एक्सपोर्ट पर हटा प्रतिबंध, प्याज के बढ़ सकते हैं दाम
नववर्ष में प्याज के दाम बढ़ने की संभावना है। क्योंकि केंद्र सरकार ने एक जनवरी से प्याज के एक्सपोर्ट पर लगाया प्रतिबंध हटा दिया है।
शाम सहगल, जालंधर : नववर्ष में प्याज के दाम बढ़ने की संभावना है। क्योंकि केंद्र सरकार ने एक जनवरी से प्याज के एक्सपोर्ट पर लगाया प्रतिबंध हटा दिया है। केंद्र सरकार के जारी आदेशानुसार सभी किस्म के प्याज को अब एक्सपोर्ट किया जा सकेगा। प्याज की कीमतों में लगातार हो रही गिरावट के कारण सरकार ने यह फैसला लिया। एक्सपोर्ट शुरू होने से प्याज की फसल कम होती है, तो घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों में इजाफा होना तय है। बीते वर्ष प्याज उत्पादन के प्रमुख राज्य महाराष्ट्र व गुजरात में अधिक व बेमौसमी बारिश के कारण प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ था। रिटेल में 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंचे दाम पर काबू पाने के लिए सितंबर में केंद्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाया था। इसके बाद देश की इन प्रमुख मंडियों से केवल भारतीय बाजार में ही प्याज की सप्लाई दी जा रही थी। यही कारण रहा कि इन दिनों प्याज के दाम गिरकर रिटेल में 25 से 30 रुपये प्रति किलो रह गए हैं।
-बांग्लादेश तथा मलेशिया में भारतीय प्याज की मांग सबसे अधिक
भारतीय प्याज की मांग बांग्लादेश और मलेशिया में सबसे अधिक है। इसके अलावा श्रीलंका व संयुक्त अरब अमीरात में भी भारत से प्याज एक्सपोर्ट किया जाता है, जो पिछले चार माह से बंद पड़ा हुआ है। इस बारे में प्याज के थोक कारोबारी हरमिदर सिंह बताते हैं कि प्याज एक्सपोर्ट न होने के कारण देश में तेजी के साथ इसके दाम गिर रहे हैं। इसी कारण भारतीय बाजार में मांग से कहीं अधिक माल की आमद हो रही है।
फसल में देरी हुई तो बढ़ सकते हैं दाम
अधिक ठंड व आने वाले दिनों में बारिश के कारण महाराष्ट्र और गुजरात में प्याज की फसल में देरी हो सकती है। जानकारों की माने तो अगर यह देरी एक महीने से अधिक हुई तो घरेलू बाजार में माल की आपूर्ति बाधित हो जाएगी। इस बीच स्टाकिस्टों की ओर से प्याज की सप्लाई देने के साथ ही उनके द्वारा दाम भी निर्धारित किए जाएंगे, जिससे प्याज के दामों में इजाफा होना तय है।
सभी किस्मों को मिलेगी राहत
केंद्र सरकार ने बेंगलुरु रोज, कृष्णपुरम व नासिक के प्याज के एक्सपोर्ट पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया हुआ था। इस बार एक्सपोर्ट खोलने के साथ ही इन किस्मों को भी राहत दे दी गई है। हालांकि, पंजाब की मंडियों में इन किस्मों की बिक्री कम होती है, लिहाजा, दूसरे देशों में मांग रहती ही है।