहीं मिला था। पॉलिसी फेल होने पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि ऐसी पॉलिसी लाएं जिससे लोगों को फायदा मिले। जालंधर में हजारों इमारते हैं जिन्हें रेगुलर किया जाना है। इनमें बड़ी गिनती में अवैध कॉलोनियों में बने मकान भी हैं। इससे निगम को करोड़ों रुपया मिल सकता है।

सरकार के समक्ष जल्द उठाएंगे दिक्कतें : मेजर सिंह

प्रॉपर्टी कारोबारी एवं पंजाब खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज बोर्ड के डायरेक्टर मेजर सिंह ने कहा कि राज्य के अलग-अलग जिलों से प्रॉपर्टी कारोबारियों ने उनसे संपर्क किया है और रेगुलराइजेशन एवं वन टाइम सेटेलमेंट पॉलिसी में बदलाव के लिए सरकार पर दबाव बनाने पर चर्चा की है। जल्द ही प्रॉपर्टी कारोबारी मीडिया में भी कारोबार में आ रही मुश्किलें बताएंगे। पॉलिसी में बदलाव के लिए लोकल बॉडी मंत्री से मिलने का समय लेंगे। प्रॉपर्टी कारोबार मंदी की चपेट में है और यह संभव नहीं है कि वह इतनी फीस जमा करवा सकें। इस कारोबार के सहारे ही कई कारोबार जुड़े हैं ऐसे में जरूरी है कि सूबे को आर्थिक रूप से मजबूत रखने और लोगों के रोजगार बने रहें इसके लिए प्रॉपर्टी कारोबार पर रखी गई फीस कम की जाए और शर्तें नरम की जाएं।


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