सर्वे में 348 अवैध कालोनियां, मंजूरी के लिए सिर्फ 35 आवेदन
सिमरनजीत सिंह रेगुलराइजेशन पालिसी के तहत साल 2018 में किए गए सर्वे की कापी भी अफसरों कों देंगे।
जागरण संवाददाता, जालंधर : नगर निगम और जालंधर डेवलपमेंट अथारिटी (जेडीए) के इलाके में अवैध कालोनियों व अवैध निर्माण की विजिलेंस जांच शुरू होने के मामले में आरटीआइ एक्टिविस्ट सोमवार को चंडीगढ़ में अफसरों को सुबूत सौंपेंगे। इनमें अवैध निर्माण की फोटो, वीडियो, दस्तावेज सुबूत, आरटीआइ में मिली जानकारी और अधिकारियों को लिखे गए शिकायत पत्र शामिल होंगे। पहले ये सुबूत 15 अक्टूबर को सौंपे जाने थे, लेकिन विजिलेंस ने व्यस्तता के चलते आरटीआइ एक्टिविस्ट सिमरनजीत सिंह को 19 अक्टूबर को चंडीगढ़ बुलाया था।
सिमरनजीत सिंह इसके साथ ही रेगुलराइजेशन पालिसी के तहत साल 2018 में किए गए सर्वे की कापी भी अफसरों कों देंगे। इस सर्वे में अवैध कालोनियों की रिपोर्ट तैयार की गई थी। तब 348 अवैध कालोनियां दर्ज की गई थी। इन सभी को रेगुलर किया जाना था, लेकिन निगम को पहले चरण में सिर्फ 26 और दूसरे चरण में नौ कालोनियों के ही आवेदन मिले। सिमरनजीत सिंह का आरोप है कि नगर निगम अफसरों ने कालोनाइजरों को बचाया है। अगर सभी कालोनियों के आवेदन नहीं मिले तो इनके खिलाफ पापरा एक्ट के तहत केस क्यों नहीं दर्ज करवाया गया।
2018 के बाद विकसित हुई कई कालोनियां
सिमरनजीत सिंह साल 2018 में हुए सर्वे के बाद भी विकसित हुई कालोनियों की लिस्ट भी विजिलेंस को सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि निगम अफसरों ने न तो नई कालोनियां विकसित होने से रोकीं और न ही पुरानी कालोनियों को रेगुलर न करवाने वालों पर कोई एक्शन लिया। इससे स्पष्ट है कि अफसरों के संरक्षण के कारण ही अवैध कॉलोनियां विकसित हुई हैं। चारों विधानसभा हलकों में पिछले तीन सालों में 50 से ज्यादा नई कालोनियां विकसित हो चुकी हैं।
निगम और जेडीए ने देना है 275 कालोनियों का रिकार्ड
विजिलेंस ने सिमरनजीत सिंह की शिकायत पर नगर निगम और जेडीए से 275 अवैध कालोनियों का रिकार्ड तलब किया है। इसके तहत निगम में मंजूरी के लिए आई करीब 35 कालोनियों और जेडीए के अधिकार क्षेत्र में आई करीब 240 कालोनियों का रिकार्ड मांगा गया है। जेडीए के इलाके में जालंधर की 100, होशियारपुर की 115 और कपूरथला की करीब 25 कालोनियों को मंजूर करने के आवेदन आए हैं। विजिलेंस इनका रिकार्ड चेक करेगी। आरोप है कि नगर निगम और जेडीए ने आवेदनकर्ताओं से फीस वसूली नहीं की है। इससे जेडीए और नगर निगम को करोड़ों का नुकसान हुआ है।