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कीमती भगत के आने से अकाली वर्कर्स में चुनावी अवसर खोने का डर, दल छोड़ सकते हैं कई नेता

गो सेवा कमिशन के पूर्व चेयरमैन कीमती भगत के भाजपा छोड़ कर अकाली दल में आने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ गई है। दूसरी ओर भाजपा जिला प्रधान सुशील शर्मा ने कहा कि भाजपा किसी को नहीं तोड़ेगी नहीं पर पार्टी का काम देख आने वाले का स्वागत करेगी।

By Edited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 09:59 AM (IST)
कीमती भगत के आने से अकाली वर्कर्स में चुनावी अवसर खोने का डर, दल छोड़ सकते हैं कई नेता
कीमती भगत के अकाली दल में शामिल होने को लेकर अकाली कार्यकर्ताओं में कोई जोश नजर नहीं आया है।

जालंधर, जेएनएन। गो सेवा कमिशन के पूर्व चेयरमैन कीमती भगत के भाजपा छोड़ कर अकाली दल में शामिल होने से दोनों पार्टियों में खटास बढ़ गई है। दोनों एक-दूसरे में सेंधमारी पर जोर दे सकती हैं। कीमती भगत के अकाली दल में शामिल होने को लेकर अकाली कार्यकर्ताओं में कोई जोश नजर नहीं आया है। उलटा, उनमें नाराजगी और भविष्य को लेकर डर है। कई सालों से काम कर रहे नेता अब जब विधानसभा चुनाव में लड़ने का अवसर देख रहे हैं। अन्य पार्टियों के नेताओं की एंट्री से उन्हें यह मौका छिनता नजर आ रहा है। ऐसे में अकाली दल के पुराने नेता पार्टी का साथ छोड़कर नई संभावनाओं की तलाश में जुट सकते हैं। 

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कीमती भगत के जाने के बाद भाजपा ने भी अपने द्वार अकाली दल के नेताओं के लिए खोल दिए हैं। जिला प्रधान सुशील शर्मा ने कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी हैं और दूसरे दलों में तोड़-फोड़ नहीं करती, अगर कोई नेता-कार्यकर्ता भाजपा की विचारधारा से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल होना चाहे तो उसके लिए सब दरवाजे खुले हैं। शर्मा ने कहा कि अकाली दल की अपनी विचारधारा है लेकिन भाजपा किसी को नहीं तोड़ेगी और अपने काम का प्रचार करेगी। जो काम देख कर आना चाहेंगे उनका स्वागत है।

देहात में नाराज अकालियों पर भाजपा की नजर

भाजपा के पास शहरी इलाकों में तो चुनाव लड़ने वाले नेताओं की कमी नहीं है, लेकिन देहात में पार्टी की मजबूती जरूरी है। भाजपा अब तक देहाती इलाकों में अकाली दल के ही सहारे रही है, इसलिए संगठन को पूरी तरह मजबूत नहीं किया। देहात में कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है, ऐसे में पार्टी की नजर अब अकाली दल समेत अन्य पार्टियों के बड़े नेताओं पर है। इस बार विधानसभा चुनाव बहुकोणिए होंगे और वोट बंटवारे से हार-जीत का अंतर भी कम होगा। इससे दावेदार भी बढ़ेंगे।

अकाली नेताओं को बसपा के गठबंधन से भी खतरा

अगर अकाली दल का बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन होता है, तो बसपा तीन सीटों की मांग कर सकती है। इनमें आदमपुर, फिल्लौर और करतारपुर शामिल है। करतारपुर को छोड़कर दोनों सीटों पर अकाली दल के विधायक हैं। बसपा के लिए फिल्लौर एक बड़ा गढ़ है, ऐसे में बसपा फिल्लौर की सीट जरूर चाहेगी। करतारपुर की सीट भी बसपा को दी जा सकती है। इससे अकाली दल के इन सीटों पर दावेदारों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ सकता है। इससे रिजर्व सीट जालंधर वेस्ट पर दावेदारों का जोर रहेगा।


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