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बाबा बंदा ¨सह बहादुर की याद में देर रात तक शबद गायन

महान शहीद बाबा बंदा ¨सह बहादुर के 302वें शहीदी पर्व को लेकर गुरुद्वारा बाबा बंदा ¨सह बहादुर, नजदीक वर्कशॉप चौक में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 07:54 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 07:54 PM (IST)
बाबा बंदा ¨सह बहादुर की याद में देर रात तक शबद गायन
बाबा बंदा ¨सह बहादुर की याद में देर रात तक शबद गायन

जागरण संवाददाता, जालंधर : महान शहीद बाबा बंदा ¨सह बहादुर के 302वें शहीदी पर्व को लेकर गुरुद्वारा बाबा बंदा ¨सह बहादुर, नजदीक वर्कशॉप चौक में कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया। समूह प्रबंधक कमेटी गुरुद्वारा बाबा बंदा ¨सह बहादुर की तरफ आयोजित समागम के दौरान देर रात तक शबद गायन व कथा का दौर चलता रहा।

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कीर्तन दरबार का आगाज श्री गुरु ग्रंथ साहब की इलाही वाणी के साथ हुआ। इसके बाद भाई गुरशरण ¨सह जी लुधियाना वाले, भाई हर¨जदर ¨सह खालसा, भाई जो¨गदर ¨सह हजूरी रागी ने शबद गायन के साथ संगत को निहाल किया। बाबा बंदा ¨सह बहादुर सिख संप्रदाय भारत के अध्यक्ष भाई संत कुमार जुनेजा ने बाबा बंदा ¨सह बहादुर के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मुगल शासन के 700 वर्षो के राज्य को तहस-नहस कर तथा छोटे साहिबजादों की शहादत का बदला लेकर सरहंद फतह करने वाले बाबा बंदा ¨सह बहादुर को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। नई पीढ़ी को बाबा बंदा ¨सह बहादुर की महान जीवनी से अवगत कराया जाना बहुत जरूरी है।

गुरुद्वारा साहिब के मुख्य सेवादार जसपाल ¨सह ने कहा कि बाबा बंदा ¨सह बहादुर महान योद्धा थे। सरहंद फतेह करके श्री गुरु नानक देव व श्री गुरु गो¨बद ¨सह महाराज के नाम पर करंसी जारी करने वाले बाबा बंदा ¨सह बहादुर का समाज सदैव ऋणी रहेगा। वे सिख राज की स्थापना कर लोहागढ़ को अपनी राजधानी बनाने वाले पहले जरनैल थे। उन्होंने सभी अतिथियों को सिरोपा देकर सम्मानित किया। भाई गुरमेल ¨सह ने अपने साथियों के साथ कीर्तन दरबार में सहयोग किया। अरदास के बाद गुरु का अटूट लंगर वितरित किया गया। इस अवसर पर पूर्व पार्षद महेंद्र ¨सह गुल्लू, इकबाल ¨सह चावला, इंदर राज ¨सह चड्ढा, वरिष्ठ आढ़ती राजीव धमीजा, नारायण दास धवन, अमरजीत ¨सह सेठी, राकेश अरोड़ा, अमरजीत ¨सह खुराना, सु¨रदर नागपाल, तिलक राज खुराना, राजेंद्र ¨सह शेरू, सुरेंद्र पाल ¨सह जुनेजा, अमन ढींगरा, योगेश खुराना, दीपू चानना, गौरव खुराना, हरबंस ¨सह ढींगरा, कमल मोगिया, खड़क ¨सह, शालू खुराना, गुर¨वदर पाहवा आदि मौजूद थे। समागम के दौरान गुरमुख सेवादल, भाई कन्हैया जी सेवादल, रामगढि़या सेवादल व बाबा बंदा ¨सह बहादुर सेवा दल के सदस्यों की तरफ से सेवाएं दी गई।


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