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Punjab Congress Crisis News: पंजाब कांग्रेस की बगावत में बड़ा सवाल, आखिर चार मंत्री ही क्यों हुए बागी

Punjab Congress Crisis News पंजाब कांग्रेस में बगावत के बाद आलाकमान का झुकाव सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की ओर साफ दिखाई दे रही है और इससे मुख्‍यमंत्री का खेमा मजबूत हुआ है। लेकिन सवाल उठता है कि ये चार मंत्री ही बागी क्‍यों हुए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 03:06 PM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 06:43 PM (IST)
Punjab Congress Crisis News: पंजाब कांग्रेस की बगावत में बड़ा सवाल, आखिर चार मंत्री ही क्यों हुए बागी
पंजाब के बागी मंत्री, सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्‍त राजिंदर बाजवा, चरणजीत सिंह चन्‍नी और सुखजिंदर सिंह सरकारिया। (फाइल फोटो)

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। Punjab Congress Crisis News: पंजाब कांग्रेस में मची खींचतान में पार्टी के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की भूमिका के बारे में चर्चा के बीच कई और सवाल उठ रहे हैं। जिस तरह से चार मंत्रियाें तृप्‍त राजिंदर सिंह बाजवा,  सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्‍नी ने बगावत का झंडा उठाया है उससे पंजाब कांग्रेस के विवाद के अहम पहलू सामने आए हैं। सवाल यह है कि ये चार मंत्री ही क्‍यों बागी हुए और नवजोत सिंह सिद्धू के साख 'सिपहसलार' क्‍यों नजर आ रहे हैं।

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दरअसल, पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत के झंडाबरदार ये चार मंत्री कभी उनके करीबी रहे हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि 17 में से ये चार मंत्री ही विद्रोही हो गए? जब से कैप्टन अमरिंदर सिंह सोनिया गांधी से मिलकर आए हैं, तभी से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वे मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं। यह भी चर्चा गरम रही है कि तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया और चरनजीत सिंह चन्नी का मंत्री पद छिन सकता है। वजह कैप्टन से उनकी दूरी बढ़ना भी है तो बतौर मंत्री उनकी परफार्मेस भी तोली जा रही है। आइए जानते हैं चारों की परफार्मेस और कैप्टन से दूरी की वजह।

 मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा (ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री): कांग्रेस की सरकार सत्ता में आने के बाद से तृप्‍त राजिंदर सिंह बाजवा हमेशा कैप्टन अमरिंदर सिंह का गुणगान करते रहे। बताया जाता है कि उनकी विभागीय परफार्मेंस बहुत अच्छी नहीं रही है। ऊपर से बाजवा की कमजोरी उनके करीबी दो बड़े पुलिस अधिकारी हैं, जिनमें से एक ड्रग रैकेट के आरोप में फंसने के बाद किनारे किए गए, तो दूसरे को हाल ही में हुए पुलिस अधिकारियों के तबादलों में खुड्डे लाइन लगाया गया है।

इसी सरकार में एक दौर ऐसा भी था, जब नवजोत सिंह सिद्धू व कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच होने वाले विवादों में हमेशा बाजवा आगे बढ़कर मध्यस्थ की भूमिका अदा करते रहे हैं। कैप्टन के संदेशवाहक व हनुमान के रूप में अपनी पहचान बनाकर बाजवा ने हमेशा सिद्धू के साथ कैप्टन की बिगड़ी बात को बनाकर समझौता करवाने में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन, अंदरखाते अपने करीबी अधिकारियों को पावरलेस किए जाने का मलाल बाजवा को रहा है और कैप्टन के खिलाफ उन्होंने बगावती सुर अख्तियार कर लिया है।

सुखजिंदर सिंह रंधावा (जेल व कारपोरेशन मंत्री): रंधावा ने जेल मंत्री बनने के बाद पहली बार जेल अधिकारियों के साथ बैठक करके उन्हें जेलों में भ्रष्टाचार खत्म करने की हिदायत और कार्रवाई की चेतावनी दी। जेलों में सर्च चलवा करीब नौ हजार मोबाइल फोन बरामद किए गए , लेकिन यह अभियान कुछ समय बाद ही बंद हो गया तो उंगलियां उठने लगीं। जेलों में कैदियों के खाने के लिए खाद्य सामग्री की खरीद का मुद्दा खुद पहले रंधावा ने उठाया था, लेकिन उसके बाद खरीद में कथित तौर पर घालमेल किसी से छिपा नहीं है।

उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल में 'शरण' दिए रखने से भी सरकार की राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी होती रही। इस मामले को लेकर भी अंदरखाते कैप्टन व रंधावा में शीतयुद्ध चला। दूसरी ओर रंधावा चाहते थे कि उनके इलाके में अकाली दल नेता बिक्रम मजीठिया की बढ़ती पैठ को देखते हुए कैप्टन कुछ करें पर ऐसा हुआ नहीं। हाल ही में हुए पुलिस अधिकारियों के तबादलों में चहेतों की बलि चढ़ने के बाद रंधावा कैप्टन के और ज्यादा खिलाफ हो गए हैं।

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चरनजीत सिंह चन्नी (तकनीकी शिक्षा व औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री) : सरकार बनने के बाद तकनीकी शिक्षा के अलावा दूसरे महकमों में दखलंदाजी को लेकर चन्नी निशाने पर रहे। सूबे में पहली बार रेत खनन के अवैध कारोबार का पर्दाफाश जब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किया था तो उस समय हवाई सर्वे की कुछ तस्वीरें भी जारी की गई थीं। उसके बाद रेत के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई थी। इस मामले में चन्नी पर एक करीबी को लेकर उंगली उठी थी।

चन्नी बड़े विभाग का मंत्री बनने को लेकर कैप्टन पर दबाव बना रहे थे, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। सिक्का उछाल कर अधिकारियों के विवाद का फैसला करने वाले चन्नी के खिलाफ महिला अधिकारी द्वारा मी-टू जैसे गंभीर आरोपों ने इन्हें विवादों के साथ जोड़े रखा था। इसके अलावा कुछ समय पहले पंजाब में सरकारी स्तर पर आयोजित एक बड़े धार्मिक समारोह में घालमेल की मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा अंदरखाते करवाई जा रही जांच ने भी चन्नी को कैप्टन की मुखालफत की ओर धकेल दिया।

सुखबिंदर सिंह सरकारिया (जल संसाधन, रेत खनन व हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट मंत्री) : पांच दशक से पानी की सियासत कर रहे पंजाब के पास कुछ सालों का पानी ही बचा है। साढे़ चार सालों में जल संसाधन को बढ़ाने की दिशा में जमीनी स्तर पर कुछ खास नहीं हुआ। पिछली सरकार के कार्यकाल में बना अवैध रेत खनन का मुद्दा इस बार भी जिंदा है। सभी जानते हैं केवल चेहरे बदले हैं, लेकिन काम पिछली सरकार के कार्यकाल जैसा ही बदस्तूर जारी है। इस पर खींचतान भीतर ही भीतर रही है।

इसके अलावा सियासत में ओपी सोनी को कैप्टन द्वारा ज्यादा तवज्जो दिए जाने के कारण इलाके में वर्चस्व की लड़ाई में पिछड़ रहे सरकारिया अपना रुतबा कायम रखने के लिए कैप्टन के खिलाफ बगावत कर सिद्धू खेमे में खड़ा हो गए। सरकारिया सिद्धू के साथ आकर अपना सियासी भविष्य ज्यादा लंबा देख रहे हैं।

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