भारत में प्रतिवर्ष दो लाख लोगों की मौत का कारण लिवर डिजीज
भारत में लिवर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देश में प्रतिवर्ष दो लाख लोगों की मौत लीवर संबंधी रोगों के कारण होती है।
जेएनएन, अमृतसर । सेहत के प्रति लापरवाही, अनियमित खानपान व व्यायाम से दूर रहना लीवर के लिए खतरा बनता जा रहा है। भारत में प्रतिवर्ष दो लाख लोगों की मौत लीवर संबंधी रोगों के कारण होती है। 20,000 से अधिक लोगों का लिवर ट्रांसप्लांट कर बचाया जाता है। देश में हर तीन लोगों के बाद एक व्यक्ति को लीवर संबंधी रोग की शिकायत है। पंजाब में प्रतिवर्ष 600 से अधिक लोगों के लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है। यह कहना है लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. एएस सोइन का।
उन्होंने कहा कि लिवर रोगों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इनमें एल्कोहिलक लीवर, हैपेटाइटिस सी लिवर डिजीज, हैपेटाइटिस बी लिवर डिजीज व नॉन एल्कोहिकल डिजीज शामिल हैं। ये डिजीज खानपान की गलत आदतों के कारण होता है। आजकल बच्चे भी इसका शिकार बन रहे हैं। कारण है, फास्ट फूड का अत्यधिक सेवन।
शुरुआती चरण में लिवर डिजीज की जानकारी मिलने पर दवाओं से नियंत्रण पाया जा सकता है, लेकिन तीसरी स्टेज पर पहुंचने के बाद लिवर ट्रांसप्लांट करने के सिवाय दूसरा विकल्प शेष नहीं रहता। डॉ. त्याग राजन ने कहा कि अदलखा अस्पताल में लिवर क्लीनिकल ओपीडी की शुरुआत की गई। इस ओपीडी में लिवर रोगियों को परामर्श प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा जिन लोगों को लिवर सर्जरी की जरूरत है उनका इलाज दिल्ली के मेदांता अस्पताल में किया जाएगा।
पीजीआइ को छोड़ प्रदेश में नहीं है लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा
पीजीआइ चंडीगढ़ के अतिरिक्तपंजाब के किसी भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट की व्यवस्था नहीं है। पंजाब में लिवर ट्रांसप्लांट के केस ऑल इंडिया आयुर्वेदिक संस्थान (एम्स), मेदांता अस्पताल या फिर दिल्ली के ही अपोलो अस्पताल में भेजे जाते हैं। एम्स व अपोलो में आठ लाख रुपये लेकर ट्रांस्प्लांट किया जाता है, जबकि मेदांता अस्पताल में यह खर्च 22 लाख रुपये है।