जालंधर में थाना बस्ती बाबा खेल के 14 महीने में 11 एसएचओ बदले, अपराध पर नहीं लगी लगाम
जालंधर में थाना बस्ती बावा खेल को करीब दो महीने पहले 25 मार्च को नई इमारत में शिफ्ट किया गया था। यहां पुलिसकर्मियों के लिए बाकी थानों के मुकाबले बेहतरीन सुविधाएं हैं लेकिन यह नई इमारत भी थाने में प्रभारी को रोकने में सक्षम नहीं दिखाई दे रही है।
जालंधर [अखंड प्रताप/अशोक लाडी]। महानगर का बस्ती बावा खेल थाना इन दिनों शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। 14 महीनों में अब तक इस थाने में 11 थाना प्रभारियों की पोस्टिंग हो चुकी है। बीते रविवार को यहां नए थाना प्रभारी के तौर पर अश्वनी नंदा की तैनाती की गई और पुराने प्रभारी गगनदीप सेखों को थाना सात का प्रभार दे दिया गया। पांच महीने तक थाने का प्रभार संभालने वाले सेखों बीते 14 महीने में पहले ऐसे थाना प्रभारी रहे जो पांच महीने तक इस थाने पर तैनात रहे। थाना बस्ती बावा खेल को करीब दो महीने पहले 25 मार्च को नई इमारत में शिफ्ट किया गया था। यहां पुलिसकर्मियों के लिए बाकी थानों के मुकाबले बेहतरीन सुविधाएं हैं लेकिन यह नई इमारत भी थाने में प्रभारी को रोकने में सक्षम नहीं दिखाई दे रही है। यहीं कारण है कि शिफ्टिंग के दो माह के बीच एक प्रभारी को बदल दिया गया।
पोस्टिंग नहीं सजा मानते हैं थाना प्रभारी
बस्ती बावा खेल इलाके में लूटपाट, चोरी और झपटमारी जैसी घटनाएं आए दिन सामने आती हैं। पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी यहां होने वाले अपराध को रोकना बड़ी चुनौती बना हुआ है और शायद यही वजह है कि जो भी थाना प्रभारी यहां आता है। वह कुछ दिनों में ही परेशान होकर यहां से जाने की कोशिश करने लगता है। ऐसे में यह भी चर्चा आम है कि महकमे के इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर के लिए बस्ती बावा खेल थाने का प्रभार सजा से कम नहीं है। हाल के दिनों में विवाद के दौरान देर रात युवक की हत्या, पिछले साल पुलिस मुलाजिम की दिनदहाड़े चाकू मारकर हत्या और ब्लैकमेलिंग के रैकेट के खुलासे जैसी खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरीं थीं।
राजनीतिक दबाव या काम का बोझ
थाना बस्ती बावा खेल के इलाके को लेकर इस बात की भी है कि इलाके में राजनीतिक गुटबंदी काफी हावी है। इलाके के जानकारों की माने तो शहर के एक विधायक के कुछ करीबियों का बस्ती बावा खेल इलाके में खासा प्रभाव है। वे अकसर इलाके में होने वाली घटनाओं में अपना राजनीतिक हित तलाशते हैं। ऐसे में माना ये भी जा रहा है कि राजनीतिक दबाव भी एक कारण है जिसके चलते बीते थाने को एक स्थायी प्रभारी नहीं मिल सका।
क्या कहना है नए थाना प्रभारी का
नए थाना प्रभारी अश्वनी नंदा का कहना है कि थाने का प्रभार संभालने के बाद से ही उन्होंने फील्ड में अपनी और सहयोगी पुलिसकर्मियों की एक्टिविटी बढ़ा दी है। छिटपुट वारदातों पर रोक लगाने के साथ साथ इलाके में नशे और नशेडिय़ों पर भी लगाम लगाई जाएगी। हार्डकोर अपराधियों को चिन्हित किया गया है।
राजनीतिक दबाव को लेकर बोले विधायक
थाने में प्रभारियों के नहीं रुकने को लेकर राजनीतिक दवाब के आरोप भी लगते रहे हैं। इस बारे में विधायक सुशील ङ्क्षरकू से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किसी भी पुलिस अधिकारी पर राजनीतिक दबाव बनाने की बात पूरी तरह से निराधार है। उनके और उनके कार्यकर्ताओं की हमेशा से यही कोशिश रहती है कि क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाने और आपराधिक तत्वों पर रोक लगाने के लिए पुलिस का पूर्ण सहयोग किया जाए।
कमिश्नर ने कहा-रूटीन तौर पर हुई सभी ट्रांसफर
पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर का कहना था कि यह सारी ट्रांसफर रूटीन के तौर पर हुई है इसमें कुछ भी विशेष नहीं है।
19 मार्च 2020 से लेकर 23 मई 2021 तक बदले प्रभारी
कमलजीत सिंह, एसआइ
जतिंदर सिंह, एसआइ
कमलदीप सिंह बल, एसआइ
निरलेप सिंह, एसआइ
रशमिंदर सिंह, इंस्पेक्टर
जीवन सिंह, इंस्पेक्टर
सुखबीर सिंह, इंस्पेक्टर
सुखदेव सिंह, इंस्पेक्टर
अनिल कुमार, इंस्पेक्टर
गगनदीप सिंह सेखों, एसआइ
अश्वनी नंदा, एसआइ
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