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शहर के संतों ने डाला संगम नगरी प्रयागराज में डेरा, लेंगे शाही स्नान में हिस्सा

1008 महामंडलेश्वर महंत गंगा दास, महंत केशव दास, महंत अनन्या दास, महंत बंसी दास व महंत सूरज प्रकाश सहित शहर के कई संतों ने प्रयागराज में अस्थायी पंडाल भी स्थापित किए हैं।

By Edited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 09:41 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 12:17 PM (IST)
शहर के संतों ने डाला संगम नगरी प्रयागराज में डेरा, लेंगे शाही स्नान में हिस्सा
शहर के संतों ने डाला संगम नगरी प्रयागराज में डेरा, लेंगे शाही स्नान में हिस्सा

जालंधर [शाम सहगल]। संगम नगरी प्रयागराज में कुंभ का मेला मकर सक्रांति पर शाही स्नान के साथ शुरू हो चुका है। जालंधर से भी कई संतों ने प्रयागराज में डेरा लगा लिया है। यही कारण है कि शहर में होने वाले धार्मिक आयोजनों में संतों की संख्या कम हो गई है। इस क्रम में दिलबाग नगर स्थित बावा लाल दयाल आश्रम के संचालक 1008 महामंडलेश्वर महंत गंगा दास, महंत केशव दास, महंत अनन्या दास, महंत बंसी दास व महंत सूरज प्रकाश सहित शहर के कई संतों ने प्रयागराज में अस्थायी पंडाल भी स्थापित किए हैं। जहां पर रोजाना कथा व संकीर्तन चल रहा है। शहर के संतों का मानना है कि प्रयाग में सत्संग करने से धर्म का प्रचार दूर-दूर तक होगा। जिसके चलते वहां पर कथा का दौर भी शुरू किया जा रहा है।

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यह है इतिहास

बावा लाल दयाल आश्रम, दिलबाग नगर के संचालक महामंडलेश्वर 1008 महंत गंगा दास महाराज बताते हैं कि कुंभ का इतिहास समुद्र मंथन के साथ जुड़ा है। बताया जाता है कि महर्षि दुर्वासा के श्राप के चलते भगवान इंद्र जब कमजोर पड़ गए तो सभी दैत्यों ने देवताओं पर हमला कर दिया। इस दौरान जब सभी देवता परास्त होने लगे तो मदद के लिए वह भगवान विष्णु के पास गए। इस पर भगवान विष्णु ने दैत्यों के साथ मिलकर क्षीर सागर से अमृत निकालने की सलाह दी। इसी के बाद से शुरू हुआ समुद्र मंथन।

इसी तरह 108 महंत केशव दास महाराज बताते हैं कि पवित्र अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन में कई दिन तक देवताओं तथा राक्षसों के बीच युद्ध होता रहा। जब मंथन से अमृत निकला तो देवताओं के इशारे पर इंद्र के पुत्र जयंत अमृत कलश को लेकर आकाश में उड़ गए। इसके बाद दैत्यों ने जयंत का पीछा किया। इसके बाद 12 दिन तक दैत्यों तथा देवताओं के बीच अमृत के लिए युद्ध होता रहा। इस बीच अमृत की कुछ बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं। यही कारण है कि कुंभ इन्हीं चार जगहों पर मनाया जाता है।

13 अखाड़ों से पहुंचे साधु-संत, दो शाही स्नान बाकी

प्रयागराज में मकर सक्रांति के बाद चार फरवरी तथा 15 फरवरी को शाही व राजयोगी स्नान होगा। इसी दिन प्रयागराज में विभिन्न अखाड़ों के संतों की पहले शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। शाही स्नान के दौरान केवल साधु समाज ही स्नान करते हैं।

महाशिवरात्रि पर संपन्न, यह होंगे स्नान के खास दिन

  • पौष पूर्णिमा- 21 जनवरी
  • पौष एकादशी स्नान- 31 जनवरी
  • मौनी अमावस्या- 4 फरवरी
  • बसंत पंचमी- 10 फरवरी
  • माघी एकादशी- 16 फरवरी
  • माघी पूर्णिमा 19 फरवरी
  • महाशिवरात्रि 4 मार्च

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