केएमवी की ¨प्रसिपल डॉ. अतिमा शर्मा बनीं लड़कियों की प्रेरणास्त्रोत
जागरण संवाददाता, जालंधर : केएमवी की ¨प्रसिपल डॉ. अतिमा शर्मा अपने आप में एक संपूर्ण शख्सियत हैं। एक
जागरण संवाददाता, जालंधर : केएमवी की ¨प्रसिपल डॉ. अतिमा शर्मा अपने आप में एक संपूर्ण शख्सियत हैं। एक बेटी, एक पत्नी, एक मां होने के साथ-साथ वह लड़कियों की शिक्षा में भी अपना बहुमूल्य योगदान दे रही हैं। उन्होंने महिलाओं की स्थिति पर कई किताबें भी लिखी हैं। देश-विदेश में गेस्ट स्पीकर तौर पर हिस्सा लेने वाली डॉ. अतिमा शर्मा आज लड़कियों के लिए बड़ी प्रेरणास्त्रोत बन गई हैं।
एक पढ़े-लिखे परिवार में जन्मी डॉ. शर्मा के पिता ने हमेशा अपनी बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। डॉ. अतिमा शर्मा बताती हैं कि पिता रमेश शर्मा ने हर एक मोड़ पर भरपूर सहयोग दिया। उन्होंने आइएएस की परीक्षा क्लीयर कर ली थी लेकिन उसके बाद उनका मन एकेडेमिक्स में आने का हुआ क्योंकि उन्हें पढ़ाना बहुत अच्छा लगता था। उनके इस फैसले को पिता ने पूरा समर्थन दिया। मां प्रकाश शर्मा भी हमेशा कहती थी कि लाइफ में जो बनना है वो बनो। किसी और की न सुनकर अपने दिल की सुनो। हम तीन बहनें ही थी लेकिन उन्होंने कभी ये नहीं जताया कि बेटा भी होना चाहिए था। मेरी बहनें डॉ. प्रीति व डॉ. अनुजा भी आज कामयाब ¨जदगी व्यतीत कर रहीं हैं।
15 इंटरनेशनल कांफ्रेंस अटेंड की
डॉ. अतिमा शर्मा ने कहा कि उनके पति जीजी द्विवेदी मेजर जरनल हैं। शादी के बाद उन्होंने उन्हें कभी ये महसूस नहीं होने दिया कि मैं किसी पराये घर में आई हूं। शादी के तीन साल बाद चीन में तीन साल तक पढ़ाया। करीब नौ देशों में बतौर गेस्ट स्पीकर शिरकत की। हावर्ड यूनिवर्सिटी में लीडरशिप एंड मैनेजमेंट इन हायर एजुकेशन में चयन हुआ। 15 इंटरनेशनल कांफ्रेंस भी अटेंड की।
महिलाओं की स्थिति पर लिखी किताबें
डॉ. शर्मा ने महिलाओं के मुद्दों पर दो किताबें व कई लेख भी लिखे हैं। वह 6 किताबों की चीफ एडिटर भी रह चुकी हैं। सायको सोशल प्रेशर ऑन वुमन किताब के लिए उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सटी से सम्मान भी मिला। उन्होंने कहा कि एक लड़की के अंदर रिश्तों व प्रेम की समझ होती है जो भगवान की देन है।
संदेश : डरकर नहीं बल्कि डटकर आगे बढ़ें लड़कियां
वह कहती हैं हर लड़की को आगे बढ़ना चाहिए। किसी से डरकर नहीं बल्कि डटकर। उनकी बेटी डॉ. ऐशिता न्यूयॉर्क में कार्डियोलॉजिस्ट है। मैं इसी तरह अपने कॉलेज की बेटियों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती रहती हूं। केएमवी के कौशल केंद्र में करीब 3000 स्टूडेंट्स को फ्री कोर्स करवा स्वावलंबी बनाया गया है। मैं यही चाहती हूं कि आज की नारी सशक्त हो। लड़कियां अपना रास्ता खुद चुनती हैं। अगर कोई लड़की सामाजिक कुरीतियों को सह रही है तो वो केवल अपने डर की वजह से। वह कहती हैं, अपनी सोच को बड़ा बनाओ और कामयाब होकर अपनी मां- बाप के नाम को रोशन करो।