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पटाखा विक्रेताओं की चल रही मनमर्जी, एक लाइसेंस पर बना रहे कई दुकानें Jalandhar news

अफसरों ने दुकानों के साइज से लेकर गिनती तक कुछ भी तय नहीं किया है। इसी का फायदा उठाकर लाइसेंस होल्डर पटाखा विक्रेता अपनी मर्जी से दुकानें बना रहे हैं।

By Edited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 09:41 PM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 11:12 AM (IST)
पटाखा विक्रेताओं की चल रही मनमर्जी, एक लाइसेंस पर बना रहे कई दुकानें Jalandhar news
पटाखा विक्रेताओं की चल रही मनमर्जी, एक लाइसेंस पर बना रहे कई दुकानें Jalandhar news

जालंधर, जेएनएन। शहर में पटाखा बिक्री को लेकर प्रशासन की घोर लापरवाही सामने आ रही है। पुलिस कमिश्नरेट व जिला प्रशासन ने 20 पटाखा विक्रेताओं को लाइसेंस दिए। इसके बाद नगर निगम ने बल्टर्न पार्क में जमीन अलॉट कर दी। इसके बाद शुरू हुई पटाखा विक्रेताओं की मनमर्जी। वे अपनी मर्जी के अनुसार दुकानें बनाने में जुट गए हैं। अफसरों ने दुकानों के साइज से लेकर गिनती तक कुछ भी तय नहीं किया है। इसी का फायदा उठाकर लाइसेंस होल्डर पटाखा विक्रेता अपनी मर्जी से दुकानें बना रहे हैं। किसी ने तीन दुकानें बनाईं तो कोई छह दुकानें बना चुका है। पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर और डिप्टी कमिश्नर वरिंदर कुमार शर्मा की अगुवाई में निकाले पटाखा बिक्री लाइसेंस का लक्की ड्रॉ अब सीधे तौर पर न्याय व्यवस्था की गाज से बचने के लिए खानापूर्ति नजर आ रही है।

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10 मीटर दूरी निर्धारित, एक साथ बन रहीं छह दुकानें

मजे की बात यह है कि एक तरफ हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर अफसरों ने दो दुकानों के बीच की दूरी कम से कम दस मीटर रखने को कहा है। इसे सख्ती से लागू भी कराया जा रहा है। हालांकि ब्लॉक के नाम पर तीन से छह दुकानें एक साथ कैसे बन रही हैं? इसका जवाब देने से बचने के लिए अफसर फोन तक नहीं उठाते।  

एक ही जगह बिक्री, जाम का इंतजाम

पटाखा बिक्री के लिए एक ही जगह अलॉट करने में भी प्रशासन ने अदूरदर्शिता का बड़ा उदाहरण दिया है। सिर्फ एक ही जगह पर पटाखा बिक्री के लिये जगह तय कर दी गई। शहर में सिर्फ बल्टर्न पार्क में ही पटाखा खरीदने के लिए लोगों को जाना होगा। ऐसे में पुलिस व प्रशासन ने खुद ही वहां ट्रैफिक जाम का पूरा इंतजाम कर लिया है। वहीं, एक ही जगह पर भीड़ जुटने से अगर कोई हादसा हो गया तो यह तय है कि भारी जान-माल के नुकसान का भी खतरा बना रहेगा। इसके बावजूद पूरे जिले व शहर का जिम्मा संभालने वाले बड़े अफसर मुंह खोलने को तैयार नहीं है।

लाइसेंस देते वक्त भी बना मजाक

कुछ दिन पहले जब रेडक्रॉस भवन में पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत भुल्लर और डीसी वरिंदर शर्मा ने 308 आवेदनों के ड्रॉ निकाले तो पटाखा बिक्री के 20 लाइसेंस में से तीन मॉडल टाउन के एक ही परिवार को मिल गए। हालांकि अफसर यह कहकर बच गए कि यह तो लक्की ड्रॉ था लेकिन सवाल यह उठा था कि ऐसी कोई पॉलिसी क्यों नहीं बनाई गई कि एक विक्रेता परिवार का एक ही आवेदन होगा। अगर ऐसा भी नहीं कर सकते थे तो कम से कम इतना तो कर ही सकते थे कि एक पते पर एक ही आवेदन स्वीकार किया जाएगा।

नियमों को अफसरों ने बनाया 'फुटबॉल'

पटाखा बेचने के लिए कितनी दुकानें होंगी? उनका क्या साइज होगा? इन नियमों को अफसरों ने 'फुटबॉल' बनाकर रख दिया है। सिविल प्रशासन, पुलिस कमिश्नरेट और नगर निगम के अफसर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि शहर में सब कुछ पुलिस कमिश्नर के अंडर है, हमारा कोई रोल नहीं। देहात में होता तो प्रशासन देखता। पुलिस का कहना है कि उनका काम सिर्फ लाइसेंस प्रक्रिया तक है, बाकी काम तो नगर निगम को देखना है। नगर निगम का कहना है कि यह तो पुलिस ने देखना है कि कितनों को लाइसेंस दिया है? और कितने बूथ बनने हैं?। हमारा काम जगह देना है।

शहर में ज्यादा पटाखे पहुंचने से होगा खतरा

पुलिस, प्रशासन व निगम की यह चूक जानलेवा भी साबित हो सकती है क्योंकि जितनी ज्यादा दुकानें होंगी, उतना ही ज्यादा पटाखा शहर में आएगा। उतना ही ज्यादा पटाखा बल्टर्न पार्क में बिक्री के लिए रखा जाएगा। अगर कोई अप्रिय घटना हो गई तो तय है कि इससे बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। कागजों में पुलिस ने लाइसेंस के जरिए पटाखा बिक्री को रेगुलेट कर लिया, लेकिन लगातार बन रही दुकानों की हकीकत मुंह चिढ़ाने वाली है।

चेक करने के बाद करेंगे कार्रवाईः निगम कमिश्नर

इस बारे में निगम कमिश्नर दीपर्वा लाकड़ा ने कहा कि उन्हें तो यह भी जानकारी नहीं कि ड्रॉ हो चुका है। पुलिस ने हमें ड्राइंग भेजनी होती है कि कितने बूथ बनने हैं और कितनी जगह चाहिए। उसके बाद ही निगम कार्रवाई करेगा। हमारे पास पुलिस ने ऐसी कोई ड्राइंग अब तक नहीं भेजी है। अगर वहां दुकानें बनने लगी हैं या बन चुकी हैं तो सुबह इसको चैक कराएंगे। उसके बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

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