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अमृतसर में Black Fungus से दर्दनाक मौत, मरीज की दोनों आंखें निकाली तो दिमाग तक जा पहुंचा फंगस; नहीं बच सकी जान

गुरदासपुर के गांव ठीकरीवाल निवासी 53 वर्षीय रशपाल सिंह ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए थे। उनकी दोनों आंखें नाक और आंखों के बीच की साइनस हड्डी भी निकालनी पड़ी। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन ब्लैक फंगस उनके दिमाग तक पहुंच गया और उसकी मौत हो गई।

By Edited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 02:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 01:25 PM (IST)
अमृतसर में Black Fungus से दर्दनाक मौत, मरीज की दोनों आंखें निकाली तो दिमाग तक जा पहुंचा फंगस; नहीं बच सकी जान
53 वर्षीय रशपाल सिंह की ब्लैक फंगस की चपेट में आने से मौत हो गई।

जागरण संवाददाता, अमृतसर।  ब्लैक फंगस ने एक इंसान की आंखों में पहले अंधेरा किया, फिर जिंदगी ही छीन ली। गुरदासपुर के गांव ठीकरीवाल निवासी 53 वर्षीय रशपाल सिंह ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए थे। उनकी दोनों आंखें, नाक और आंखों के बीच की साइनस हड्डी भी निकालनी पड़ी। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन ब्लैक फंगस उनके दिमाग तक पहुंच गया और वीरवार सुबह गुरु नानक देव अस्पताल में उनकी मौत हो गई। तरसेम सिंह के अनुसार जून में उनके भाई रशपाल का शुगर लेवल काफी बढ़ गया था। उन्हें गुरदासपुर के एक निजी अस्पताल में दाखिल करवाया। डाक्टर ने जनेऊ होने की पुष्टि की और उपचार शुरू कर दिया।

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रशपाल की हालत बिगड़ती जा रही थी। फिर ईएनटी डाक्टर से जांच करवाई तो उन्होंने कहा कि इन्हें ब्लैक फंगस है। इसलिए अमृतसर स्थित गुरु नानक देव अस्पताल ले जाएं। सात जुलाई को वह रशपाल को यहां ले आए। जीएनडीएच के डाक्टरों ने भी ब्लैक फंगस की पुष्टि की। यह उनकी आंखों व साइनस में फैल चुका था। लिहाजा आंखों निकालने के सिवाय और विकल्प न था। बीस दिन पूर्व डाक्टरों ने उनकी दोनों आंखें और साइनस की हड्डी निकाल दी। रशपाल की जिंदगी में बेशक अंधेरा हो गया था, पर वह इस बात से संतुष्ट थे कि उनकी जान बच गई। इसी बीच ब्लैक फंगस उनके दिमाग में पहुंचने लगा। डाक्टरों ने दवाएं देकर इसे रोकने का भरसक प्रयास किया, पर सफल नहीं हो पाए। वीरवार सुबह रशपाल सिंह ने आखिरी सांस ली।

भाई बोला, निजी अस्पताल ने सही जानकारी दी होती तो बच सकता था रशपाल

तरसेम सिंह के अनुसार गुरदासपुर के निजी अस्पताल में दस दिन तक रशपाल सिंह का गलत उपचार होता रहा। यदि निजी डाक्टर ब्लैक फंगस के बारे में जानकारी देती तो हम उसी वक्त उन्हें जीएनडीएच ले आते और उनके भाई की जिंदगी बच जाती। जीएनडीएच के डाक्टरों का भी यही तर्क है कि यदि मरीज को समय रहते यहां ले आते तो उसकी जान बच जाती।

अस्पताल के डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. नरिंदर सिंह के अनुसार मरीज की हालत बहुत नाजुक थी। डाक्टरों ने ब्लैक फंगस रिमूव कर दिया था, पर यह दिमाग तक चला गया। लिहाजा उसकी मौत हो गई। यहां बताना जरूरी है कि जिले में ब्लैक फंगस का शिकार सात मरीजों की मौत हो चुकी है।


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