यह है जालंधरः मां की आंखों के सामने ही तालाब में समा गए थे बाबा सोढल Jalandhar News
पहले पहल बाबा सोढल की पूजा अनंत चौदस पूर्व अर्धरात्रि से आरंभ होकर अगले दिन दोपहर तक ही हुआ करती थी। धीरे-धीरे अब यह हिंदू धर्म के सभी लोगों का महान तीर्थ बन चुका है।
जालंधर, जेएनएन। हमारे देश में धार्मिक तालाबों पर मेले अनंत काल से लगते आ रहे हैं, परंतु अनंत चतुर्दशी पर बाबा सोढल के तालाब पर बहुत बड़ा मेला लगने लगा है। कभी यह तालाब चड्ढा बिरादरी के लिए ही पूज्य माना जाता था। वे लोग इस तालाब की पावन मिट्टी की पूजा-अर्चना किया करते थे।
मान्यता है कि चड्ढा बिरादरी के किसी पूर्वज की संतान अपनी मां के साथ इस तालाब में, जो उस समय एक जोहड़ की सूरत में था, वस्त्र धोने आई थी। उस दौरान मां की आंखों के सामने ही उसका बेटा सोढल, जो कई शक्तियों से परिपूर्ण था, मां के झिड़कने मात्र से ही उस जोहड़ में समा गया और एक नाग के रूप में प्रकट हुआ। तब आकाशवाणी हुई कि जो भी इस तालाब की शुद्ध हृदय से पूजा करेगा, उसकी कामनाओं की पूर्ति होगी। अनंत भगवान विष्णु के नाग का नाम है, इसीलिए अनंत चतुर्दशी के दिन जनसैलाब सोढल बाबा के नाग रूप को पूजने के लिए इस तालाब पर आता है।
जालंधर की चड्ढा बिरादरी कई दशकों से बाबा सोढल की पूजा करती आ रही है। कभी किसी ने इतिहास को जानने का प्रयास नहीं किया कि चड्ढा बिरादरी ही क्यों आरंभिक काल से बाबा सोढल की अनुयायी हुई। पहले पहल बाबा सोढल की पूजा अनंत चौदस की पूर्व अर्धरात्रि से आरंभ होकर अगले दिन दोपहर तक ही हुआ करती थी। धीरे-धीरे अब यह हिंदू धर्म के सभी लोगों का एक महान तीर्थ बन चुका है। यह मेला भी तीन दिन तक अबाध चलता रहता है। इसकी देखरेख के लिए एक ट्रस्ट बना हुआ है, जिसमें चड्ढा बिरादरी के अतिरिक्त अन्य लोगों को भी शामिल किया गया है।
देश-विदेश से लाखों भक्तजन आते हैं दर्शन करने
जालंधर के इस तालाब पर लाखों की संख्या में बाबा सोढल के भक्तजन देश-विदेश से आकर दर्शन करते हैं। हैरानी की बात यह है कि बाबा सोढल को जन्म देने वाले माता-पिता के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। फिर भी अगाध श्रद्धा के वशीभूत होकर इतिहास को जानने का कभी किसी ने प्रयास नहीं किया। एक जानकारी के अनुसार बाबा सोढल का ननिहाल आनंद परिवार से था।
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