गेहूं के अवशेष को खाद के रूप में करें प्रयोग : डा. कंवर
गेहूं की फसल की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। मजदूरों की कमी के कारण इस बार कंबाइन से कटाई हुई है और खेतों में गेहूं के अवशेष बहुत अधिक मात्रा में हैं।
संवाद सहयोगी, दातारपुर : गेहूं की फसल की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। मजदूरों की कमी के कारण इस बार कंबाइन से कटाई हुई है और खेतों में गेहूं के अवशेष बहुत अधिक मात्रा में हैं। कृषि विकास अधिकारी डा. अजर कंवर ने कहा, देश में फसल के अवशेषों का सही निपटारा करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। इनका अधिकतर भाग या तो दूसरे कामों में इस्तेमाल किया जाता है या फिर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है। जैसे कि आलू व मूली बगैरह की पत्तियां पशुओं को खिलाने में इस्तेमाल की जाती हैं। कृषि विभाग यह समझाने की कोशिश कर रहा है कि किसान अपने खेतों के अवशेषों को जीवांश पदार्थ बढ़ाने में इस्तेमाल करें। इसी तरह गांवों में पशुओं के गोबर का अधिकतर भाग ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि इसे यदि गोबर गैस प्लांट में इस्तेमाल किया जाए, तो इससे बहुमूल्य व पोषक तत्वों से भरपूर गोबर की स्लरी हासिल होगी जिससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही गोबर गैस को घर में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। योजना को सफल बनाने के लिए सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जाता है। मगर फिर भी नतीजे संतोषजनक नहीं हैं।
अवशेष को जलाने से ये होते हैं नुकसान
प्रति एकड़ 400 किलोग्राम लाभकारी कार्बन जलकर नष्ट हो जाता है। नाइट्रोजन, पोटाश व सल्फर जैसे बेहद जरूरी पोषक तत्व जल जाते हैं। प्रति ग्राम मिट्टी में मौजूद 10-40 करोड़ लाभकारी बैक्टीरिया और एक दो लाख फफूंद व प्रति एकड़ 18 क्विंटल चाराभूसा नष्ट हो जाता है जिसकी मौजूदा कीमत करीब 25,000 रुपये होगी।