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कांग्रेस राज का हाल: सीवरेज प्रोजेक्ट रुका, शहर अंधेरे में डूबा, ट्रीटमेंट प्लांट पर हो रही राजनीति

पिछले साल नगर निगम में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से शहर को कई दंश झेलने पड़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 06:15 PM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2018 06:15 PM (IST)
कांग्रेस राज का हाल: सीवरेज प्रोजेक्ट रुका, शहर अंधेरे में डूबा, ट्रीटमेंट प्लांट पर हो रही राजनीति
कांग्रेस राज का हाल: सीवरेज प्रोजेक्ट रुका, शहर अंधेरे में डूबा, ट्रीटमेंट प्लांट पर हो रही राजनीति

सत्येन ओझा, जालंधर

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पिछले साल नगर निगम में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से शहर को कई दंश झेलने पड़ रहे हैं। सीवरेज प्रोजेक्ट रुका पड़ा है। एलईडी लाइटें बंद होने से शहर के मुख्य मार्ग अंधेरे में डूब गए हैं। वहीं, राजनीति के चलते वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट भी नहीं लग पा रहा है।

साल 2016 में सोढल मंदिर के पा इंडस्ट्रियल क्षेत्र में 4 करोड़ रुपये की लागत से सीवरेज प्रोजेक्ट प्रस्तावित था। प्रोजेक्ट के लिए 15 कनाल जगह का अधिग्रहण भी हो गया। योजना पर काम शुरू होने से पहले ही सत्ता बदल गई। काग्रेस ने सत्ता में आते ही यह कहते हुए काम रुकवा दिया कि इससे सस्ते में प्रोजेक्ट लगवाएंगे। काम आज तक शुरू नहीं हुआ। उल्टा इस साल सोढल मेले के दौरान हुई बारिश के कारण मंदिर के निकट मेले में दुकान लगाने आए एक दुकानदार की 8 माह की बेटी जलभराव में डूबकर मर गई।

सत्ता बदलने के बाद शहर को सौगात में मिले इस दंश का ये अकेला उदाहरण नहीं है। शहर कूड़े का डंप बन चुका है। चारों विधायक अपने-अपने क्षेत्र में गारबेज प्रोसेसिंग प्लाट लगाने का विरोध कर रहे हैं। साई दास स्कूल के पास जब विरोध होता है तो निगम कचरा उठवा देता है। शात होते ही फिर कचरे का पहाड़ खड़ा हो जाता है।

यह है हकीकत

निकाय विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सतीश चंद्रा ने पत्र लिखकर निगम क्षेत्र में पंजाब अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट बोर्ड के अधीन चल रहे 125 करोड़ रुपये के कार्यो को सितंबर 2017 में रोक दिया था। इससे कई सड़कें व नालिया अधूरी रह गईं। 4 करोड़ रुपये की लागत से सोढल क्षेत्र में प्रस्तावित सीवरेज प्रोजेक्ट से दोबाआ चौक से लेकर सोढल मंदिर तक जलभराव व सीवरेज की समस्या हल होनी थी। लोगों का आक्रोश बढ़ा तो विधायक ने दोबारा प्रोजेक्ट बनवाया जो पहले 6 करोड़ का बना, अब 7 करोड़ का हो गया है। काम कब चालू होगा नहीं पता। एक साल में बजट तीन करोड़ बढ़ गया। कहा था सस्ता कराएंगे।

काग्रेस पार्षद रोहन सहगल ने एलईडी लाइटों का मुद्दा जोरशोर से उठाते हुए राजधानी तक आवाज बुलंद की। इससे ठेकेदार का तो कुछ नहीं बिगड़ा, उलटे रात में शहर के प्रमुख मार्गो पर एलईडी लाइटें बंद कर दी गईं। शहर अंधेरे में डूब गया।

जमशेर में प्रस्तावित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लाट भी एक विधायक के विरोध के चलते शुरू होने से पहले ही बंद हो गया।

रोड स्वीपिंग मशीनें काग्रेस ने बंद करा दी थीं। सड़कों पर फिर गंदगी दिखने लगी है। 6 करोड़ रुपये की लागत से मंगाई गई सुपर सक्शन मशीनों ने शहर में सीवरेज सफाई का काम तब शुरू किया जब बारिश में शहर डुबोने के बाद मानसून अंतिम दौर में पहुंच गया।

मेयर जगदीश राज राजा पूरी तरह फेल हो गए हैं। उन्होंने सिवाय काम रोकने के कोई काम शुरू नहीं कराया है। सितंबर 2017 के बाद एक टेंडर किसी विकास कार्य का नहीं डाला है। सही मायने में काग्रेस की सोच जनता के हित की सोच नहीं है, सिर्फ अपने हित तक सीमित हैं, ये शहर की जनता रोज देख रही है।

-सुनील ज्योति, पूर्व मेयर।

-काग्रेस का कोई जनप्रतिनिधि कुछ गलत नहीं कर रहा है। समस्याएं आज की नहीं हैं। अकाली भाजपा सरकार के समय की कोताही का खामियाजा शहर को भुगतना पड़ रहा है, काग्रेस सही ट्रैक पर चल रही है। खजाना पूरी तरह खाली मिला है, स्थिति को काफी हद तक सुधारा है। आने वाले दिनों में शहर में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।

-जगदीश राज राजा, मेयर।


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