AAP का हालः पंजाब में काडर की कमी, नेता दिल्ली चुनाव प्रचार में हाजिरी लगवा कर खुश
डॉ. शिवदयाल माली के बाद कुछ दिन पहले आप पंजाब के उपाध्यक्ष डॉ. संजीव शर्मा भी कनाडा दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली पहुंच गए हैं।
जालंधर, जेएनएन। पंजाब में निरंतर हार के बाद छिन्न-भिन्न हुई आम आदमी पार्टी (आप) के काडर की दिल्ली विधानसभा चुनाव में हाजरी भी मुश्किल हो गई है। आप पंजाब के पास इस समय इतना भी काडर मौजूद नहीं है, जो दिल्ली जाकर अरविंद केजरीवाल की दोबारा वापसी के लिए धुआंधार प्रचार कर सके। साख बचाने के लिए अब पार्टी के नेता खुद चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं।
सर्वप्रथम आप जालंधर के शहरी विंग के अध्यक्ष डॉ. शिवदयाल माली कुछ एक वालंटियर्स के साथ दिल्ली पहुंचकर चुनाव प्रचार में जुटे। उन्होंने दिल्ली रवाना होने से ठीक पहले जालंधर पार्टी कार्यालय में एक बैठक बुलाई थी। योजना यह बनी थी कि 10-10 वालंटियर्स के समूह दिल्ली में चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे। यह भी तय किया गया कि वे ही वालंटियर चुनाव प्रचार के लिए जाएं, जिनके पास कम से कम तीन दिन तक प्रचार करने का समय उपलब्ध हो।
डॉ. शिवदयाल माली के बाद कुछ दिन पहले आप पंजाब के उपाध्यक्ष डॉ. संजीव शर्मा भी कनाडा दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली पहुंच गए हैं। डॉ. शर्मा ने तो पहले जालंधर आना भी जरूरी नहीं समझा और सीधे एयरपोर्ट से ही चुनाव प्रचार में कूद पड़े। पार्टी हाईकमान पंजाब विशेषकर जालंधर से दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार करने गए नेताओं को पंजाबी बाहुल्य क्षेत्रों में ही प्रचार करने के लिए कहा है। हालांकि कवायद में काडर की कमी साफ महसूस की जा रही है। डॉ. संजीव शर्मा ने भी कहा कि उन्होंने अपने वॉलंटियर्स को सीधे दिल्ली बुला लिया था ताकि समय की बर्बादी न हो और अतिशीघ्र चुनाव प्रचार शुरू किया जा सके।
दबी जबान में हाईकमान को भी काडर की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया
पार्टी के छिन्न-भिन्न हो चुके ताने-बाने को समेटने में लगे आप पंजाब के नेताओं की कोशिश यह है कि भले ही उनके पास काडर नहीं है, लेकिन पार्टी हाईकमान के समक्ष वह हाजिरी तो लगवा ही रहे हैं। अगर दिल्ली में दोबारा पार्टी की सरकार बनती है तो फिर उसमें उनका योगदान भी शामिल रहेगा। कुछ नेताओं का दबी जुबान में यह भी कहना है कि अगर पंजाब में काडर कमजोर हुआ है या पार्टी से अलग हुआ है तो इसकी वजह भी पार्टी हाईकमान ही है, जिसने चुनाव दर चुनाव हारने के बावजूद पार्टी वर्करों के साथ संवाद रखने की कोई कोशिश नहीं की।
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