मरीजों की जिंदगी के खिलवाड़; फोर्थ क्लास कर्मी लगा रहा था टांके, वीडियो वायरल
सिविल अस्पताल में मरीजों की जिंदगी से जानलेवा खिलवाड़ हो रहा है। जिस सरकारी अस्पताल में 85 डॉक्टर तैनात हैं वहां दर्जा चार कर्मचारी मरीजों का ऑपरेशन कर रहे हैं।
जेएनएन, जालंधर। सिविल अस्पताल में मरीजों की जिंदगी से जानलेवा खिलवाड़ हो रहा है। जिस सरकारी अस्पताल में 85 डॉक्टर तैनात हैं, वहां दर्जा चार कर्मचारी मरीजों का 'ऑपरेशन' कर रहे हैं। वह भी इमरजेंसी वार्ड के माइनर ऑपरेशन थियेटर में, जहां ऐसे मरीजों को लाया जाता है, जिनकी जिंदगी बचाने के लिए एक-एक सेकेंड कीमती होता है। इसके बावजूद घोर लापरवाही बरती जा रही है और डॉक्टरों से लेकर सेहत अफसर अपनी नाक तले हो रही इस जानलेवा लापरवाही के बारे में अनजान बन रहे हैं, जबकि हकीकत में खुद काम करने के बजाय डॉक्टर ही दर्जा चार कर्मचारियों को जिंदगी बचाने की आस में अस्पताल पहुंचने वालों को मौत के मुंह में धकेलने का खुला खेल चलाने का मौका दे रहे हैं।
वीरवार को सामने आई एक वीडियो में एक जख्मी व्यक्ति इमरजेंसी के माइनर ओटी में बेड पर लेटा है। उसके सिर पर गंभीर चोट लगी है। वीडियो बुधवार रात की बताई जा रही है। इसमें सिविल अस्पताल का दर्जा चार कर्मचारी राजकमल बेड पर जख्मी पड़े व्यक्ति के सिर पर टांके लगा रहा है। बगल में ही एक महिला मोबाइल की रोशनी दिखा रही है। शुरुआत में मरीज दर्द से तड़फता दिखा, लेकिन बाद में बेसुध हो गया। तकरीबन ढाई मिनट की वीडियो में दर्जा चार कर्मचारी जख्मी व्यक्ति के सिर पर टांके लगा रहा है। दर्जा चार कर्मचारी की वीडियो बाहर आई तो वह मोबाइल स्विच ऑफ कर भाग निकला। सिविल अस्पताल में दर्जा चार कर्मचारियों के मरीजों के टांके लगाने का यह पहला मामला नहीं है। पांच साल पहले भी इस तरह का मामला सामने आया था, तब उस कर्मचारी को ट्रांसफर कर कार्रवाई की खानापूर्ति कर दी गई थी।
खुद को कहता था डॉक्टर
अस्पताल में भर्ती दूसरे मरीजों के मुताबिक उन्हें तो अब पता चला कि वो दर्जा चार कर्मचारी है, वो तो खुद को डॉक्टर कहता था। उसका काम ऑपरेशन या फिर टांके लगाने के दौरान डॉक्टरों की मदद करना था, लेकिन कुछ डॉक्टरों की मिलीभगत या आरामपरस्ती के चलते वो खुद ही टांके लगाने लगा। बड़ा सवाल यह भी है कि जब इमरजेंसी मेडिकल अफसर ड्यूटी पर हैं तो माइनर ओटी में दर्जा चार सरेआम टांके लगा रहा है तो उन्हें कैसे पता नहीं चला?। रात को दर्जा चार कर्मचारी राजकमल की ड्यूटी थी।
मैेंने कभी टांके लगाने की हिदायत नहीं दी
इमरजेंसी मेडिकल अफसर डॉ. सुखविंदर सिंह का कहना है कि इमरजेंसी में लड़ाई झगड़े वाले केस आने पर मैं खुद या फिर सर्जन को टांके के लिए बुलवाता हूं। रात को लड़ाई झगड़े वाला ऐसा कोई केस नहीं आया था। सड़क हादसों में घायलों को प्राथमिक सहायता देकर ट्रॉमा सेंटर में भेज दिया जाता है। मैंने दर्जा चार कर्मी को टांके लगाने की हिदायतें नहीं दी।
किसी ने कोई शिकायत नहीं की
सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. जसमीत कौर बावा का कहना है कि इस बाबत किसी ने भी कोई शिकायत नहीं की है। वायरल वीडियो से ही दर्जा चार कर्मी राजकमल की ओर से घायलों को टांके लगाने की बात पता चली है। मामला गंभीर है और इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी। जिसके बाद दोषी के खिलाफ कार्रवाई के लिए सेहत विभाग को सिफारिश की जाएगी।
अगर लापरवाही बरती गई है, तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा
एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (हेल्थ) सतीश चंद्रा का कहना है कि मुझे अभी ऐसी सूचना नहीं है। अगर इस तरह की लापरवाही बरती गई है, तो किसी को बख्शा नहीं जाएगा। मुझे वीडियो भेज दो, मैं जालंधर के सेहत अफसरों से रिपोर्ट तलब करूंगा।
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