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फिल्मी कहानी से कम नहीं अटारी पर पाकिस्तानी 'बार्डर' का जन्म, अमृतसर में होगा कागज तैयार, दिल्ली से लगेगा वीजा

भारत-पाकिस्तान सीमा पर जन्मे पाकिस्तानी बच्चे की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। पाकिस्तान बच्चे को लेने से मना कर रहा है। अब बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र तैयार किया जा रहा है। इसके बाद परिवार का दिल्ली से वीजा लगेगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 05:02 PM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 07:32 AM (IST)
फिल्मी कहानी से कम नहीं अटारी पर पाकिस्तानी 'बार्डर' का जन्म, अमृतसर में होगा कागज तैयार, दिल्ली से लगेगा वीजा
फिल्मी कहानी से कम नहीं बार्डर पर पाकिस्तानी बच्चे का जन्म। सांकेतिक फोटो

जागरण संवाददाता, अमृतसर। बार्डर पर शुरू हुई बार्डर की कहानी बार्डर पर ही सिमट गई है। 2 दिसंबर को अटारी बार्डर के समीप जन्मे नवजात शिशु को पाकिस्तान ले जाने के लिए उसके पारिवारिक सदस्य बेताब हैं। परिजनों ने बच्चे का नाम बार्डर रखा था। इस उम्मीद में कि यह उनके जीवन का यादगार लम्हा बनेगा, पर कागज का एक टुकड़ा न होने की वजह से यह परिवार अपने वतन नहीं जा पा रहा।

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दरअसल, नन्हें 'बार्डर' को बार्डर पार तो पहुंचाया गया, पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने जन्म प्रमाण पत्र न होने की वजह से बार्डर को पाकिस्तान में प्रवेश देने से इन्कार कर दिया। बच्चे की मां नींबो बाई व पिता बालम राम अपने चार अन्य बच्चों व बार्डर के साथ बार्डर के पास ही रैनबसेरा में आश्रय लिए हुए हैं। बार्डर का जन्म प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया अमृतसर में ही मुमकिन है, पर पासपोर्ट व वीजा आदि के लिए इस परिवार को दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास से संपर्क करना पड़ेगा। हालांकि यह परिवार आर्थिक रूप से इतना सक्षम नहीं कि दिल्ली जा सके, इसलिए प्रशासन व गांव के लोगों से गुहार लगा रहा है कि उनकी मदद करे। अटारी गांव के लोगों ने इन पाकिस्तानी नागरिकों के लिए लंगर आदि का प्रबंध लगातार जारी रखा। साथ ही हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया है।

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कोरोना काल में 99 पाकिस्तान हिंदू यात्री भारत आए थे। बार्डर का जन्म होने पर इनकी संख्या 100 हो गई। 25 दिन के वीजा पर भारत आए इन परिवारों की वीजा अवधि समाप्त हो चुकी थी, लिहाजा पाकिस्तान रेंजर्स इन्हें लेने से इन्कार कर रहा था। भारत सरकार ने इन लोगों के दस्तावेज तैयार करवाए और बीते सोमवार को सभी को अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान भेजा। हालांकि बार्डर का जन्म प्रमाण पत्र न होने की वजह से पाकिस्तानी रेंसर्ज ने उसे लेने से इन्कार किया। ऐसी स्थिति में बार्डर के माता-पिता व चार अन्य बच्चे इस ओर लौटने को मजबूर हुए। शेष 93 लोग पाकिस्तान पहुंच गए।

यहां बताना जरूरी है कि कुछ माह पूर्व पाकिस्तान के सिंध प्रांत की एक महिला ने गुजरात में एक बच्ची को जन्म दिया था। भारत में जन्म होने की वजह से बच्ची का नाम भारती रखा गया। यह बच्ची भी कागज के एक टुकड़े की मोहताज बनी थी। हालांकि बाद में भारती का पासपोर्ट बन गया था और उसे पाकिस्तान भेजा गया। सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह ने कहा कि नवजात के परिजन उनसे संपर्क करें। वह तत्काल जन्म प्रमाण पत्र बनवा देंगे।


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