जालंधर की Auto Parts Industry का कारोबार पटरी पर अाया, श्रमिकों की किल्लत से ऑर्डर पूरे करने में दिक्कत
कोरोना काल में अब ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री का कारोबार तो पटरी पर आ चुका है लेकिन श्रमिकों की किल्लत अब भी बरकरार है। अभी 30 फीसद श्रमिकों के साथ उद्यमी इंडस्ट्री चला रहे हैं जिस कारण ऑर्डर समय पर पूरे करने में दिक्कत आ रही है।
जालंधर, [कमल किशोर]। कोरोना काल में अब ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री का कारोबार तो पटरी पर आ चुका है, लेकिन श्रमिकों की किल्लत अब भी बरकरार है। अभी 30 फीसद श्रमिकों के साथ उद्यमी इंडस्ट्री चला रहे हैं, जिस कारण ऑर्डर समय पर पूरे करने में दिक्कत आ रही है।
लॉकडाउन व कर्फ्यू के शुरुआती दिनों में अपने घरों को लौटी लेबर को उद्यमियों ने पैसे देकर वापस बुलाया। उद्यमियों ने श्रमिकों को वापस बुलाने के लिए ट्रेनों व बसों में खुद टिकटें बुक करवाई, लेकिन अब भी करीब 60 फीसद ही लेबर आ पाई है। इनमें से 30 फीसद लेबर ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री में काम कर रही है।
जालंधर की ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री को आम दिनों में प्रति महीना 200 करोड़ के ऑर्डर मिलते थे। अब यह घटकर 120 करोड़ के करीब हो गया है। अप्रैल से जून के बीच इंडस्ट्री को दस करोड़ के नए ऑर्डर मिले थे। उद्यमी अभी इन्हीं ऑर्डर को पूरा करने में जुटे हुए हैं।
700 करोड़ का कारोबार करती है इंडस्ट्री
शहर में कुल 85 ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री है, जो प्रतिवर्ष 750 करोड़ का कारोबार करती है। कर्फ्यू से पहले इंडस्ट्री में तीस हजार लेबर काम करती थी, जबकि अब काम करने वाले श्रमिकों की संख्या घटकर दस हजार हो गई है। इंडस्ट्री में ट्रैक्टर, जेसीबी व चार पहिया वाहनों के उत्पाद तैयार होते हैं।
आज ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री की सबसे बड़ी समस्या श्रमिकों की कमी है। अधिकतर श्रमिक बिहार, उत्तर प्रदेश व झारखंड से वापस नहीं आ रहे हैं। उनसे बात करने अपने खर्चे पर बुलाने की कोशिश जारी है। बलराम कपूर, चेयरमैन, जालंधर ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन।
एक तो ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री में श्रमिकों की किल्लत है, उपर से सरकार के आदेशानुसार ओवरटाइम भी नहीं करवा सकते हैं। इस कारण ऑडर समय पर पूरे करने में दिक्कत आ रही है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाएि। तुषार जैन, महासचिव, जालंधर ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन।