अष्टमी आज, नवमी को भी कर सकते हैं पूजन : महंत गिरी
चैत्र नवरात्र का पर्व 13 अप्रैल मंगलवार से शुरू हो चुका है। इसी दिन से नव विक्रमी संवत्सर 2078 का भी प्रारंभ हुआ है। इस बार देवी भगवती अश्व पर सवार होकर आई हैं।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : चैत्र नवरात्र का पर्व 13 अप्रैल, मंगलवार से शुरू हो चुका है। इसी दिन से नव विक्रमी संवत्सर 2078 का भी प्रारंभ हुआ है। इस बार देवी भगवती अश्व पर सवार होकर आई हैं। मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में सोमवार को अष्टमी और नवमी पर धर्म चर्चा करते हुए तपोमूर्ति महंत राज गिरी ने कहा कि नव संवत्सर के राजा और मंत्री मंगल हैं। इस दिन से सृष्टि का प्रारंभ माना गया है। इससे पहले सृष्टि शक्तिविहीन थी। चैत्र नवरात्र में विभिन्न प्रकार की शक्तियों का संचार होता है इसलिए चैत्र नवरात्र को शक्ति का पर्व भी माना गया है। उन्होंने कहा, नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। इसके बाद शैलपुत्री की पूजा के साथ ही नवरात्र का व्रत शुरू होता है। यह व्रत नौ रात्रियों का होता है। उपासक नवरात्र के समापन के दिन शुभ मुहूर्त में कन्या का पूजन करके व्रत को पूरा करते हैं, इसके बाद पारण करते हैं। महंत राज गिरी महाराज ने बताया कि चैत्र नवरात्र की सप्तमी 19 अप्रैल सोमवार को मध्य रात्रि 12 बजकर 01 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी, जोकि 20 अप्रैल को पूरे दिन रहेगी। अष्टमी तिथि 21 अप्रैल को मध्यरात्रि 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि का प्रारंभ होता है इसलिए अष्टमी व नवमी दोनों ही दिन नवरात्र व्रत का पारण और कन्या पूजन के लिए पर्याप्त है। व्रतधारी के लिए चैत्र नवरात्र में कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त अष्टमी और नवमी दोनों दिन है। वह आराम से कन्या का पूजन कर अपने व्रत को पूरा कर सकते हैं।