जालंधर में सरबजीत मक्कड़ ने कस ली कमर, पार्टी के भरोसे तले कैंट हलके में जमा रहे पैर
पूर्व विधायक सरबजीत सिंह मक्कड़ ने अकाली दल के पदाधिकारियों की नियुक्ति करके इस बात के संकेत दे दिए हैं कि पार्टी का उनपर पूरा भरोसा कायम है और वह चुनाव तो यहीं से लड़ेंगे। यह अलग बात है कि सीट कौन सी होगी इस बारे में कोई आश्वस्त नहीं।
जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। अकाली नेता और पूर्व विधायक सरबजीत सिंह मक्कड़ को जालंधर सूट नहीं कर रहा है। आदमपुर सीट छूटने के बाद कपूरथला में सियासी पारी में दो-दो हाथ आजमाने के बाद मक्कड़ ने फिर जालंधर का रुख कर लिया है। या यूं कहें कि पार्टी ने उन्हें फिर से जालंधर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि बीता विधानसभा चुनाव भी मक्कड़ हार गए थे, इसलिए इस बार कोई चूक नहीं करना चाहते हैं। यही कारण है कि समय रहते मक्कड़ ने कैंट विधानसभा हलके में नए सिरे से अपने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में मक्कड़ ने अकाली दल के पदाधिकारियों की नियुक्ति करके इस बात के संकेत दे दिए हैं कि पार्टी का उन पर पूरा भरोसा कायम है और वह चुनाव तो यहीं से लड़ेंगे। यह अलग बात है कि सीट कौन सी होगी, इस बारे में न तो मक्कड़ आश्वस्त हैं और न ही उनके करीबी।
काम आई अश्वनी शर्मा की कूटनीति
भारतीय जनता पार्टी इस बार पंजाब में पहली बार अपने दम पर विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरने की तैयारी में है। यही वजह है कि शिरोमणि अकाली दल के साथ भाजपा का सालों पुराना गठबंधन भी टूट गया है और अकाली दल ने भाजपा की सेकेंड लाइन के कई नेताओं को अपने पाले में भी समय रहते खड़ा कर लिया है। मौके की नजाकत को देखते हुए भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा ने भी संगठन को मजबूत करने के लिए दावेदारों को एक करना शुरू कर दिया है। विधानसभा के बीते तीन चुनावों से मनोरंजन कालिया, केडी भंडारी और राकेश राठौर के बीच शीत युद्ध जारी है। पार्टी राठौर को भी जालंधर में एडजस्ट करने के मूड में है। इसके चलते अश्वनी शर्मा ने बीते दिनों जालंधर दौरे के दौरान तीनों को नया सियासी मंत्र दिया है, जिसके बाद तीनों के चेहरे कमल की तरह खिल उठे हैं।
फिर गरमाई जिमखाना क्लब की सियासत
शहर के सबसे प्रतिष्ठित क्लब जिमखाना के चुनाव नजदीक आते ही दिग्गजों ने नए सिरे से समीकरण बनाने शुरू कर दिए हैं। बीते चुनाव में तरुण सिक्का एंड टीम ने बेहतर परफार्मेंस दी थी, लेकिन कोरोना काल में ज्यादा वादे पूरे न कर पाने को लेकर इस बार की लड़ाई आसान नहीं रह गई है। मौके की नजाकत को देखते हुए अभी से कई खिलाडिय़ों ने अपने-अपने पदों को लेकर लाबिंग शुरू कर दी है। पिछले चुनाव में बने ग्रुपों में कई लोगों को इस बार बड़े पदों पर खड़े करने का वादा करके किंग मेकर्स ने चुनाव लड़वाया था। इस बार वही पदाधिकारी उनके लिए सिरदर्द बन रहे हैं। यही वजह है कि अब क्लब की टेबलों पर चुनावी समीकरणों की बातें हो रही हैं। चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदारों के करीबी सदस्य दूसरों से उनके बारे में राय ले रहे हैं, ताकि इस पर अंतिम फैसला कर सकें।
मेयर का कमाल, कमिश्नर हुए लाल
शहर को चलाने वाले नगर निगम की सियासत बीते कई दिनों से तेज हो गई है। तीन सालों से विकास कार्यों को लेकर लोगों के साथ-साथ विधायकों के निशाने पर चल रहे मेयर चुनावी साल में सड़कों को दुरुस्त करवाने के साथ-साथ विभिन्न प्रोजेक्टों को लेकर अपनी वाहवाही करवा रहे हैं। मेयर इस बार के चुनाव में किसी भी सीट से दावेदार हो सकते हैं। यही वजह है कि उन्होंने बीते तीन साल सभी का गुस्सा झेलकर यह सिद्ध कर दिया है कि उनके अंदर एक परिपक्व नेता है। अब विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही मेयर ने विकास कार्यों को लेकर ताबड़तोड़ बैटिंग भी शुरू कर दी है। इसके चलते निगम कमिश्नर के साथ उनकी कई प्रोजेक्टों को लेकर ठन गई है। वहीं चुनावी साल में नगर निगम हाउस की सालाना बैठक भी नहीं आयोजित की जा सकी है। अब देखना पड़ेगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।