अकाली प्रत्याशी के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं रामूवालिया
लोकभलाई पार्टी के नेता के रूप में पंजाब में एनआरआइ दूल्हों से सताई लड़कियों की पैरवी कर सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रियता हासिल करने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) नेता बलवंत ¨सह रामूवालिया शाहकोट उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की मदद कर सकते हैं। इसके संकेत वे रविवार को मीडिया के साथ बातचीत करते हुए खुद ही दे बैठे। हालांकि बाद में आधिकारिक रूप से इस बात से इन्कार भी कर दिया।
जागरण संवाददाता, जालंधर : लोकभलाई पार्टी के नेता के रूप में पंजाब में एनआरआइ दूल्हों से सताई लड़कियों की पैरवी कर सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रियता हासिल करने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) नेता बलवंत ¨सह रामूवालिया शाहकोट उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की मदद कर सकते हैं। इसके संकेत वे रविवार को मीडिया के साथ बातचीत करते हुए खुद ही दे बैठे। हालांकि बाद में आधिकारिक रूप से इस बात से इन्कार भी कर दिया।
बलवंत ¨सह रामूवालिया ने कहा कि लोकभलाई पार्टी के रूप में जिन लोगों ने उनके साथ काम किया था, अकाली दल में विलय के कुछ समय बाद जब उन्होंने अकाली दल को ही छोड़ दिया था तब लोकभलाई पार्टी के पुराने साथी दोबारा उनके संपर्क में आ गए थे। वही लोग अब शाहकोट उप चुनाव में लंगर पर जीएसटी के मुद्दे को लेकर लोगों के बीच जाएंगे। लंगर पर जीएसटी से अकाली दल की पोजीशन काफी खराब हुई है।
रामूवालिया से जब ये पूछा गया कि क्या वे फिर से लोकभलाई पार्टी को पुर्नजीवित कर रहे हैं, उन्होंने ऐसा करने से इन्कार कर दिया और कहा कि अभी वह सिर्फ समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष हैं। शाहकोट उपचुनाव में उनका किसी भी राजनीतिक पार्टी को कोई समर्थन नहीं है। जहां तक कांग्रेस सरकार की बात है तो वे सपा के नेता के रूप में नहीं बल्कि निजी रूप में कांग्रेस सरकार के कामकाज को अच्छा मानते हैं। कांग्रेस को मदद के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। वह सिर्फ लंगर पर जीएसटी के खिलाफ एक अभियान शुरू कर रहे हैं, इसके पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है। उधर, सूत्रों का कहना है कि लंगर पर जीएसटी का मुद्दा तो सिर्फ बहाना है, असल में रामूवालिया अपने पुराने राजनीतिक साथियों को साथ लेकर कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी मदद के लिए काम करेंगे। ये संकेत उन्होंने अपने पुराने साथियों को अप्रत्यक्ष रूप से दी भी दिया है क्योंकि जीएसटी का मसला नया नहीं है। वर्तमान में वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य के नाते यूपी की राजनीति में सक्रिय हैं। यूपी की पूर्व सरकार में वे जेल मंत्री थे।