Agriculture News : धान में यूरिया खाद का इस्तेमाल केवल जरूरत पड़ने पर करें, नाइट्रोजन की कमी दिखने पर लें माहिरों की सलाह
मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी डा. सुरिंदर सिंह ने कहा कि धान की बिजाई से छह सप्ताह बाद यूरिया खाद को फसल में डालने की जरूरत नहीं है। आम हालातों में पीएयू की सिफारिशों अनुसार धान की फसल पर प्रति एकड़ 90 किलो यूरिया तीन किश्तों में डालने की सिफारिश है।
जागरण संवाददाता, जालंधर। जालंधर में मुख्य खेतीबाड़ी अधिकारी डा. सुरिंदर सिंह ने किसानों को धान में नाइट्रोजन तत्व वाली यूरिया खाद का इस्तेमाल संयम और संकोच से करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि धान की बिजाई से छह सप्ताह बाद यूरिया खाद को फसल में डालने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि आम हालातों में पीएयू की सिफारिशों अनुसार धान की फसल पर प्रति एकड़ 90 किलो यूरिया तीन किश्तों में डालने की सिफारिश है। पहली किश्त बिजाई के सात दिन तक, दूसरी किश्त 21 दिनों तक व तीसरी किश्त धान की कम समय लेने वाली किस्मों के लिए बिजाई से 35 दिनों तक डालनी चाहिए। बाकी की किस्मों के लिए यूरिए की तीसरी किश्त 42 दिनों तक पाई जा सकती है।
उन्होंने किसानों को जानकारी देते कहा कि अधिक व निश्चित समय के बाद यूरिया खाद डालने से धान में शीब ब्लाइट, झुलस रोग व पौधों पर टिड्डों आदि का हमला देखा गया है। उन्होंने जिले के समूह किसान भाइयों को अपील की है कि जिला जालंधर में करीब 4.25 लाख एकड़ रकबे में बीजी गई धान की फसल बारे अलग-अलग ब्लाकों से प्राप्त रिपोर्टों अनुसार फसल की हालत ठीक है। डा. सिंह ने बताया कि आज फिल्लौर व गोराया में अलग-अलग गांवों में किए दौरा कर बताया कि अधिकतर खेतों में रासायनिक खादों व कीटनाशकों के इस्तेमाल की जरूरत नहीं है। अधिक खादों व कीटनाशकों के इस्तेमाल से जहां खेती का खर्चा बढ़ता है, वहीं फसल में नई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि धान में नाइट्रोजन की कमी की निशानियां नजर आने पर केवल ऐसी हालत में ही माहिरों के सलाह अनुसार ही नाइट्रोजन खाद का इस्तेमाल करना चाहिए।
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