प्रशासन के पास कालेजों को धमकाने का अधिकार नहीं : कासा
डीसी द्वारा कालेजों को अनुसूचित जाति से संबंधित कालेजों को दाखिले से इन्कार नहीं करने के लिए मजबूर करने का कासा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : डीसी द्वारा कालेजों को अनुसूचित जाति से संबंधित कालेजों को दाखिले से इन्कार नहीं करने के लिए मजबूर करने का कासा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कंफेडरेशन आफ कालेज एंड स्कूल्स आफ पंजाब एसोसिएशन (कासा) के चेयरमैन अश्विनी सेखड़ी व अध्यक्ष अनिल चोपड़ा ने कहा कि प्रशासन कानून के विपरीत काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि अदालतों के नियम और निर्णय यह स्पष्ट करते हैं कि संस्थानों को अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों से फीस लेने और छात्रों को सरकार से छात्रवृत्ति प्राप्त करने में सहायता करने का अधिकार है। उच्च न्यायालय ने तीन महीने में कालेजों को फंड जारी करने के निर्देश दिए थे, बावजूद इसके राज्य सरकार ने पिछले तीन साल से पैसे नहीं दिए हैं। ऐसे में प्रशासन को कालेजों को धमकाने का भी कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने रवैया नहीं बदला तो राज्य सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय में अवमानना की याचिका दायर की जाएगी। वे विद्यार्थियों को दाखिला देने को तैयार हैं पर परीक्षाओं से पहले सरकार या विद्यार्थियों को फीसों का भुगतान करना होगा।
वहीं, कंफेडरेशन आफ पोलिटेक्निक एसोसिएशन (कापा) के अध्यक्ष विपिन शर्मा, कंफेडरेशन आफ नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव चोपड़ा, कंफेडरेशन आफ डिग्री कालेज एसोसिएशन के अध्यक्ष तलविदर सिंह राजू ने कहा कि अगर प्रशासन चाहता है कि कालेज एससी छात्रों को स्कालरशिप स्कीम के तहत दाखिला दें तो पहले पिछले वर्षों के पैसे सरकार से दिलवाएं। उन्होंने कहा कि प्रशासन कालेजों के हालात को अनदेखा कर रहा है। कालेजों को पैसा नहीं आने से बहुत से कालेज पहले ही बंद हो चुके हैं और बाकी बंद होने की कगार पर हैं।
मंगलवार को डीसी ने कालेजों के साथ बैठक करके स्कालरशिप के मुद्दे को हल करने संबंधी चर्चा की थी, जिसमें कालेजों ने कहा था कि वे स्कालरशिप का पैसा जारी नहीं होने तक विद्यार्थियों का दाखिला नहीं कर सकते। ऐसे में डीसी घनश्याम थोरी ने एडीसी जरनल जसबीर राय के नेतृत्व में कमेटी गठित करके कालेजों को चेतावनी दी थी कि अगर किसी भी कालेज की तरफ से विद्यार्थियों को दाखिल करने से मना किया तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।