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सिविल अस्पताल में एंटी रेबीज टीके खत्म

जागरण संवाददाता, जालंधर : सिविल अस्पताल में एंटी रेबीज टीके खत्म होने से कुत्ते काटने के मरीज परेशान

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jan 2018 09:22 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2018 09:22 PM (IST)
सिविल अस्पताल में एंटी रेबीज टीके खत्म
सिविल अस्पताल में एंटी रेबीज टीके खत्म

जागरण संवाददाता, जालंधर : सिविल अस्पताल में एंटी रेबीज टीके खत्म होने से कुत्ते काटने के मरीज परेशान हैं। मरीजों को बाहर से टीके खरीदने पड़ रहे हैं, जो काफी महंगे हैं। गौर हो कि सिविल अस्पताल में रोजाना 100 एंटी रेबीज टीके लगाए जाते हैं। अब टीके न होने की वजह से मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा है।

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मंगलवार को सब्जी मंडी से सिविल अस्पताल आए अमर चंद को निराश लौटना पड़ा। वह कहते हैं कि उन्हें रात को घर जाते समय कुत्ते ने काट लिया था। वह मंडी में मजदूरी का काम करते हैं। सिविल अस्पताल में टीका लगवाने आए तो स्टाफ ने स्टॉक खत्म होने की बात कह कर बाजार से टीका खरीद कर लगवाने की सलाह दी है। उसे तीन टीके लगने हैं। मंगलवार को बाजार से 350 रुपये का टीका खरीद लगवाया। यही टीका अस्पताल से मुफ्त लगना था। इसी तरह कई मरीज मंगलवार को बैंरग लौटे।

तेजी से बढ़ती है कुत्तों की आबादी

एसएमओ डॉ. टीपी ¨सह का कहना है कि कुत्तों व बिल्लियों की संख्या तेजी से बढ़ती है। बिना नलबंदी के एक कुत्तियां व उससे पैदा होने वाली संतान अपनी ¨जदगी के दौरान 6 साल में 67000 पप्पी पैदा करते हैं। इसी तरह एक बिल्ली सात साल में 420000 बच्चे पैदा करती है।

साल कुत्ता काटने के केस

2015 2825

2016 9334

2017 8450

कुत्ते पर रखें पूरी निगरानी

सिविल अस्पताल के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. एलफर्ड की मानें तो मेडिकल सिद्धांतों के मुताबिक कुत्ते पर दो सप्ताह तक नजर रखनी जरूरी है। अगर कुत्ता पागल हो जाए या मर जाए तो मरीज की जान पर खतरा मंडराने लगता है। लाइलाज रेबीज होने पर मरीज हाड्रोफोबियां का शिकार हो जाता है। मरीज को कम से तीन और अधिक से अधिक पांच टीके लगते हैं।

कुत्ता काटने पर ये करें

-कुत्ता काटने के तुरंत बाद जख्म को कपड़े धोने वाले सोडे व साबुन से बार-बार धोएं।

-¨टचर आयोडिन या लाल दवाई लगा कर जख्म को नंगा छोडे़।

-24 घंटे के भीतर टेटनेस का इंजेक्शन लगाने के साथ व एंटी रेबीज टीकाकरण शुरू करवाएं।

अस्पताल में पिछले साल लगे 30 हजार टीके

सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. केएस बावा मानते हैं कि एंटी रेबीज टीके खत्म हो गए हैं। उन्होंने बताया कि हर साल औसतन 30 हजार के करीब एंटी रेबीज टीके लगाए जा रहे हैं। एंटी रेबीज के कुछ टीके रोपड़ से मंगवाए थे। इसके अलावा डिमांड भेज दी है। पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन ने जल्द सप्लाई भेजने का आश्वासन दिया है।

प्राइज कंट्रोल श्रेणी में आया टीकाकरण

कुत्ता काटने पर टीके लगवाने के लिए लोगों को दो हजार रुपये तक का खामियाजा भुगतना पड़ता है। एंटी रेबीज बेचने वाले थोक विक्रेता न¨रदर सहगल व मनजीत ¨सह कहते हैं कि पंजाब में 6 कंपनियां एंटी रेबीज सप्लाई करती हैं। वर्तमान में दो कंपनियों की सप्लाई मार्केट में आ रही है। मार्केट में दवा की कमी होने की वजह से समस्याएं आ रही है। केंद्र सरकार द्वारा एंटी रेबीज दवा को प्राइज कंट्रोल श्रेणी में रखने के बाद मरीजों को राहत मिली है। इसके बावजूद मरीज को एक टीका 350 रुपये में मिलता है। मरीज को 1050 से लेकर 1750 रुपये का खर्च झेलना पड़ रहा है।


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