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Punjab Election 2022: जालंधर में भाजपा के लिए गुटबाजी बड़ी चुनौती, नार्थ हलके में भंडारी को सबसे ज्यादा मुश्किल

Punjab Election 2022 नार्थ हलके से उम्मीदवार केडी भंडारी को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। सेंट्रल से उम्मीदवार मनोरंजन कालिया के लिए भी कई नेता मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। मैदान में उतरने से पहले ही पार्टी में चल रही जंग जीतनी होगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 09:58 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 09:58 AM (IST)
Punjab Election 2022: जालंधर में भाजपा के लिए गुटबाजी बड़ी चुनौती, नार्थ हलके में भंडारी को सबसे ज्यादा मुश्किल
जालंधर नार्थ में गुटबाजी से भाजपा उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है।

जागरण संवाददाता, जालंधर। टिकटों की घोषणा में देरी के बाद अब भाजपा के जालंधर शहर से तीनों उम्मीदवारों के लिए सबसे बड़ी चुनौती पार्टी नेताओं की नाराजगी दूर करना है। गुटबाजी से भाजपा उम्मीदवारों को नुकसान हो सकता है। शिरोमणि अकाली दल (बादल) से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा को पहले ही करीब 15 प्रतिशत वोट का नुकसान हो चुका है। कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींडसा से गठबंधन के बावजूद भाजपा का यह नुकसान पूरा नहीं हो रहा है। ऐसे में पार्टी के अंदर चल रही नाराजगी को दूर करना भाजपा उम्मीदवारों के लिए जरूरी होगा।

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नार्थ हलके से उम्मीदवार केडी भंडारी को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। सेंट्रल से उम्मीदवार मनोरंजन कालिया के लिए भी कई नेता मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। मैदान में उतरने से पहले ही पार्टी में चल रही जंग जीतनी होगी। इस बार टिकट के लिए नार्थ व सेंट्रल से कई दावेदार थे और अब इन्हें मनाना होगा।

नार्थ में खुलेआम सामने आती रही है नाराजगी

इस समय भाजपा में सबसे अधिक नाराजगी नार्थ हलके में है। केडी भंडारी के खिलाफ कई नेता मोर्चा खोल चुके हैं। इनमें रवि महेंद्रू, गोपाल दास पेठे वाले व मिंटा कोछड़ शामिल हैं। नार्थ हलके से भाजपा के सबसे बड़े टिकट के दावेदार पंजाब भाजपा के उपाध्यक्ष राकेश राठौर का पूरा खेमा भंडारी की टिकट कटवाने में लगा हुआ था। भंडारी को इन सभी को साथ लेकर चलना होगा। पूर्व मेयर सुनील ज्योति का नार्थ हलके में अच्छा आधार है। कभी ज्योति और भंडारी सबसे करीबी दोस्त माने जाते थे, लेकिन पिछले पांच साल में इनमें बातचीत तक नहीं हुई है। पूर्व जिला प्रधान नवल किशोर कंबोज भी नार्थ हलके में अच्छा आधार रखते हैं। संगठन में भी भंडारी की पकड़ कमजोर हुई है और कई मोर्चों में राकेश राठौर के करीबी काबिज हैं।

कालिया को रूठों को मनाना होगा

सेंट्रल हलके में पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया फिर मैदान में हैैं। कालिया के रहते हलके में दूसरा कोई नेता आगे नहीं बढ़ पाया। पंजाब भाजपा के सचिव अनिल सच्चर भी कभी कालिया खेमे से थे, लेकिन अब इनमें तकरार चल रही है। तेजतर्रार नेता किशन लाल शर्मा भी सेंट्रल हलके से टिकट के दावेदार थे। पिछली बार शर्मा ने कालिया के खिलाफ बेहद गंभीर आरोप लगाए थे। इस कारण किशन लाल शर्मा को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। इनकी पार्टी में वापसी तो हुई है, लेकिन यह कालिया के लिए अभी भी सिरदर्दी बने हुए हैं। पार्षद शैली खन्ना भी टिकट की दावेदार थीं। इसके अलावा संगठन के कई नेता भी नाराज हैं। उनके सबसे करीबी नेता पार्षद मनजिंदर सिंह चट्ठा अब अकाली दल में शामिल हो गए हैं।

वेस्ट में भाजपा का डैमेज कंट्रोल जारी

वेस्ट हलके में पूर्व मंत्री भगत चूनी लाल के बेटे मोहिंदर भगत के लिए मुसीबत ज्यादा नहीं है। अगर वेस्ट हलके में भगत बिरादरी से कोई मजबूत उम्मीदवार सामने नहीं आता है तो मोहिंदर भगत के लिए रास्ता काफी आसान हो सकता है। हालांकि रोबिन सांपला टिकट के दावेदार थे, लेकिन वह पार्टी से बाहर जाकर मोहिंदर भगत का विरोध नहीं कर पाएंगे। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन विजय सांपला का खेमा वेस्ट हलके में जरूर सक्रिय है, लेकिन इनमें से अधिकांश नेता मोहिंदर भगत के साथ आ चुके हैं। जो नाराज हैं उन्हें भी पार्टी स्तर पर मनाने का काम चल रहा है।


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