Move to Jagran APP

जालंधर के इन दो मंदिरों में होती है आंवले की पूजा, श्रद्धालु अस्थाई कोठियां बनाकर मांगते हैं मन्नत

जालंधर में देश भर के मात्र दो ऐसे मंदिर मौजूद हैं जहां आंवले की पूजा की जाती है। इस मंदिरों में तीन दिवसीय मेले लगाए जाते हैं जहां राज्य भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और धार्मिक रस्मों को पूरी कर मन्नते मांगते हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 02:49 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 02:49 PM (IST)
जालंधर के इन दो मंदिरों में होती है आंवले की पूजा, श्रद्धालु अस्थाई कोठियां बनाकर मांगते हैं मन्नत
विश्व भर में स्थित सिद्ध शक्तिपीठों में कोट किशन चंद स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर भी शामिल है।

जालंधर, [शाम सहगल]। जालंधर शहर में दो ऐसे ऐतिहासिक मंदिर मौजूद हैं, जिनका जिक्र विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में किया गया है। कारण यह देश भर में मात्र ऐसे दो मंदिर हैं जहां पर आंवले की पूजा की जाती है। आंवला नवमी को लेकर यहां पर लगने वाले तीन दिवसीय मेले में राज्य भर से श्रद्धालु शामिल होकर धार्मिक रस्में पूरी करते हुए मन्नते मांगते हैं। इन दो मंदिरों में शामिल है, कोट किशन चंद स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर तथा सती वृंदा देवी मंदिर। जहां पर कार्तिक मास में होने वाले आयोजन देश भर में विख्यात हैं।

loksabha election banner

सिद्ध शक्तिपीठ है मां अन्नपूर्णा मंदिर

विश्व भर में स्थित सिद्ध शक्तिपीठों में कोट किशन चंद स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर भी शामिल है। मंदिर के प्रवक्ता डा. अजीत सिंह ज्योति बताते हैं कि जालंधर के इस मंदिर में सती माता का बांध स्थल गिरा था। जिसका पिंडी स्वरूप विग्रह भी मंदिर में विद्यमान है। तब से लेकर इस मंदिर को महात्म्य सिद्ध माना जाता है। उन्होंने कहा कि सिद्ध शक्ति पीठ के दर्शन करने वाले श्रद्धालु दर्शन भर यहां पर आकर धार्मिक रस्में पूरी करते हैं।

भगवान विष्णु के स्वरूप में पूज्य हैं आंवला

मंदिर के संचालक भारत भूषण ज्योति तथा पूर्व मेयर सुनील ज्योति बताते हैं कि आंवले का पूजन भगवान विष्णु के शुभ अंक स्वरूप के रूप में आंवले का पूजन किया जाता है। यही कारण है कि कार्तिक मास में आंवला के वृक्ष तले बैठकर लोग भोजन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि आंवला आंवला पूजन के उपरांत इसके वृक्ष तले बैठकर भोजन करने से अन्न का विकार हमेशा के लिए खत्म हो जाता है। इसी तरह मंदिर प्रांगण में श्रद्धालु अस्थाई कोठी बनाकर खुद की कोठी बनने की मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु परिवार सहित इस मंदिर में नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं।

तुलसी पूजा का भी जुड़ा इतिहास

इन मंदिरों के साथ तुलसी पूजा तथा तुलसी विवाह का इतिहास भी जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि भगवान विष्णु के स्वरूप में आंवला पूजन तथा महालक्ष्मी के स्वरूप में तुलसी माता की पूजा इन दो मंदिरों में विशेष रूप से की जाती है। इसी माह में यहां पर तुलसी माता के विवाह का भव्य आयोजन किया जाता है।

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.