आदमपुर एयरपोर्ट टर्मिनल का जून तक निर्माण पूरा होना मुश्किल, तैयार होनी है दो मंजिला इमारत
आदमपुर सिविल एयरपोर्ट टर्मिनल का अहम हिस्सा टारमेक है जहां पर बोइंग एवं एयरबस श्रेणी के दो विमानों के खड़े होने की व्यवस्था की जानी है। इस हिस्से का निर्माण भी पूरी तरह कंप्लीट नहीं हो पाया है।
जालंधर [मनुपाल शर्मा]। लक्ष्य से भी एक वर्ष पीछे चल रहे आदमपुर सिविल एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का निर्माण अब आगामी जून महीने में भी निपट पाना असंभव नजर आ रहा है। निर्माणाधीन टर्मिनल का अभी तक मात्र ढांचा ही खड़ा किया जा सका है। हालांकि जिला प्रशासन ने जून तक टर्मिनल का निर्माण निपटाने का दावा किया है। आदमपुर सिविल एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का निर्माण 2019 में शुरू किया गया था और इसके मार्च 2020 तक कंप्लीट करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। हालांकि एक और वर्ष बीत जाने के बावजूद इसे पूरा नहीं किया जा सका है।
सिविल एयरपोर्ट टर्मिनल का अहम हिस्सा टारमेक है, जहां पर बोइंग एवं एयरबस श्रेणी के दो विमानों के खड़े होने की व्यवस्था की जानी है। इस हिस्से का निर्माण भी पूरी तरह कंप्लीट नहीं हो पाया है। टर्मिनल इमारत के कंक्रीट के पिलर तो भर दिए गए हैं, लेकिन ब्रिक वर्क नहीं हो पाया है। ब्रिक वर्क निपटने के बाद फ्लोरिंग एवं सीलिंग का काम किया जाना है। पेंट होने हैं। इमारत को दो मंजिला बनाया जाना है और सारा काम कंप्लीट हो जाने के बाद एयर फोर्स स्टेशन आदमपुर की बाउंड्री वॉल को तोड़कर विमानों के परिसर तक पहुंचने के लिए विशेष टैक्सी ट्रैक भी बनाया जाना है। इन सभी कार्यों में लंबा वक्त लग जाता है और किसी भी सूरत में यह सारा काम जून महीने में निपट पाना असंभव है।
110 करोड़ में तैयार होना है टर्मिनल
आदमपुर सिविल एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का निर्माण लगभग 110 करोड रुपये में किया जाना है, जिसमें एक ही समय में बोइंग अथवा एयरबस श्रेणी के दो विमानों का संचालन करने की व्यवस्था होगी। 300 यात्री बैठ सकेंगे। लगभग 150 वाहनों के लिए पार्किंग लॉट्स तैयार होंगे। यात्रियों की बोर्डिंग एवं सिक्योरिटी चेक आधुनिक तरीके से करना होगा। कैफेटेरिया की व्यवस्था की जाएगी और एयरलाइन के ऑफिस भी बनाए जाएंगे।
मौजूदा इमारत में मात्र 75 यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था
वर्ष 2019 में मेकशिफ्ट अरेंजमेंट के तहत छोटे टर्मिनल का निर्माण किया गया था। इस टर्मिनल में मात्र 75 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है। जगह इस कदर तंग है कि कई बार यात्रियों को बैठने के लिए पर्याप्त जगह भी उपलब्ध नहीं हो पाती। इसी तंग जगह की वजह से एक ही समय में दो फ्लाइट का संचालन भी संभव नहीं होता। मात्र छोटे जहाज का ही संचालन हो पाता है। बोइंग अथवा एयरबस श्रेणी के विमानों का संचालन के लिए नए टर्मिनल का बनाया जाना बेहद जरूरी है, जिसमें 180 के लगभग यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है।